मूवी रिव्यू: तीखा और सच्चा संदेश देती है 'छिछोरे' By Shyam Sharma 06 Sep 2019 | एडिट 06 Sep 2019 22:00 IST in रिव्यूज New Update Follow Us शेयर रेटिंग 3.5 बॉलीवुड में कुछ मेकर्स अपने अलग काम से अपनी अलग पहचान रखते हैं। उनमें नितेश तिवारी भी एक नाम है। दंगल के बाद नितेश प्रबुद्ध फिल्म मेकर्स में शुमार हैं । उनकी हालिया फिल्म ‘ छिछोरे’ कहीं न कहीं उनके निजी जीवन से प्रेरित है। इसके अलावा फिल्म में एक मैसेज भी है । कहानी अनिरूद्ध (सुशांत सिंह राजपूत)ने अपने कॉलेज टाइम में अपने दोस्तों सेक्सा(वरूण शर्मा) डेरेक(ताहिर राज भसीन) एसिड(नवीन पालीशेट्टी) बेवड़ा (सहर्ष शुक्ला) क्रिस क्रास(रोहित चौहान) तथा मम्मी(तुषार पांडे) आदि के साथ खुब छिछोरापंती की थी, यहां तक होस्टल में उनका नाम तक छिछोरे पड़ गया था । वहीं अनिरुद्ध को माया (श्रद्धा कपूर )से प्यार भी हो जाता है । बाद में किस प्रकार वे अपने इस छिछोरे नाम से पीछा छुड़ाते हैं । वक्त बीतता है । कहानी आगे बढती है । अनिरुद्ध और माया का तलाक हो चुका है, लेकिन उनका एक किशोर बेटा राघव(मोहम्मद समद) है जो पिता के साथ रहता है । राघव एक होनहार छात्र है और अब एन्ट्रेंस एग्जाम में सलेक्ट होने के तहत भारी प्रेशर से गुजर रहा है, अनिरुद्ध उसके साथ है, यहां तक कि वो उसके सलेक्ट होने के बाद सेलिब्रेशन की तैयारी में जुटा है । लेकिन जब राघव पास नहीं हो पाता और लूजर कहलाने की हताशा में सुसाईड करने की कोशिश करता है, तब उसकी क्रिटिकल पोजीशन को देखते हुये अनिरुद्ध अपने सभी दोस्तों को जमा कर राघव के सामने अपने कालेज के जमाने में अपनी कहानी बताते हुए कहता है, कि अपने वक्त में व खुद कितने बड़े लूजर थे । बाद में उन्होंने वो टैग कैसे हटाया । अवलोकन इसमें कोई दो राय नहीं कि नितेश तिवारी ने इस बार भी एक हद तक मनोरंजक और सबसे ज्यादा स्ट्रॉन्ग मैसेज युक्त फिल्म बनाई, जिसमें 1990 के वक्त को काफी बेहतर ढंग से दर्शाया, जिसमें उस वक्त की चीजें और छात्रों का लुक महत्वपूर्ण है । फिल्म की कथा,पटकथा और संवाद अच्छे हैं लेकिन संगीत औसत दर्जे का है। सबसे सटीक फिल्म की कास्टिंग है । बावजूद इसके इससे पहले आई ऐसे ही सब्जेक्ट्स पर थ्री इडियट्स या जो जीता वो ही सिकंदर जैसी फिल्मों की तरह इसमें वो ग्रिप या पकड़ नहीं है । फिल्म में वो सब है जो ऐसी फिल्म में होना चाहिये, फिर भी कहीं न कहीं कोई कमी आखिर तक खटकती रहती है । अभिनय सुशांत सिंह राजपूत कालेज ब्वॉय और अधेड़ उम्र दोनों भूमिकाओं में खूब जमे हैं खास कर इमोशनल सीन्स में । श्रद्धा कपूर अपनी दोनों भूमिकाओं में छुई मुई सी,लेकिन खूबसूरत लगी है । इनके बेटे के रोल में मोहम्मद समद ने बहुत ही निर्दोष अभिनय किया है । इनके सहयोगियों में वरुण शर्मा हंसाने में कामयाब है, वहीं ताहिर राज भसीन, नवीन पॉलीशेट्टी,सहर्ष शुक्ला,रोहित चौहान तथा तुषार पांडे आदि महत्वपूर्ण अदाकार साबित हुये हैं। क्यों देखें कॉलेज टाइम की मस्ती और बेहतरीन संदेश की लिये फिल्म देखना जरूरी हो जाता है । #movie review #Chhichhore हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article