पद्म विभूषण उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान के नाम पर बांद्रा के कार्टर रोड में चौक का अनावरण हुआ आदित्य ठाकरे, सोनू निगम, हरिहरण, शान, सचिन आहिर इस मौके पर उपस्थित रहे By Mayapuri Desk 21 Apr 2022 in फोटो फोटोज़ New Update Follow Us शेयर -राकेश दवे हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में एक बेह्मद अहम हस्ताक्षर पद्मा विभूषण उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान के निधन के एक साल बाद मुम्बई के कार्टर रोड पर उनके नाम से एक चौक का अनावरण किया गया. इस चौक का उद्घाटन महाराष्ट्र सरकार के पर्यटन व पर्यावरण मंत्री श्री आदित्य ठाकरे के हाथों हुआ. इस विशेष मौके पर पद्म श्री हरिहरण, पद्म श्री सोनू निगम, गायक शान जैसी संगीत के क्षेत्र से जुड़ी कई विशिष्ट हस्तियां भी मौजूद थीं. बांद्रा के कार्टर इलाके में एडिशनल पुलिस कमिश्नर के ऑफ़िस के बगल में स्थित ' पद्मा विभूषण उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान चौक' का उद्घाटन बुधवार की सुबह किया गया. इस मौके पर उस्ताद जी के परिवार से उनकी पत्नी अमीना मुस्तफा खान, भाई उस्ताद आफताब अहमद खान, बेटे मुर्तुजा मुस्तफा खान, कादिर मुस्तफा खान, रब्बानी मुस्तफा खान और हसन मुस्तफा खान, बेटियां नज़मा, शादमा, शाहिना और राबिया, बहू नम्रता गुप्ता खान और परिवार के बाकी सदस्य भी मौजूद थे उत्तर प्रदेश के बदायूं में जन्मे उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान अपने परिवार में चार भाइयों और तीन बहनों में सबसे बड़े भाई थे. उन्होंने अपने पिता से शास्त्रीय शिक्षा की बुनियादी तालीम हासिल की थी और बाद में अपने चचेरे भाई उस्ताद निस्सार हुसैन ख़ान से संगीत की शिक्षा प्राप्त की. रामपुर सहसवान घराना से ताल्लुक रखनेवाले उस्ताद गुलाम मुस्तफ़ा ख़ान को अनगिनत पुरस्कारों से नवाज़ा गया था. उन्हें 1991 में पद्म भूषण, 2006 में पद्म भूषण और 2018 में पद्म विभूषण से नवाज़ा गया था. साल 2003 में, संगीत के क्षेत्र में सक्रिय कलाकारों को दिया जानेवाला सर्वोच्च पुरस्कार संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उल्लेखनीय है कि एक उम्दा किस्म के शास्त्रीय गायक और संगीतकार होने के अलावा उन्होंने लता मंगेशकार, आशा भोंसले, ए. आर. रहमान, हरिहरण, सोनू निगम, शान, अपने बेटों - मुर्तज़ा मुस्तफ़ा ख़ान, क़ादिर मुस्तफ़ा ख़ान, हसन मुस्तफ़ा ख़ान और पोते फ़ैज़ मुस्तफ़ा ख़ान जैसी कई नामचीन हस्तियों को भी गायिकी के गुर सिखाए थे. उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान ने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में अपना एक अलग मकाम बनाने के अलावा हिंदी व अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी अपना अमूल्य योगदान दिया. इन फ़िल्मों के लिए उन्होंने ना सिर्फ़ गाने संगीतबद्ध किये थे, बल्कि कुछ गाने भी गाए थे. फ़िल्मकार मृणाल सेन की फ़िल्म 'भुवन शोम' वह पहली हिंदी फ़िल्म थी जिसके लिए उन्होंने अपनी आवाज़ दी थी. इसके बाद उन्होंने कई फ़िल्मों के लिए गीत गाए, जिनमें डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का भी शुमार रहा. यह कहना ग़लत ना होगा कि उस्ताद जी अपने समय के आगे की सोच रखा करते थे. उन्होंने 'रेनमेकर' नामक एक जर्मन डॉक्यूमेंट्री में बैजू वावरा का रोल भी निभाया था. ए. आर. रहमान जब अपने गुरू को तीन पीढ़ियों के साथ पेश करना चाहते थे, तो ऐसे में उस्ताद जी ने रहमान के साथ 'कोक स्टूडियो' में भी परफॉर्म किया था. इस दौरान ए.आर.रहमान ने उस्ताद ग़ुलाम मुस्ताद ख़ान को उनके बेटों - मुर्तज़ा मुस्तफ़ा ख़ान, क़ादिर मुस्तफ़ा ख़ान, रब्बानी मुस्तफ़ा ख़ान और पोते फ़ैज़ मुस्तफ़ा ख़ान को एक साथ एक ही मंच पर पेश किया था. दुनियाभर में मशहूर कम्पोज़र गायक और पद्म भूषण से सम्मानित ए.आर.रहमान ने इस ख़ास मौके पर उस्ताद जी को अपनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा, 'उस्ताद जी जैसे महान गुरू अकूत ज्ञान और भारत की सांस्कृतिक विरासत के पीछे खड़ीं शाश्वस्त शक्ति की तरह हैं. अपने अनेक शागिर्दों को उन्होंने संगीत की जो तालीम दी, वो अनमोल है. ऐसे में उनके नाम पर ' पद्मा विभूषण उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा खान चौक' का नामकरण एक बेहद सराहनीय क़दम है और इसे उन्हें प्रदान की गयी एक सच्ची श्रद्धांजलि के तौर पर देखा जाना चाहिए.' जाने-माने गायक और उस्ताद जी के शागिर्द रहे हरिहरण कहते हैं, 'उस्ताद जी के नाम पर चौक का नामकरण एक बेहद उम्दा पहल है. इसे लेकर मैं बेहद ख़ुश हूं और इस वक्त अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है. वे हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के सबसे बड़े उस्ताद थे. जिस बड़े पैमाने पर उन्होंने गायिकी में अपना योगदान दिया और जिस तरह के गानों को उन्होंने ख़ूबसूरती के साथ संगीतबद्ध किया, उसकी जितनी तारीफ़ की जाए, कम ही होगी. दूसरे घरानों से ताल्लुक रखनेवाले शागिर्द भी उनके संगीतबद्ध किये गये गानों को गाना पसंद करते हैं. वे सच्चे मायने में एक महान शास्त्रीय गायक व संगीतकार थे और उनके नाम पर चौक का नाम रखा जाना हम भारतीयों के लिए किसी कर्तव्य से कम नहीं था. वे हमेशा लोगों की यादों में ज़िंदा रहेंगे. आनेवाली पीढ़ियों को शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के बारे में पढ़ना और जानना चाहिए.' मशहूर कम्पोज़र सलीम मर्चेंट ने इस मौके पर कहा, 'उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान हमेशा से ही हमारे ज़हन में बसते हैं और अब उनके नाम पर एक चौक का नामकरण किया जाना उनकी शख़्सियत को और भी ख़ास बना देता है. यह मेरे लिए, उनके परिजनों, उनके तमाम शागिर्दों और सभी संगीत-प्रेमियों के लिए बहुत ही ख़ुशी की बात है. मैं उम्मीद करता हूं कि मरणोपरांत भी उस्ताद जी का नाम यूं ही बुलंदियों पर बना रहे और उनकी याद हमेशा ही हमारे चेहरों पर मुस्कान लाती रहे.' नामचीन गायक शान ने अपनी ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए कहा, 'पद्म विभूषण उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान साहब की जादुई आवाज़ और उनकी उम्दा शख़्सियत से संगीत के प्रति उनके समर्पण और भक्ति को शिद्दत से महसूस किया जा सकता था. उस्ताद जी के नाम पर चौक का नामकरण किये जाने को लेकर मैं बेहद रोमांचित महसूस कर रहा हूं. निश्चित ही इससे आनेवाली कई पीढ़ियां उनके संगीत से प्रेरणा लेती रहेंगी.' इस विशेष मौके पर पद्म विभूषण उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान के परिवार के सदस्यों ने कहा, 'हमारे परिवार के लिए यह एक बेहद ख़ास और ख़ुशी का मौका है. आज के दिन हम बेहद गर्व महसूस कर रहे हैं. उस्ताद जी की हर छोटी-छोटी चीज़ ताउम्र हमारे ज़हन में ज़िंदा रहेंगी. वो ना सिर्फ़ हमारे लिए प्रेरणा के स्त्रोत थे, बल्कि उन्होंने लाखों गायकों व संगीताकारों को भी प्रेरित किया. हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान ने देश का दुनिया भर में मान बढ़ाया है. विदेशी गायकों व संगीतकारों के लिए 'उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान फ़ेलोशिप फॉर म्यूज़िक' की शुरुआत करने के लिए हम भारत सरकार और ICCR का हमेशा शुक्रगुज़ार रहेंगे. हम इस वक्त बेहद सम्मानित महसूस कर रहे हैं और उस्ताद जी के नाम पर चौक के नामकरण के लिए हम नगर सेवक श्री आसिफ़ ज़कारिया, महाराष्ट्र सरकार और बृहन मुम्बई पालिका का तहे-दिल से शुक्रिया अदा करते हैं.' संगीत के क्षेत्र मे अपनी अमिट छाप छोड़नेवाले पद्म विभूषण उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान ने साल 2021 में 89 साल की उम्र में मुम्बई में कार्टर रोड स्थित अपने घर में आख़िरी सांसें लीं थीं. ऐसे में उनके निवास स्थान के पास ही उनके नाम पर एक चौक के नामकरण से बड़ी और क्या बात हो सकती है भला! संगीत के क्षेत्र में उनकी विरासत को ना कभी भुलाया जा सकेगा और ना ही कभी उसे मिटाया जा सकेगा. #Shaan #Sonu Nigam #Hariharan #Aaditya Thackeray #Sachin Ahir #Padma Vibhushan Ustad Ghulam Mustafa Khan Chowk हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article