शान: फिल्म ‘छिपकली’ के गीत ‘मैं जिंदा हूं’ को गाते हुए काफी एन्जॉय किया By Mayapuri Desk 09 Jan 2022 in इंटरव्यूज Videos New Update Follow Us शेयर -शान्तिस्वरुप त्रिपाठी बहुमुखी प्रतिभा के धनी गायक, गीतकार व संगीतकार शान किसी परिचय के मोहताज नही है। 1992 से अब तक वह हिंदी,पंजाबी, मराठी, आसामी, कन्नड़, तेलगू, बंगला, तमिल,गुजराती व उर्दू भाषा की सैकड़ों फिल्मों, टीवी सीरियलों व कई प्रायवेट एल्बमों के सफलतम गीत गा चुके हैं। वह टीवी रियालिटी षो में जज बनकर भी आए। इन दिनों वह बंगला संगीतकार मीमो की बतौर निर्माता व संगीतकार पहली हिंदी फिल्म ‘छिपकली’ में गीत ‘मैं जिंदा हूूं’ को स्वरबद्ध कर सूर्खियंा बटोर रहे हैं। प्रस्तुत है ‘‘मायापुरी’’ के लिए शान से हुई एक्सक्लूसिब बातचीत के अंष फिल्म ‘छिपकली’ के लिए आपने एक खास गाना गाया है। उसके बारे में कुछ बताना चाहेंगें? फिल्म के निर्माता मीमो मूलतः बहुत बेहतरीन संगीतकार हैं। उन्होने कई बंगला फिल्मों में संगीत दिया है। मैंने उनके संगीत निर्देषन में कई बंगाली भाषा की फिल्मों के लिए भी गाया है। अब उसने एक बहादुरी कदम उठाते हुए हिंदी भाषा की फिल्म ‘छिपकली’ बनायी हैं। मेरे लिए मीमो छोटे भाई जैसा है। आज की तारीख में फिल्म निर्माण में अपना पैसा लगाकर कई लोग बुरी तरह से घायल भी हुए हैं। इसलिए मैं मीमो को लेकर कुछ ज्यादा ही कंसर्न हूँ। लेकिन बिना छलांग लगाए कहीं पहुॅचा भी नही सकता। मीमो को फिल्म जगत में कुछ बेहतरीन रचनात्मक काम करना है। तो मैने सोचा कि मैं अपनी तरफ से कुछ अच्छा रचनात्मक योगदान दे दू। मैने इस फिल्म में एक गाना ‘मैं जिंदा हूँ’ को मीमो के ही संगीत निर्देषन में गाया है। यह बहुत खबसूरत व जज्बाती गाना है। फिल्म में यह गाना उस सिच्युएषन में आता है, जहां किरदार को लगता है कि उसने खुद ही अपनी बीबी की हत्या की है। फिल्म में जिस तरह के हालात है, उससे यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि उसके अलावा कौन हत्या कर सकता है? क्योंकि कमरे में वह पति पत्नी ही थे और पत्नी की मौत हुई है। लेकिन उसको पता हैै कि उसने ऐसा कुछ नहीं किया है। जिसके चलते वह बहुत ही ज्यादा कन्फ्यूज है। लोग कह रहे हैं कि देखो यह कैसा इंसान है? अपनी पत्नी का खून कर दिया है। तो उसका जो कन्फ्यूजन व गिल्ट है, उसी पर यह ‘‘मैं जिंदा हूँ’’ गाना है। इसकी सिच्युएषन बहुत भयंकर है। सोहम ने बहुत अच्छा गाना लिखा है। उसके अंदर जो कुछ भी उथल पुथल मची हुई है, वह सब इस गाने में आता है। उपर से यह किरदार लेखक भी है। जो लेखक इमानदारी से अच्छा लेखन करते हैं, उनके अंदर मसाला कम होता है, तो वह लोगों को कम पसंद आता है। इस वजह से भी लेखक महोदय फंसे हुए हैं। यह बैकग्राउंड सोंग है, मगर इसे गाते हुए मजा आया। जब गाने के साथ अच्छे विज्युअल हों, तो गाने में मदद मिलती है। मीमो के संगीत निर्देषन में आपने पहले भी गाया है.तो इनके साथ आपकी किस तरह की ट्यूनिंग रही है? मीमो के साथ मेरी ट्यूनिंग हमेषा अच्छी रही है। मीमो यंगस्टर हैं। उनके संगीत में एक ताजगी है। उनके संगीत में कलात्मकता होती है। इस गाने में कलकत्ता के मषहूर गिटारिस्ट राजा चैधरी ने गिटार बजाया है। सच कहॅूं तो हर संगीतकार के साथ मेरी ट्यूनिंग गाने पर होती है। यदि गाना अच्छा बन जाता है, तो हमारी ट्यूनिंग बन जाती है। उनके साथ काम करने का अंदर से जोष आता है। फिर उस काम में मजा आता है। यदि काम करने में मजा न आए,तो आप उपर उपर से करके निकल जाओगो। खैर, इस गाने ‘मैं जिंदा हूँ’ को गाने में मजा आया। किसी भी गीत को गाने की प्रेरणा गाने की लाइनों से मिलती है या फिल्म की कहानी से? मुझे गाना गाना है, इसलिए मुझे उसे गाने के लिए उत्साह तो उसकी लाइने ही देती हैं। लेकिन गाना स्वरबद्ध करने से पहले यदि कहानी और फिल्म की कहानी में गाना किस सिच्युएषन मे आएगा, इसकी जानकारी मिल जाती है, तो गायक के तौर पर हमारे लिए यह सोने पे सोहागा हो जाता है। गाना किस जगह आ रहा है, उसको समझकर गाने से गाने को गाने में मजा आता है और गाना अच्छा बनता है। इसलिए हमेषा मेरी कोषिष रहती है कि मैं गाने की सिच्युएषन व कहानी को समझ लूं। फिल्म ‘छिपकली’ का यह ‘मैं जिंदा हूँ’ गाना, तो बैकग्राउंड सॉंग है। यदि यह लिपसिंग होता, तो कई दूसरे सवाल भी करने पड़ते। मसलन- किरदार की उम्र क्या है, उसकी आवाज किस तरह की है? फिल्म में गाना किस कलाकार को गाते हुए दिखा जाएगा। इन सब चीजों की जानकारी लेकर गाने से गाना निखर जाता है और फिल्म की कहानी व किरदार के साथ मेल भी खाता है। इन दिनों ‘लिप सिंग’ वाले गाने बहुत कम बन रहे हैं। ज्यादातर गाने बैकग्राउंड वाले ही आ रहे हैं। मगर लिपसिंग गाने का अपना अलग ही मजा होता है। आप बहुमुखी प्रतिभा वाले गायक, संगीतकार,गीतकार हैं। आपने अभिनय भी किया.कई टीवी कार्यक्रमों का संचालन किया.कई टीवी रियालिटी षो के जज भी रहे। यदि आप अपने पूरे करियर पर निगाह डालते हैं,तो क्या पाते हैं? सच कहूँ तो मैं कोई बहुत बड़े सपने देखते हुए बॉलीवुड से नही जुड़ा था। मैं आज भी ज्यादा सपने नहीं देखता। मैने कभी नहीं सोचा था कि मुझे इतना कुछ काम करने का अवसर मिलेगा। लेकिन मुझे जितना कुछ मिला है, उसके लिए मैं ईष्वर का आभारी हॅूं। मेरी अब तक की इस सफल यात्रा में कई लोगों का बेहतरीन साथ और प्यार रहा है। लोगों ने अच्छे समय में तो साथ दिया ही, पर जब समय ज्यादा अच्छा नहीं चल रहा था, उस वक्त भी मुझे याद रखा। यह बात एक कलाकार के लिए बहुत मायने रखती है। हमने यहां देखा है कि जब एक कलाकार अपने कैरियर की बुलंदियों पर होता है, तब लोग उसके पीछे भागते हैं मगर जैसे ही उसके कैरियर में गिरावट आती है, तो लोग तुरंत उससे दूरी बना लेते हैं.मुझे लोग हमेषा याद करते रहे, इसके लिए मैं खुद को सौभाग्यषाली मानता हॅूं। लोगो ने हमेषा मुझे बुलाकर काम दिया। मैं हर दूसरे दिन कुछ न कुछ अच्छा काम कर रहा हॅूं। षायद पिछले जन्म के कुछ अच्छे कर्म रहे होंगे। आपको नही लगता कि इसके पीछे कहीं न कहीं आपका अपना अच्छा स्वभाव व विनम्र व्यवहार भी एक वजह है? मुझे ऐसा नही लगता। क्यांेकि यहां हर किसी को अच्छा काम करना जरुरी है। हाॅ! स्वभाव का यह है कि जब आपका स्वभाव अच्छा नही होता है, मगर आपके अंदर काबीलियात होती है और आपका सितारा बुलंदी पर होता है, तो लोग आपको झेलते हैं। ऐसे में लोग उसे सिर्फ काम के वक्त ही याद करते हैं। फिल्म इंडस्ट्ी में मेरे ढेर सारे दोस्त हैं, जो ज्यादा काम न करते हुए भी जब चाहे तब एक दूसरे से फोन पर लंबी बात करते रहते हैं। हमारे बीच हंॅसी मजाक का दौर चलता रहता है। यह एक अच्छी बात है। मेेरे हिसाब से सभी अच्छे स्वभाव के ही हैं। कम से कम संगीत जगत में बुरे लोग कम ही हैं। हम सभी अच्छा काम करने के लिए प्रयासरत रहते हैं। माना कि इन दिनों काम की बजाय आपके नाम, षोहरत व सोषल मीडिया की पापुलारिटी के हिसाब से काम मिल रहा है। कुछ लोग आपको मिल रहे लाइक्स व व्यूज को देखकर काम देेते हैं। लोग सोचते हैं कि सोषल मीडिया पर इसके फलोवअर्स ज्यादा हैं, तो इससे गंवाते हैं,जिससे गाने को ‘पुष’ मिलेगा। सोषल मीडिया के व्यूज एक रचनात्मक इंसान पर किस तरह से असर डालते हैं? देखिए, हम सभी रचनात्मक लोग कमर्षियल काम कर रहे हैं, ऐसे में सोषल मीडिया के व्यूज हम पर असर डालते हैं। यदि हमें व्यूज नही चाहिए, तो हम अपना गाना सोषल मीडिया पर रखते ही क्यों? हम ख्ुाद बनाते व खुद ही सुनते। हम हमेषा अपने गाने सोषल मीडिया पर इस उम्मीद के साथ ही डालते हैं कि इस बार हमारा गाना लोगांे को पसंद आएगा। मैंने भी अपने चैनल पर अपने कुछ गाने डाले हैं, हर बार एक अहसास होता है कि इस बार कुछ वायरल वाली बात होगी। कमाल की बात यह है कि इंसान हमेषा उम्मीदों पर ही जीता है। एक उम्मीद खत्म होती है, तो वह दूसरे प्रोजेक्ट पर उससे दुगनी उम्मीद के साथ काम षुरू कर देता है। मैं खुद सोषल मीडिया को ज्यादा तवज्जो नही देता। क्योंकि मुझे अपने काम पर भरोसा है। मुझे इस बात का अहसास है कि मैं जो कुछ कर रहा हॅूं, उसमें एक स्टैंडर्ड है, जिसे यदि लोग नहीं समझ पा रहे हैं, तो कोई बात नही, यह उनकी समस्या है। अमूमन देखा गया है कि जिन गीतों को सर्वाधिक व्यूज मिल रहे हैं, उनमे कुछ खास बात नही हैं। वह तो अति साधारण गाने हैं। पर सोषल मीडिया इन दिनों युवा पीढ़ी के बीच लोकप्रिय है। जिस तरह के सतही गाने लोग पसंद कर रहे हैं, अगर उस तरह का काम मैं करता हूँ, तो क्या लोग मुझे स्वीकार करंेगे, यह एक अहम सवाल हैं मुझे लगता है कि लोग मुझसे गुणवत्ता वाले गानांे की ही अपेक्षा रखते हैं मैं छिछोरी हरकत नही करना चाहता। एक बार मैने ऐसा कुछ किया था, जिसके लिए मुझे गालियां मिली। पर मैने यह सोचकर किया था कि हर इंसान को सब कुछ करना चाहिए, जिससे पता चले कि वह क्या है? पर जो मैने किया, उससे न मुझे ख़ुशी मिली,न मुझे वह काम करते हुए मजा आया और न ही लोग ख्ुाष हुए। नित नए प्रयोग करने में ही मजा है। पिछले पांच वर्ष में आपने ऐसा कौन सा गाना गाया,जिसने आपको सर्वाधिक संतुष्टि प्रदान की? हम जब सामाजिक मुद्दांे पर गाने बनाते हैं ,और उसका असर समाज पर होता है, तो उससे खुषी मिलती है। हमने प्लास्टिक बैन पर एक गाना ‘‘धक धक धरती..’बनाया था। वह गाना यूएन और देष की मिनिस्ट्ी में भी पसंद किया गया। देष के केंद्रीय मंत्रालयांे ने इस गाने को प्रचार के तौर पर उपयोग किया। इससे पहले हमने एक गाना ‘टिक टिक प्लास्टिक ’ को ‘भावना फाउंडेषन’ के लिए बनाया था। इस गाने में कई गायकांे ने साथ दिया था। सभी ने दो दो लाइनें गायी थी। सामाजिक गाने महज गाने नही होते। बल्कि ऐसे गानों से हम लोगों को एक संदेष भी देते हैं। जब वह संदेष फैलता है, तो खुषी मिलती है। मसलन-मैने एक गाना इंदौर षहर के लिए स्वच्छता को लेकर गाया था। जब इंदौर षहर स्वच्छता में नंबर वन हुआ, तो संतुष्टि मिली। वरना हम हर गाने को क्रिएट करते समय अपनी तरफ से सौ प्रतिषत देेते हैं। हमेषा दिल से ही काम करता हॅूं। मेरी कोषिष रहती है कि गाने में कुछ तो नयापन हो। हमने युनाइटेड नेषन के लिए तीन गाने बनाए। एक एअर पोल्यूषन पर,एक गाना बायो डायवर्सिटी पर और एक गाना ‘टिक टिक प्लास्टिक’ बनाया। इन गानों को गीतकार स्वानंद किरकिरे ने लिखा, जिन्हे मैंने संगीत से संवारा और हमारे कई साथी गायकों ने गाया। हाल ही में आपने कोई दूसरा नया गाना गाया हो? जी हाँ! ‘स्टार प्लस’ पर एक सीरियल ‘‘कभी कभी इत्तेफाक’’ से आने वाला है। यह सीरियल बंगला सीरियल का हिंदी रीमेक है। इसमें मैने संगीत के उस्ताद किषोर कुमार के गीत ‘‘आते जाते खूबसूरत..’ के रीमेक को गाया है, जो कि सीरियल का षीर्ष गीत है। मैं किशोर दा का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल द्वारा रचित इस लीजेंडरी मेलोडी और आनंद बख्शी के बोल गाकर मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ। वास्तव में मेरे लिए यह एक सम्मान की बात है। मैं कितनी भी कोशिश कर लूं, लेकिन मैं पहले से बनाए गए मूल गाने के जादू को दोबारा नहीं चला सकता, इसलिए मैंने संगीतकार ध्रुव के निर्देषन में उनके द्वारा दिए गए विवरण के अनुसार गाया। मुझे पूरी उम्मीद है कि दर्शक इस गाने को खूब सराहेंगे। इसके अलावा, यह टाइटल ट्रैक शो के लिए बनाया गया है, जिसे आज के युग की जादुई कहानीकार लीना (दी) गंगोपाध्याय ने लिखा है, जो टेलीविजन इंडस्ट्री का एक बड़ा नाम हैं। इस सर्दी के मौसम में यह टाइटल ट्रैक लोगों को गर्मजोशी से भर देगा! #Shaan #Shaan interview #Singer Shaan हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article