मूवी रिव्यू: मैसेज वाली फिल्म 'उजड़ा चमन' By Mayapuri Desk 31 Oct 2019 | एडिट 31 Oct 2019 23:00 IST in रिव्यूज New Update Follow Us शेयर रेटिंग*** किसी ने कहा है कि दिलों की बात करता है जमाना पर मोहब्बत आज भी चेहरे से होती है। ये कहावत निर्देशक अभिषेक कपूर की फिल्म ‘ उजड़ा चमन’ पर बिलकुल फिट बैठती है। जबकि मूल मंत्र है कि इंसान को उसकी सूरत से नहीं बल्कि सीरत से आंका जाना चाहिये। लेकिन फिल्म में एक तीस वर्षीय इंसान को उसके गंजेपन को लेकर मजाक बना लिया जाता है। ये बात किस हद तक गलत है, यही फिल्म बताती है लेकिन कॉमेडी के तहत। कहानी दिल्ली के हंसराज कालेज में एक तीस वर्षीय हिन्दी लेक्चरर चमन कोहली (सनी सिंह) है जो अल्पआयु में ही गंजा हो गया है। अपने गंजेपन की बदौलत उसे लगातार कितनी ही तकलीफों से गुजरना पड़ रहा है। उसके कालेज में उसकी क्लास के स्टूडेंन्ट्स उसके गंजेपन का मजाक उड़ाते रहते हैं। सबसे बड़ी बात की तीस का होने के बाद भी उसकी शादी नहीं हो पा रही है। कितनी जगह रिष्तों में उसका गंजापन आड़े आ जाता है। जबकि एक ज्योतिशी सौरभ शुक्ला का तो यहां तक कहना है कि अगर तीस साल के भीतर उसकी षादी नहीं हुई तो इक्तीसवे साल में वो बैराग्य धारण कर लेगा, लिहाजा चमन अपने कालेज की अविवाहित लड़कियों के अलावा शादी विवाह में भी लड़कियों पर लाइन मारने की कोशिश करता है, लेकिन बात नहीं बन पाती। उसी दौरान उसकी जिन्दगी में एक लड़की अप्सरा( मानवी गगरू) आती है, जो उसके साथ शादी करने के लिये तैयार है, लेकिन इस बार चमन कुछ कारणों से उसके साथ शादी नहीं करना चाहता। आगे कहानी किस करवट बैठती हैं ये फिल्म देखने पर पता चलेगा। अवलोकन बेशक अभिषेक ने एक गंभीर बात व्यग्यं के तहत कहने की कोशिश की है लेकिन वे पूरी तरह से कह नहीं पाते क्योंकि व्यगंय कहानी के मर्म को नहीं दर्शा पाता। देखा गया है, आज बाहरी तड़क भड़क पर ही समाज रीझने लगता है लिहाजा ये पृवर्ती किसी गंजे व्यक्ति को हीनता का एहसास करवा सकती है । लेकिन यहां राइटर ने कुछ ज्यादा ही कर दिया, ऐसा लगता हैं कि गंजा होना किसी अभिशाप से कम न हो। राइटर को कहना कि बाल नहीं तो लड़की नहीं बुरी तरह अखरता है डायरेक्टर भी जैसे इसी लाइन पर आकर अटक गया। हीरो का किरदार भी कन्फयूजन पैदा करता है, क्योंकि एक तरफ तो पेशे की वजह से शिष्ट दिखाई देता है, लेकिन दूसरे ही पल वो नोकरानी को विलासता भरी निगाहों से देखने वाला औछा इंसान लगने लगता है। फिल्म का पहला भाग बोरियत भरा है, क्योंकि उसमें सिर्फ हीरो के गंजेपन का मजाक ही उड़ाया जाता रहा। दूसरे भाग में कहानी कुछ गंभीर होती है। फिल्म का संगीत कमजोर है। अभिनय सनी सिंह ने सपाट अभिनय किया है, जबकि वे चाहते तो कुछ और मेहनत कर सकते थे। दूसरा और सबसे प्यारा किरदार मानवी गगरू का रहा,एक ऐसा किरदार जो अपने आप प्यारा लगने लगे। मानवी ने अपना किरदार बहुत ही खूबसूरती से निभाया है । सनी सिंह के पेरेन्ट्स की भूमिकाओं में अतुल कुमार और गुरशा कपूर दर्शकों का खूब मनोरजंन करते हैं। इनके अलावा गौरव अरोड़ा, करिश्मा कपूर तथा एश्वर्या सखूजा आदि कलाकारों ने अच्छा सहयोग दिया। क्यों देखें मैसेज युक्त फिल्में देखने वाले दर्शक फिल्म देख सकते हैं। मायापुरी की लेटेस्ट ख़बरों को इंग्लिश में पढ़ने के लिए www.bollyy.com पर क्लिक करें. अगर आप विडियो देखना ज्यादा पसंद करते हैं तो आप हमारे यूट्यूब चैनल Mayapuri Cut पर जा सकते हैं. आप हमसे जुड़ने के लिए हमारे पेज width='500' height='283' style='border:none;overflow:hidden' scrolling='no' frameborder='0' allowfullscreen='true' allow='autoplay; clipboard-write; encrypted-media; picture-in-picture; web-share' allowFullScreen='true'> '>Facebook, Twitter और Instagram पर जा सकते हैं.embed/captioned' allowtransparency='true' allowfullscreen='true' frameborder='0' height='879' width='400' data-instgrm-payload-id='instagram-media-payload-3' scrolling='no'> #bollywood #movie review #Ujda chaman हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article