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फिल्म ‘376 डी’ की शूटिंग के दौरान अभिनेत्री प्रियंका शर्मा के मन में किस तरह का अंतद्र्वंद चलता था?

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By Mayapuri Desk
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फिल्म ‘376 डी’ की शूटिंग के दौरान अभिनेत्री प्रियंका शर्मा के मन में किस तरह का अंतद्र्वंद चलता था?

-शान्तिस्वरुप त्रिपाठी

इन दिनों उत्तरप्रदेश और राजस्थान में कई बलात्कार की घटनाएं सामने आयी है और बलात्कारी को सजा दिलाने की मांग भी हो रही है।सरकार ऐसे मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने की बातें भी कर रही हैं। मगर भारतीय लोकतंत्र व न्याय वयवस्था में जब तक अदालत के अंदर सामने वाले का अपराध साबित न हो जाए,तब तक उसे सजा नहीं दी जा सकती। और न्याय व्यवस्था के तहत हर आरोपी को अदालत के अंदर खुद को निर्दोश साबित करने के लिए एक वकील भी मुहैय्या कराया जाता है। यदि आरोपी वकील नही रख सकता, तो सरकार द्वारा उसे उसकी पैरवी करने के लिए वकील मुहैय्या कराया जाता है। पर कई बार महिला वकील अपने ग्राहक की पैरवी करते समय अपने अंतर्मन से लड़ती रहती है। एक बलात्कारी का बचाव करना काफी नैतिक रूप से दिवालिया होने जैसा लगता है।

 ऐसे ही वक्त में निर्देशक गुनवीन कौर और रॉबिन सिकरवार फिल्म‘ ‘376 डी’’ लेकर आ रहे हैं, जिसमें महिला नही बल्कि दो पुरूषों के साथ हुए बलात्कार  की कहानी है,जिसको लेकर हमारे देश में कोई कानून नहीं है। यह कहानी दिल्ली के उन दो सगे भाईयों की व्यथा का वर्णन करती है, जिनका एक दिन सामूहिक बलात्कार हो जाता हैं। और वह न्याय के लिए न्यायपालिका संग कठिन लड़ाई का सामना करते हैं। क्योकि अदालत में पहुँचने के बाद उन्हे पता चलता है कि उनके साथ जो अपराध हुआ, उसको लेकर कोई कानून नही है। उन्हें जो न्याय मिलना चाहिए,वह नर्वस ड्रैकिंग कोर्टरूम ड्रामा के रूप में मिलता है।इस फिल्म को ‘‘खजुराहो फिल्मोत्सव’’ सहित कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में जबरदस्त सराहना मिल चुकी है।

 मूलतः लखनऊ निवासी गुनवीन कौर पिछले तेरह वर्ष से  बॉलीवुड में सक्रिय हैं।जबकि मूलतः  ग्वालियर निवासी मगर अहमदाबाद में बसे रोबिन सिकरवार भी एक दशक से इस इंडस्ट्री का हिस्सा हैं। एक साथ काम करने से दोनों की सोच-समझ में काफी तालमेल है। इसलिए दोनों कहते हैं-‘‘फिल्म के लेखन और निर्देशन में पुरुष और महिला के तौर पर हमारे बीच ईगो सामने नहीं आए।क्योंकि हम दोनों समझते हैं कि अगर कोई सुझाव अच्छा और वह फिल्म की बेहतरी के लिए है,तो उस पर अमल करना चाहिए।’’

 फिल्म की एक महिला निर्देशक गुनवीन कौर कहती हैं- ‘‘फिल्म ‘376 डी’ किसी सच्ची घटना पर आधारित नहीं है,बल्कि इसमें फिक्शन स्टोरी है।लेकिन हमने रियालिस्टिक फिल्म बनाने की कोशिश की है। इसलिए इसमें लीड रोल में थिएटर कलाकार विवेक कुमार को लिया है। कहानी संवेदनशील और भावुक करने वाली हैं। इसमें हीरोइन दीक्षा जोशी हीरो को सपोर्ट करती हैं। गुजरात हाइकोर्ट के डिफेंस लॉयर सुमित सिंह सिकरवार को पब्लिक प्रोसिक्यूटर बनाया है।इसके लिए उन्हें तीन महीने तक वर्कशॉप कराया गया ताकि उनके अंदर से डिफेंस लॉयर को बाहर किया जा सके। प्रियंका शर्मा ने डिफेंस लॉयर की भूमिका निभाई है।‘‘

 इस फिल्म में डिफेंस लोयर यानी कि बचाव पक्ष की वकील का किरदार निभाने वाली नवोदित अभिनेत्री प्रियंका शर्मा के लिए इसकी शूटिंग करना आसान नहीं था। क्योकि उनका अंतर्मन बार बार यही कह रहा था कि अपराधी को सजा मिलनी चाहिए,उसका बचाव नहीं किया जाना चाहिए।मगर वकील के तौर पर उसकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने पक्ष का बचाव करे। एक बलात्कारी का बचाव करना काफी नैतिक रूप से दिवालिया होने जैसा लगता है और प्रियंका को यही बात अपने चरित्र के बारे में परेशान करता था। प्रियंका ने कहा कि वह अपने चरित्र के साथ कतई इत्तफाक नहीं रखती थी। क्योंकि उसकी राय में बलात्कार जैसे जघन्य कृत्यों के माध्यम से किसी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अतिक्रमण करने वालों को न्याय दिया जाना चाहिए।

प्रियंका ने महसूस किया कि उनके चरित्र में नैतिक रूप से जो सही था और जो दुर्भाग्य से हमारे समाज की सच्चाई है,उससे अधिक शक्ति और धन का पीछा किया। हालांकि उसे चरित्र के बारे में अपने अवरोधों को दूर करना था और भूमिका निभाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना था।

प्रियंका षर्मा कहती हैं- ‘‘एक इंसान और वह भी महिला के रूप में इस तरह की उच्च प्रोफाइल वकील की भूमिका निभाना मेरे लिए बहुत चुनौतीपूर्ण था। जो पूरी तरह से पीड़ित के आघात और शायद उसके अपने दिल के लिए अनासक्त है और वह सिर्फ जीतने के लिए केस लड़ रही है। जबकि कहीं न कहीं उसे अंदर से लगता है कि उसे उन लोगों का बचाव नहीं करना चाहिए था,जो स्पष्ट रूप से अपराधी हैं।षूटिंग के दौरान निर्भया की घटना मेरे दिमाग में घूमती रही। फिल्म में अन्याय की पूरी भावना मेरे लिए बहुत परेशान करने वाली थी,लेकिन मेरे चरित्र को वास्तव में अदालत में खड़े होकर बलात्कारियों का बचाव करना था। ”

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