मूवी रिव्यू: डराती नहीं खिजाती है 'अमावस' By Shyam Sharma 08 Feb 2019 | एडिट 08 Feb 2019 23:00 IST in रिव्यूज New Update Follow Us शेयर रेटिंग* रागिनी एमएमएस 2 और 1920 जैसी हॉरर थ्रिलर फिल्मों के निर्देशक भूषण पटेल की अगली हॉरर फिल्म का नाम हैं ‘अमावस’ । इस फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं जो दर्शक पहले न देख चुके हों। फिल्म में ऐसा एक भी दृश्य नहीं जो दर्शकों को डरा सके लिहाजा फिल्म डराती नहीं खिजाती ज्यादा है। कहानी माइग्रेन और पैरानोइयाग्रस्त रईस करण अजमेरा यानि सचिन जोशी अपनी गर्लफ्रेंड जहाना यानि नरगिस फाकरी के कहने पर अपने महलनुमा बरसों से बंद पड़े समाहाउस में कुछ वक्त बिताने आता है। इस समरहाउस में एक नोकर अली असगर है जो हंसाने के चक्कर में ऊट पटांग हरकतें करता रहता है। फिल्म में एक भूतनी भी हैं जिसे करण माया कहकर बुलाता है माया यानि नवनीतकौर ढिल्लन तथा समीर यानि विवान भाटेना दोनों आमने सामने आते हैं। आठ साल पहले इन तीनों के बीच क्या हुआ था। ये राज आठ साल बाद जाकर खुलता है। कहानी में आगे एक के बाद एक करके राज आते रहते हैं और जब तक वे खुलते हैं तब तक दर्शक का धैर्य जवाब दे जाता है। डायरेक्शन जैसा कि बताया गया है फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं दिखाया गया जो इससे पहले दर्शक हॉरर फिल्मों में न देख चुका हो। इंटरवल तक कहानी जबरदस्ती खींची जाती है, इसके अलावा दूसरे भाग में वही जाना पहचाना चू चू करता झूला, भटकती आत्मा, दूसरे के शरीर में घुसती आत्मा, भारी भरकम पेड़ तथा कटा हुआ धड़ आदि सारे नुक्से सामने आते हैं जो डराने की बजाये झुंझलाहट पैदा करते हैं। कहने का मतलब फिल्म में ऐसी एक भी बात नहीं जो राहत दे सकती हो। अभिनय सचिन जोशी इस बार भी अपनी भूमिका में पूरी तरह बेअसर साबित हुये हैं, इसी प्रकार नरगिस फाकरी को भी जाया किया गया है। नवनीत कौर ढिल्लन, विवान भाटेना तथा अली असगर आदि कलाकार भी साधारण रहे। क्यों देखें फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं जिसे देखने के लिये दर्शक सिनेमाघर का रूख करें । #movie review #Sachiin Joshi #Amavas हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article