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Karan Arjun: 'मेरे करन अर्जुन आएंगे' आज भी एक विश्वास के साथ गूंजता है

विज़नरी डाइरेक्टर राकेश रोशन द्वारा निर्देशित और निर्मित 1995 की क्लासिक फ़िल्म "करण अर्जुन" कोई साधारण फिल्म नहीं है. यह एक ऐसी फ़िल्म है जिसने भारतीय सिनेमा पर एक अमिट छाप छोड़ी है...

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Karan Arjun dialogue Mere Karan Arjun Aayenge still resonates with conviction
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विज़नरी डाइरेक्टर राकेश रोशन द्वारा निर्देशित और निर्मित 1995 की क्लासिक फ़िल्म "करण अर्जुन" कोई साधारण फिल्म नहीं है. यह एक ऐसी फ़िल्म है जिसने भारतीय सिनेमा पर एक अमिट छाप छोड़ी है. 13 जनवरी, 1995, को रिलीज़ हुई, यह एक्शन-ड्रामा फिल्म पुनर्जन्म, बदला, प्रेम और परिवार के अटूट बंधन के विषयों को जोड़ती है, जो आज भी इसे, दर्शकों के बीच एक दिल छूने वाली क्लासिक बनाती है. अपनी आकर्षक कहानी, यादगार प्रदर्शन और सदाबहार संगीत के साथ, 'करण अर्जुन' अपनी रिलीज के दशकों बाद भी प्रशंसकों को आकर्षित करने में सक्षम है.

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बॉलीवुड के बेहद प्रतिष्ठित और टैलेंटेड निर्देशक राकेश रोशन ने 'करण अर्जुन' के लिए निर्देशक और निर्माता दोनों के रूप में, अपने विलक्षण दृष्टिकोण को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. कहानी कहने और दर्शकों की भावनाओं को समझने की अपनी क्षमता के लिए जाने जाने वाले, रोशन ने एक ऐसी कहानी तैयार की जिसमें भावनात्मक गहराई के साथ एक्शन का मिश्रण था. उनकी पिछली सफलताओं ने उन्हें पहले ही एक विश्वसनीय फिल्म निर्माता के रूप में स्थापित कर दिया था, लेकिन 'करण अर्जुन' ने उन्हें एक नई श्रेणी में ला खड़ा किया.

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मूल रूप से, "करण अर्जुन" दो भाइयों, करण सिंह/अजय (सलमान खान द्वारा अभिनीत) और अर्जुन सिंह /विजय (शाहरुख खान द्वारा अभिनीत) की कहानी बताता है, जिनकी खलनायक ठाकुर के रिश्तेदार द्वारा बेरहमी से हत्या कर दी जाती है, क्योकी ठाकुर के बेटे ने दुर्गा से प्रेम विवाह किया था और उनके दो बच्चे भी हुए (करन और अर्जुन). लेकिन ठाकुर दुर्जन सिंह (अमरीश पुरी) के रिश्तेदार  ने  ठाकुर के बेटे, ठाकुर और उसके दोनों बेटों सबको मार डाला ताकि वो अपना जमीन जायदाद अपने बीवी बच्चों को ना दे दे.

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करन अर्जुन की मां दुर्गा सिंह (राखी मजुमदार गुलज़ार द्वारा अभिनीत) अपने पति और दोनों बेटों को खोकर बहुत दुखी हैं, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि उनके बेटे उनके पति और खुद अपने मौत का बदला लेने के लिए एक दिन जरूर वापस आएंगे. और दुर्गा का विश्वास और प्रार्थना के चलते ऐसा ही होता है. करण अर्जुन फिर से अलग अलग घर परिवार में जन्म लेते हैं और परिस्थिति के अनुरूप उन्हे अपना पिछला जन्म और पिछले जन्म के परिवार और दुश्मन सब याद आ जाता है. और वो दोनों भाई मिलकर अपने पिता, दादा और खुद उनकी हत्या का बदला लेता है. यह फिल्म परिवार के सदस्यों के बीच प्यार, वफादारी और आध्यात्मिक संबंध के विषयों को अनोखे रूप से बुनती है.

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पुनर्जन्म का एंगल उस समय बॉलीवुड के लिए अपेक्षाकृत नया था और इसने फिल्म में एक रहस्यमय परत जोड़ दी थी.
शाहरुख खान द्वारा निभाया गया अर्जुन सिंह /विजय के किरदार उनकी सबसे यादगार भूमिकाओं में से एक है. फिल्मांकन के समय, वह पहले से ही बॉलीवुड में एक प्रमुख स्टार के रूप में उभर रहे थे. उनकी अदाकारी के करिश्मे और भावनात्मक गहराई ने उनकी भूमिका को जीवंत बना दिया, जिससे दर्शकों को उनके चरित्र  के अलग अलग रंग, जैसे एक लापरवाह युवक से दृढ़ प्रतिशोधी पुत्र, देखने का मौका मिला.

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करन सिंह/अजय के रूप में सलमान खान ने अपने विशिष्ट आकर्षण और इनटेंसिटी के साथ   अपनी भूमिका निभाई. शाहरुख खान के साथ उनकी केमिस्ट्री लाजवाब थी, जिससे एक ऐसा बंधन बना जो स्क्रीन पर वास्तविक लगता था. यह फिल्म बॉलीवुड के इन दो दिग्गजों के बीच दुर्लभ साँझेदारी में से एक को चिह्नित करती है, जिससे उनका सौहार्द और भी खास हो जाता है.

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दुर्गा सिंह के रूप में राखी गुलज़ार का अभिनय अपूर्व और अतुलनीय था. अपने खोये हुए बेटों के दुःख में डूबी एक माँ का उनका दिल दहला देने वाला चित्रण दर्शकों को अंदर तक झकझोर गया. उनका दर्द और माँ के मन में उठ रहे ज्वार के साथ कहे गए संवाद "मेरे बेटे आएंगे, करण-अर्जुन आएंगे, ज़मीं की छाती फाड़ के आएंगे, आसमान का सीना चीर के आएंगे " शोक, क्रोध और मातृ आशा के साथ विश्वास और प्रेम का प्रतीक बन गया.

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राजेश रोशन द्वारा रचित और इनदीवर द्वारा लिखित "करण अर्जुन" के गीत-संगीत ने इसकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. साउंडट्रैक में कई हिट गाने थे जो रिलीज़ होने पर चार्ट-टॉपर बन गए जैसे वो गीत, 'जाती हूँ मैं', करण और सोनिया (काजोल) के बीच इस रोमांटिक युगल ने समय से परे प्यार के सार को दर्शाया. इसके अलावा  'एक मुंडा', 'गुप चुप गुप चुप', जिंदगी से ओत प्रोत वो गीत है जिसमें सलमान खान और ममता कुलकर्णी के बीच की केमिस्ट्री दिखाई गई. 'भांगड़ा पा ले' एक जोशीला ट्रैक के रूप में बहुत प्रसिद्ध हुआ जिसने फिल्म की कहानी में जीवंतता जोड़ दी.

करण अर्जुन के संगीत ने न केवल कहानी को पूरक बनाया बल्कि 90 के दशक में बॉलीवुड के संगीत परिदृश्य का एक अभिन्न अंग भी साबित हुआ

"करण अर्जुन" का निर्माण दिलचस्प किस्सों से भरा हुआ था जो कलाकारों के बीच जबर्दस्त केमिस्ट्री और निर्माण के दौरान आने वाली चुनौतियों को उजागर करता है.

इस फ़िल्म का टाइटल पहले 'कायनात' रखा गया था. बाद में इसे करन अर्जुन टाइटल दिया गया.

काजोल की भूमिका के लिए पहले जूही चावला को पसंद किया गया था.

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ममता कुलकर्णी वाली भूमिका करिश्मा कपूर को ऑफर किया गया था जिसे उन्होने ठुकरा दिया.

अजय देवगन को पहले सलमान खान वाला रोल दिया गया था जिसे वे व्यस्त होने के कारण नहीं कर पाए. सनी देओल को भी ये रोल ऑफर किया गया था.

इस फ़िल्म में रितिक रोशन ने असिस्टेंट डायरेक्टर का काम किया था.

सलमान खान और फ़ोटोग्राफ़र राकेश श्रेष्ठा के बीच इस फ़िल्म के सेट पर फोटो लीक को लेकर झगड़ा हुआ था.

सलमान खान ने एक्सरसाइज करके बॉडी बनाने के बाद पहली बार इस फ़िल्म में शर्ट लेस हुए.

फिल्म का सुपरहिट सॉंग 'जाती हूँ मैं, जल्दी है क्या'  को पहले राजेश रोशन ने रिजेक्ट कर दिया था और उसे बेकार अधूरा गीत समझा था.

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राखी गुलज़ार ने दुर्गा सिंह के किरदार में अपने अनुभव पेश किए. भावनात्मक दृश्यों के दौरान जहां उन्होंने अपने बेटों के लिए शोक मनाया, उन्होंने अपने निजी जीवन से सशक्त प्रदर्शन किया, जो दर्शकों को गहराई से पसंद आया.

करन अर्जुन में आसिफ शेख का 'व्हाट ए जोक' डायलॉग " बार बार दोहराया गया था.

"करण अर्जुन" को न केवल इसके कथानक के लिए बल्कि इसके यादगार संवादों के लिए भी याद किया जाता है जो लोकप्रिय संस्कृति का हिस्सा बन गए हैं.

"मेरे करण-अर्जुन आएंगे" राखी गुलज़ार द्वारा कही गई इस पंक्ति ने दर्शकों के दिल में एक दर्द भरा  हूक भर दिया था और आज भी इस डायलॉग को याद किया जाता है. पूरी फिल्म में एक वाक्यांश  'वॉट ए जोक' " भी दोहराया गया है. करण अर्जुन की कहानी, पारिवारिक बंधनों में आशा और विश्वास की फिल्म की थीम को दर्शाती है. इसके  रिलीज़ होने के बाद से इसे विभिन्न संदर्भों में अनगिनत बार हवाला दिया गया है, जो सभी बाधाओं के बावजूद प्रियजनों की वापसी में अटूट विश्वास का प्रतीक है.

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फिल्म की शूटिंग राजस्थान में हुई थी, जिसमें अलवर जिले का भानगढ़ गांव भी शामिल था. वह दुर्गा मंदिर जहां करण और अर्जुन प्रार्थना करते हैं वह अजमेर के पास पुष्कर में स्थित है.

इस फिल्म की सफलता ने शाहरुख खान की "किंग खान" के रूप में स्थिति को मजबूत करने में मदद की, जबकि सलमान खान को बॉलीवुड के लीडिंग स्टार्स में से एक के रूप में स्थापित किया. इस फ़िल्म ने पुनर्जन्म और पारिवारिक संबंधों के समान विषयों की खोज करने वाली अगली फिल्मों के लिए मार्ग प्रशस्त किया और एक कालातीत क्लासिक के रूप में आज भी दर्शकों के दिलों में दर्ज है और आज भी यह बॉलीवुड इतिहास में एक क्लासिक बनी हुई है. ड्रामा, एक्शन, रोमांस और अविस्मरणीय संगीत का इसका संयोजन यह सुनिश्चित करता है कि इसे दुनिया भर के दर्शकों द्वारा पसंद किया जाता रहे, जो भारतीय सिनेमा में इसकी विरासत का एक सच्चा प्रमाण है.

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चाहे आप इसे पुरानी यादों के लिए दोबारा देख रहे हों या इसे नए सिरे से परखना चाहते हैं , "करण अर्जुन" एक ऐसी फिल्म है जो हमें प्यार, विश्वास और पारिवारिक बंधन की शक्ति की याद दिलाते हुए मनोरंजन करने का वादा करती है - ऐसे तत्व जो किसी भी युग में कालातीत हैं.

करण अर्जुन को 13 जनवरी 1995 को भारत में नाटकीय रूप से रिलीज़ किया गया था और उसके खूबसूरत संयोजन के कारण यह फिल्म एक ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर बन गई. रिलीज होने पर, "करण अर्जुन" ने भारत भर के सिनेमाघरों में 50 सप्ताह से अधिक समय तक चलने के बाद बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड तोड़ दिए. फिल्म को समीक्षकों से सकारात्मक समीक्षा मिली और इसने ₹450 मिलियन  ($20 मिलियन) का कलेक्शन किया.यह 1995 की सबसे अधिक कलेक्शन करने वाली फिल्मों में से एक बन गई,"दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे" के बाद दूसरे स्थान पर. यह दशक की छठी सबसे ज्यादा कलेक्शन करने वाली फिल्म थी. यह फिल्म 22 नवंबर, 2024 को दुनिया भर में फिर से रिलीज होग.

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