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जावेद अख्तर और सलीम खान की डॉक्यूमेंट्री "एंग्री यंग मेन" चर्चा में है, जिसमें उनके जीवन के अनदेखे और अनकहे तथ्य प्रस्तुत किए गए हैं।
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जावेद अख्तर ने हाल ही में अपने संघर्ष के दिनों को याद किया और बताया कि कैसे उन्होंने बॉम्बे आकर कठिनाइयों का सामना किया।
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जावेद ने अपने करियर के शुरुआती दिनों को याद करते हुए बताया कि वह अपने परिवार का घर छोड़कर मुंबई सहायक निर्देशक बनने के लिए आए थे।
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उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों में रेलवे स्टेशनों, पार्कों, स्टूडियो परिसरों, गलियारों, और बेंचों पर सोने की बात कही।
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जावेद अख्तर ने बताया कि कभी-कभी उनके पास बस का किराया देने के पैसे भी नहीं होते थे और उन्हें दो दिनों तक भूखा रहना पड़ता था।
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उनकी पत्नी शबाना आजमी ने भी जावेद के सबसे बुरे समय की एक कहानी साझा की, जब उन्होंने तीन दिनों तक कुछ नहीं खाया था।
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जावेद अख्तर ने उस कठिन समय को याद करते हुए बताया कि कैसे अभाव के अनुभव ने उन पर गहरा असर छोड़ा है।
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उन्होंने कहा कि अब भी, जब वह आलीशान होटलों में रुकते हैं, तो उन्हें अपने संघर्ष के दिनों की याद आती है और वह खुद से सवाल करते हैं कि क्या वह इसके लायक हैं।
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जावेद अख्तर का कहना है कि अगर आप जीवन में भोजन या नींद से वंचित रहे हैं, तो यह आप पर एक गहरी छाप छोड़ता है जिसे आप कभी नहीं भूल सकते।
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उन्होंने कहा कि वह इस बात को कभी नहीं भूल सकते कि कैसे उन्हें अपने शुरुआती दिनों में संघर्ष करना पड़ा था और अब भी वह इसे याद करते हैं।
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