मूवी रिव्यू: हल्के फुल्के हास्य में डूबी 'जोया फैक्टर' By Mayapuri Desk 20 Sep 2019 | एडिट 20 Sep 2019 22:00 IST in रिव्यूज New Update Follow Us शेयर रेटिंग*** खासकर हम हिन्दुस्तानियों की लाइफ में लक फैक्टर का बहुत महत्व होता है । इसी विषय पर अभिषेक शर्मा की फिल्म ‘ जोया फैक्टर’ टाइटल को संपूर्णता प्रदान करते हुये खूब गुदगुदाती है । कहानी 26 अगस्त 1983 हिन्दुस्तान के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण दिन रहा है, क्योंकि इसी दिन इंडिया ने क्रिकेट का वर्ल्ड कप हासिल किया था । इसी दिन जोया यानि सोनम कपूर का जन्म हुआ, लिहाजा उसके किक्रेट प्रेमी परिवार में उसके पिता संजय कपूर और भाई सिकंदर खेर इंडिया का वर्ल्ड कप जीतने में अपनी बेटी के लक को मानते हैं। बाद में जोया को लकी चार्म का खिताब हासिल हो जाता है । इसके बाद तो गली में होने वाले क्रिकेट में जोया का लक फैक्टर हमेशा काम आने लगता है । बाद में जोया अपना करियर एक विज्ञापन कंपनी में बतौर जूनियर कॉपी राइटर शुरू करती हैं । एक बार उसे इंडियन टीम को एक विज्ञापन शूट करने वाली टीम में शामिल किया जाता है । वहां जोया की मुलाकात टीम के कैप्टन निखिल खोड़ा यानि दुलकर सलमान से होती है । पहले तो दोनों की हल्की फुल्की नोंक झोंक होती है। उसके बाद दोनों एक दूसरे की तरफ आकर्षित होने लगते हैं । निखिल की टीम लगातार हार का सामना कर रही है, एक दिन जोया टीम के साथ नाश्ता करती हैं तो वहां टीम को अपने फेमस लक फैक्टर के बारे में बताती है । टीम के सदस्य जोया के लक फैक्टर को आजमाते हैं, जो सही निकलता है,इसके बाद टीम उसे इंडियन टीम के लिये लक फैक्टर मानने लगती है, जबकि निखिल लक पर विश्वास न करते हुये टीम की जीत को मेहनत का फल मानता है । इस बीच निखिल से खुंदक खाता खिलाड़ी अंगद बेदी जोया और निखिल के बीच गलतफहमी पैदा कर देता है लिहाजा इसके बाद जोया इंडियन बोर्ड में अंगद के मामा द्वारा दिया गया टीम के लिये मस्कट बनने का एक करोड़ का प्रस्ताव स्वीकार कर लेती है । अब आगे टीम की जीत में जोया का लक फैक्टर काम आता है या टीम की मेहनत , ये फिल्म देखने के बाद पता चलेगा । अवलोकन अनुजा चौहान की किताब पर आधारित फिल्म को डायरेक्टर ने हास्य का रूप दिया है,जो दर्शकों को शुरू से अंत तक गुदगुदाती रहती है । फिल्म का पहला भाग काफी लाइट है, लेकिन जोया के लक फैक्टर के आते ही फिल्म रफ्तार पकड़ लेती है । हालांकि फिल्म में टीम के लिये जोया के लक फैक्टर वाले कितने ही दृश्य हास्यप्रद लगते हैं । इसी प्रकार कुछ अन्य बातें भी फिल्मी लिबर्टी से ऊपर हैं । यही नहीं सिनेमा लिबर्टी लेते हुये निर्देशक ने न सिर्फ टीम के किरदार इंडियन टीम के खिलाड़ियों से मिलते जुलते लिये हैं, बल्कि कमेंट्री करती हुई आवाज में भी सिद्दू की मिमिक्री की गई है । संगीत की बात की जाये तो काश और मेहरू आदि गीत खूबसूरत बन पड़े हैं । अभिनय जहां भोली भाली और एक हद तक बेवकूफ भूमिका में सोनम कपूर ने बहुत ही सुंदर अभिनय किया है, वो बहुत ही मासूम लगी है, वहीं कैप्टन निखिल की भूमिका में दुलकर सलमान लाजवाब लगे हैं । साउथ इंडियन सुपर स्टार ममुटी के स्टार बेटे सलमान भी एक बेहतरीन एक्टर हैं, इसका अहसास वे अपनी पहली हिन्दी फिल्म कारवां में करवा चुके हैं । सोनम के पिता और भाई के रोल्स में संजय कपूर और सिकंदर खेर अच्छा काम कर गये । इनके अलावा अंगद बेदी भी विशेष रहे । क्यों देखें हल्के फुल्के हास्य में डूबी इस फिल्म को मिस नहीं किया जा सकता । मायापुरी की लेटेस्ट ख़बरों को इंग्लिश में पढ़ने के लिए www.bollyy.com पर क्लिक करें. अगर आप विडियो देखना ज्यादा पसंद करते हैं तो आप हमारे यूट्यूब चैनल Mayapuri Cut पर जा सकते हैं. आप हमसे जुड़ने के लिए हमारे पेज width='500' height='283' style='border:none;overflow:hidden' scrolling='no' frameborder='0' allowfullscreen='true' allow='autoplay; clipboard-write; encrypted-media; picture-in-picture; web-share' allowFullScreen='true'> '>Facebook, Twitter और Instagram पर जा सकते हैं.embed/captioned' allowtransparency='true' allowfullscreen='true' frameborder='0' height='879' width='400' data-instgrm-payload-id='instagram-media-payload-3' scrolling='no'> #movie review #The Zoya Factor हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article