मैंने किताब पढ़कर ग़रीबी नहीं जानी है कि क्या होती है, मैं उनके बीच रहा हूँ इसलिए उनकी समस्याएं भी समझता हूँ – नरेंद्र मोदी By Siddharth Arora 'Sahar' 16 Sep 2021 | एडिट 16 Sep 2021 22:00 IST in फोटो फोटोज़ New Update Follow Us शेयर इस देश की राजनीति और भविष्य का एक वक़्त ऐसा भी आया था जब किसी को किसी चीज़ से कोई मतलब नहीं था। नहीं वाकई, 2010 के बाद पैदा होने वाली हमारे देश के युवा बच्चे शायद आने वाले दिनों में इस बात को न मानें कि 2014 से पहले देश की 90 प्रतिशत जनता को ये भी नहीं पता होता था कि हमारे देश का गृह मंत्री कौन है और रक्षा मंत्री कौन है? हमारे देश में भाषाएँ कितनी हैं? हमारे देश में वो कौन सी स्टेट है जहाँ देश का संविधान पूरी तरह लागू नहीं होता है, स्पेशल स्टेट कहलाती है। इसके विपरीत देश में ये माहौल तो ज़रूर था कि भारत सरकार का पैसा हमारा अपना पैसा है। भारत सरकार की योजनायें सिर्फ कागज़ पर उतरती हैं या इलेक्शन इयर में ही उन योजनाओं पर काम शुरु होता है। आपको शायद ये अतिश्योक्ति लगे पर मैं ख़ुद इस बात का गवाह हूँ कि 2006-07 में कोई कम्पनी खोलना इतना आसान था जैसे अपने घर का ताला खोलना। उस कम्पनी को बनाने के बाद व्यापारी बड़े आराम से एक साल तक उससे बिजनेस करता था और ‘वैल्यू एडेड टैक्स (VAT)’, सर्विस टैक्स और कुछ cess लगाने के बाद धड़ल्ले से पैसा जमा करता था और साल मार्च आने से पहले ही अपनी कम्पनी बंद कर देता था। ऐसा वो कोई पाँच-सात साल भी कर ले तो उसकी कमाई कई करोड़ पहुँच जाती थी लेकिन उससे टैक्स वसूलने वाला कोई नहीं होता था। हमने वो टाइम भी देखा है जब दिल्ली में कॉमन वेल्थ गेम्स का आयोजन होता है और वो कुर्सी जो 400-500 रुपए में बड़े आराम से आ जाती है, उसे 1400 से 1600 रुपए तक पे डेली किराये पर लिया जाता है। ये मात्र एक उदाहरण है, इस तरह से कोई 70 हज़ार करोड़ रुपये का घोटाला होता है और बरसों से सोई देश की जनता अचानक जागती है कि ‘यार, ये तो ग़लत हो रहा है’। इसके बाद ही दिल्ली में अन्ना हज़ारे जी का भ्रष्टाचार के खिलाफ और लोकपाल बिल के पक्ष में धरना प्रदर्शन होता है और एक बार फिर, आम जनता, 300 रुपए देकर भाड़े पर बुलाई भीड़ नहीं, बाकायदा अपना-अपना काम छोड़कर इकट्ठी हुई जनता दिल्ली में जब लाखों की मात्रा में इकट्ठी हुई थी तब बरसों से सोते लोकतंत्र ने फाइनली एक लम्बी अंगड़ाई ली थी और वोट देने वाली पब्लिक ने अरसे बाद गुजरात के एक कद्दावर नेता, नरेंद्र दामोदरदास मोदी पर भरोसा जताया था। जिस नरेंद्र मोदी को हम जानते हैं उनका जन्म उसी 26 मई 2014 को हुआ था। नरेंद्र मोदी के आने के बाद से एक समय पब्लिक में जो क्रेज़ स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी के लिए था, वही नरेंद्र मोदी के लिए भी देखने को मिलने लगा। नरेंद्र मोदी के बतौर प्रधानमंत्री किए गए कामों की बात करें तो उन्होंने सबसे पहले देश में सड़क निर्माण का काम आड़े हाथों लिया। 2014 से पहले रोज़ 11।26 किलोमीटर सड़क निर्माण होता था, वो भी कागज़ों में। कागज़ों की बात इसलिए की क्योंकि ऐसा कई बार ख़बरों में आया था कि सरकार के अनुसार जो रोड बनकर तैयार हो चुकी है उस जगह पे अबतक मिट्टी भी नहीं पड़ी है। लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार में पहले ही साल 26 किलोमीटर प्रतिदिन की गति से हाईवे बनने शुरु हुए और 2020 तक ये गति 45 किलोमीटर प्रति दिन तक पहुँच चुकी थी। हैरान आप इस आंकड़ें पर तो हो सकते हैं कि मोदी जी ने सड़क निर्माण की गति चार गुना की है, पर हैरान आपको इस बात पर होना चाहिए कि आज़ादी के 70 साल बाद भी अभीतक इतने हाइवे बनने रहते थे! मोदी जी ने सड़क निर्माण में सबसे ज़्यादा ध्यान नार्थ ईस्ट स्टेट्स और पहाड़ी इलाकों को जोड़ने में किया है। इसी बात पर उत्तराखंड के एक कवि ‘महेशचंद पुनेठा जी ने लिखा था कि “सड़क तुम अब आई हो गाँव, जब सारा गाँव शहर जा चुका है” दिल को छू लेने वाली ये पंक्ति मार्मिक से ज़्यादा कटाक्ष है हमारी व्यवस्था पर। सड़कों की बात से ऊपर उठें तो देश में एक बड़ी समस्या अन्धकार भी थी। देश के 18 हज़ार से अधिक गाँव में बिजली नहीं थी। उन गाँव वालों ने कभी देखा ही नहीं था कि टीवी क्या होता है, मोबाइल और लैपटॉप किसे कहते हैं। लेकिन लाखों गाँव ऐसे भी थे जहाँ बिजली कनेक्शन तो थे, पर बिजली आती नहीं थी। आती थी तो इतनी क्षणिक कि जबतक पूरे गाँव को ख़बर पहुँचती कि बिजली आ गयी है, इलेक्ट्रिकसिटी चली जाती थी। इसलिए नरेंद्र मोदी ने उन अट्ठारह हज़ार गाँवों में तो बिजली कनेक्शन पहुँचाया ही, 4 करोड़ परिवारों को फ्री बिजली कनेक्शन भी दिया पर साथ-साथ पिछड़े इलाकों की बिजली व्यवस्था भी सुधारी। गैरज़रूरी पॉवर कट से आज़ादी दी। आज कोई ऐसा गाँव नहीं है जहाँ बिजली नहीं पहुँची। आज गिने चुने इलाके रह गये हैं जहाँ 20 घंटे से कम बिजली सप्लाई है। 2016 में हमारे देश पर फिर एक आतंकी हमला हुआ लेकिन इस बार आम नागरिकों को नहीं बल्कि सोते हुए वीर जवानों को निशाना बनाया गया। उरी में आर्मी बेस कैंप पर हुए हमले में 17 जवान शहीद हो गये। इस निंदनीय हमले का जवाब देते हुए नरेंद्र मोदी जी ने दस दिन के अन्दर-अन्दर पीओके में घुसकर आतंकियों के लॉन्चपैड तबाह कर दिए। ये पहला मौका था जब भारत ने पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दिया था। लेकिन इन आतंकी हमलों के पीछे सबसे बड़ी वजह फेक मनी थी। पाकिस्तान में भारतीय नोटों को ख़ूब छापा जाता था और यह नोट इन्हीं आतंकी कामों में लाये जाते थे। इसीलिए, अगला नंबर नोटबंदी का लगा, क्योंकि मोदी जी का मानना था कि हज़ार और पाँच सौ के नोटों के रूप में बहुत सारा काला धन छुपा हुआ है। इस फैसले का जमकर विरोध हुआ। गली गली नारेबाजी हुई, विपक्ष ने इसे मोदी सरकार का सबसे बड़ा स्कैम घोषित किया। बताया कि नोटबंदी से बैंकों को भरा गया है। वहीं दूसरी तरफ, मोहल्लों की गलियों में बोरी भर-भर के अज्ञात व्यक्ति द्वारा फेंके गये पाँच-सौ हज़ार के नोटों की कटी-फटी गड्डियां भी मिलीं और सीमा पर भी आतंकियों के बंकर्स कैप्चर होने पर उनमें पुराने नकली नोट मिले। 2016 नवम्बर में हुए इस फैसले से आम जनता को लम्बी-लम्बी लाइन्स में लगकर परेशान होना पड़ा। वहीं डिजिटल इंडिया को प्रोमोट कर मोदी जी ने मोबाइल के लिए BHIM app लॉन्च किया जिससे 25000 तक के लेन-देन तुरंत होने लगे। इसके ठीक बाद ही 2017 में मोदी जी ने GST यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स बनाकर बाकी सारे टैक्सेज से छुटकारा दे दिया। जीएसटी के आते ही बहुत से टोल टैक्स ख़त्म कर दिए गये। विरोध इस फैसले का भी हुआ लेकिन जो लोग अपनी स्टेट से दूसरी स्टेट में व्यापार करना चाहते थे, उन्हें कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। अब महाराष्ट्र में ही, ओक्ट्रॉय करके एक टैक्स अलग लगता था, लेकिन जीएसटी के आने से छोटे-मोटे सारे टैक्सेज ख़त्म कर दिए गये और एक सिंगल टैक्स रह गया जो पूरे देश में चल रहा है। इस फैसले से एक तरफ लोकल बिजनेस बढ़ा तो दूसरी तरफ टैक्स रिवेन्यु भी बेहतर रिकवर होने लगा। इसके बाद देश के अधिकतर गाँव में शौचालय नहीं थे। मोदी सरकार ने 6 लाख गाँव में क़रीब दस करोड़ शौचालय बनवाए। यही कारण रहे कि विपक्ष की लाख कोशिशों और गठबन्धनों के बावजूद, नरेंद्र मोदी 2019 में 2014 से बेहतर जीते और इस बार कश्मीर और लद्धाख की समस्या का समाधान कर दिया। एक स्पेशल राज्य के दर्जे से अलग कर धारा 370 हटा दी। वहीं लद्दाख को यूनियन टेरेटरी घोषित कर दिया। इसी काल में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भी राम मंदिर पर फैसला आ गया और मंदिर बनाने की मंजूरी मिल गयी। श्री मोदी ने राम मंदिर की नींव रख अपने 2014 के मेनिफेस्ट में लिखी हर बात को पूरा कर दिखाया। वहीं मोदी जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फिल्मी दुनिया को भी विस्तार देते हुए और मुंबई फिल्म सिटी की मोनोपोली कम करते हुए उत्तरप्रदेश में भी एक फिल्मसिटी बनाने का निर्णय लिया और सिर्फ फिल्म सिटी ही नहीं, फिल्मस्टार्स को भी अपने साथ जोड़ लिया। आप फिल्मों की तरफ गौर करें तो 2014 के बाद से एक से बढ़कर एक देशभक्ति पर बेस्ड फ़िल्में बनने लगी हैं। हमारे भुलाए गये वॉर हीरोज़ पर फ़िल्में बन रही हैं। हमारी सभ्यता को दर्शाती फ़िल्में दिखाई जा रही हैं ताकि आने वाली पीढ़ी जान सके, समझ सके कि देश के असली हीरोज़ कौन थे, देश की विरासत क्या है और देश की संस्कृति क्या कहती है। फिर भी मेरा मानना है कि करोड़ों टॉयलेट बनाने, लाखों किलोमीटर सड़कें बनाने और रेलवे लाइन बिछाने, हज़ारों गाँव में बिजली पहुँचाने, जनता को डिजिटल इंडिया के द्वारा जोड़ते हुए मोबाइल से ही सारी सुविधाएँ पहुँचाने, राम मंदिर बनवाने, दूसरे देशों से सम्बन्ध सुधारने, दुनिया में भारत की छवि सुधारने, हमारी सेना को मजबूत करने और देश की आने वाली पीढ़ी के लिए नई शिक्षा नीति लाने जैसे सैकड़ों अच्छे काम करने भर से ही नरेंद्र मोदी जनता के प्रिय नहीं हैं। नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के पीछे वजह ये है कि जब भी बच्चे, युवा, अधेड़ या वृद्ध नरेंद्र मोदी को सुनते हैं तो उन्हें अपने में से कोई शख्स मंच पर खड़ा नज़र आता है। नरेंद्र मोदी को देखकर ये नहीं लगता कि ये कोई राजा है। बल्कि वाकई एहसास होता है कि कोई हमसे से ही एक है जो हमारी समस्याओं को अपनी समस्या समझ काम में जुटा रहता है। नरेंद्र मोदी का भाषण लोगों में ऊर्जा भरता है। उनको सुनकर ऐसा लगता है कि जब वो कर सकते हैं, कम से कम कुछ कर गुजरने का संकल्प ले सकते हैं तो हम क्यों नहीं? यही वजह है कि आज बच्चे बच्चे को पता होता है कि देश के प्रधानमंत्री कौन है। देश के किशोर जानते हैं कि हमारे गृह मंत्री अमित शाह हैं और रक्षा मंत्रालय राजनाथ सिंह के पास है। नरेंद्र मोदी के कुछ फेमस कोट्स हैं जो ऊपर लिखी बातों को सार्थक करते हैं, ज़रा मुलाहजा फरमाइए – “देश में लाखों समस्याएं हैं पर सवा सौ करोड़ (आबादी) समधान भी मौजूद हैं” “मैंने गरीबी किताब में पढ़कर नहीं जानी कि क्या होती है, मैं आप सबके बीच रहा हूँ, इसलिए मुझे पता है क्या परेशानियां होती हैं” “रेलवे स्टेशन से रॉयल पैलेस तक कहना आसान लगता है, पर सफ़र बहुत परिश्रम भरा होता है। पर रेलवे स्टेशन वाला नरेंद्र मोदी मैं हूँ, मैं आज भी वही हूँ लेकिन जो रॉयल पैलेस में बैठा है वो मैं नहीं, सवा सौ करोड़ लोगों का संकल्प है, उनका प्रतिनिधि है बस” “वोट देते ही आपकी ज़िम्मेदारी ख़त्म नहीं हो जाती, लोकतंत्र का मतलब ही है कि लोगों को साथ लेकर चलना, मैं अकेला देश नहीं बना सकता, आप सब मेरे साथ चलिए हम मिलकर देश को सबसे आगे ले चलेंगे” “माना की अँधेरा घना है, लेकिन दीया जलाना कहाँ मना है?” “ये सवा सौ करोड़ लोग मेरा परिवार हैं, इनमें से किसी को भी कोई समस्या हो तो भला मैं कैसे चैन से बैठ सकता हूँ” “भारत आँख उठाकर या आँख झुकाकर नहीं, बल्कि आँख मिलाकर बात करने में विश्वास रखता है” “जय जवान, जय किसान के साथ जय विज्ञान भी ज़रूरी है” “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास चाहिए” “कड़ी मेहनत कभी थकान नहीं लाती, वह संतोष लाती है” ऐसे सैकड़ों विचारों से भरे नरेंद्र मोदी जब जनता से कहते हैं कि अगर उन्हें ज़रूरत नहीं है तो वो अपनी घरेलु गैस की सब्सिडी छोड़ दें और डेढ़ करोड़ लोग तुरंत सब्सिडी लेने से मना कर देते हैं। वो वरिष्ठ नागरिकों के लिए रेलवे टिकेट फॉर्म में लिखवाते हैं कि अगर आप चाहें तो सीनियर सिटिज़न कोटे की बजाए जनरल कोटे से भी रिज़र्व कर सकते हैं तो 40 लाख बुज़ुर्ग अपना कंसेशन छोड़ देते हैं। उनके कहने भर की देर होती है कि पूरा देश घर की बालकनी से खड़ा होकर तालियाँ बजाने लगता है, थाली मंजीरे बजाने लगता है। पूरे विश्व में में 78 करोड़ लोगों को छः महीने के अन्दर वैक्सीन लगाने का गर्व भी हमारे देश को ही हासिल है। इसकी वजह बस इतनी नहीं है कि नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री है। बल्कि इसकी वजह ये है कि देश का प्रधानमंत्री देश का बॉस न होकर प्रधानसेवक है जो आम लोगों से मिलता है, उनको सुनता है और उनकी समस्याओं को हल करने की कोशिश करता है। एक आम आदमी की तरह नरेंद्र मोदी से भी गलत फैसले हुए हैं, होते हैं, लेकिन इस देश की मेजर जनता को उनकी नीयत पर भरोसा है कि ये गलत नहीं हो सकती। नरेंद्र मोदी कहते हैं कि “मुझसे गलती हो सकती है, सबसे होती है मुझसे भी होगी, लेकिन मेरा इरादा कभी गलत नहीं होगा” ऐसे जनप्रतिनिधि को, ऐसे जननायक को, हमारे देश के आज़ादी के बाद पैदा हुए और बहुमत से चुने गये इकलौते प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को जन्मदिन की अशेष शुभकामनाएं। सिद्धार्थ अरोड़ा ‘सहर’ #Prime Minister Narendra Modi #Narendra Modi #birthday special pm narendra modi #birthday special prime minister narendra modi #Bollywood Celebrities Reaction on PM Narendra Modi Tweet #Bollywood Reaction on PM Narendra Modi Tweet #minister Mr.Narendra Modi #narendra modi news हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article