मां बेटी की तकलीफों से लड़ने के जज़्बे की कहानी है 'विलेज रॉकस्टार्स' By Shyam Sharma 28 Sep 2018 | एडिट 28 Sep 2018 22:00 IST in रिव्यूज New Update Follow Us शेयर इस बार लेखक प्रोड्यूसर निर्देशक रीमादास की फिल्म ‘विलेज रॉकस्टार्स’ जैसी छोटी सी फिल्म बड़ी बड़ी फिल्मों को धराशाही करती हुई ऑस्कर के लिये सलेक्ट हुई है। असम के एक छोटे से गांव की गरीब विधवा मां और उसकी बेटी की कहानी जो गरीबी और उसकी दुविधा प्रभावशाली तरीके से दर्शाती है। असम के एक छोटे लेकिन खूबसूरत से गांव में धुनु को पेड़ों पर चढ़ना, लड़कों के साथ मस्ती करना तथा अपना थरमाकोल का गिटार बजाना काफी अच्छा लगता है। उसकी एक ही तमन्ना है कि उसे कब असल गिटार हासिल होगा। अपनी मां के काम में हाथ बंटाती इस बच्ची का सपना क्या कभी पूरा होगा। रीमादास की ये फिल्म भारत की तरफ से ऑस्कर 2019 के लिये बेस्ट केटेगिरी के लिये भेजी गई है। फिल्म की कहानी आशाओं, इच्छाओं तथा कठिनाईयों के सामने निडरता का आभास कराती है। फिल्म थोड़ी धीमी है बावजूद इसके कल्पनाओं को बांधती प्रतीत होती है। दरअसल फिल्म को बनने में करीब तीन साल लगे। रीमादास ने कहानी में शानदार विजूअल तथा इमोशन पैदा किया है। धुनु की मां उसकी परवरिश एक बेटे की तरह करती है इसके लिये उसे समाज के ताने भी सुनने पड़ते हैं। लेकिन वो आखिर तक धुनु का साथ देती है। विलेज रॉकस्टार्स आपको रूलाती है तो आपको उत्साहित भी करती है। बेसिकली फिल्म एक मां और उसकी छोटी बच्ची की तकलीफों की कहानी से ज्यादा उन तकलीफों से लड़ने के जज़्बे की कहानी है। फिल्म को विभिन्न फिल्मी मेलों में बेस्ट फिल्म तथा लीड एक्टर बाल कलाकार बनीता दास को बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड हासिल हो चुका है। फिल्म के ऑस्कर में सलेक्ट होने के बाद असम सरकार ने रीमा दास को पचास लाख रूपये देने का एलान किया है। इसके अलावा रीमा दास के पास विदेशों से काफी कॉल आ रहे हैं वहां के लोग उसकी हर तरह की मदद करने के लिये तैयार हैं। बिना क्रू और महज एक कैमरे से फिल्म शूट करने वाली रीमा दास अब अपनी फिल्म को नॉमिनेशन तक पहुंचाने के लिये तैयारी कर रही है। #bollywood #movie review #Village Rockstars हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article