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Adipurush: फिल्मों का बायकॉट करने वाले इसबार 'रावण' के साथ खड़े हुए हैं! जानिए क्यों?

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By Sharad Rai
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हर साल विजया दशमी के दिन चर्चा पढ़ते- सुनते रहे हैं रावण के दुष्कर्मों की. इस साल 2022 की विजय दशमी के दिन सोशल मीडिया पर रावण के पांडित्य पौरुष पर चर्चा छिड़ गई है. एक फिल्म Adipurush 'आदिपुरुष' के प्रिव्यू रिलीज को देखकर दर्शकों में रावण के प्रति  नफरत की जगह  हमदर्दी की भावना जाग गयी है. जो लोग Ravan रावण को रामलीला काल से बुरा भला कहते आए हैं, वे इस फिल्म के रावण के रूप को देखकर खफा हैं, कह रहे हैं- रावण उतना बुरा तो नही था जितना फिल्म के पोस्टर पर दिखा रहे हैं. फिल्म का बायकॉट कहने वाले विरोधीयों का मानना है रावण में पांडित्य था, उसके चेहरे पर ललाट थी, त्रिपुंड था, वह ब्राह्मण था, ज्ञानी था. फिल्म के प्रीव्यू में लंकेश को आतंकवादी जैसा लुक दिया गया है मानों वह औरंगजेब और खिलजी जैसा रहा हो. रावण या लंकेश के स्वरूप को बिगड़े हुए रूप मे दर्शक स्वीकार नही करेंगे, इसलिए इसबार फिल्म का बायकॉट किए जाने की आवाज एक खालनायक के साथ हमदर्दी लेकर उठी है.

फिल्म Adipurush 'आदिपुरुष' में लंकेश-रावण की भूमिका निभाया है saif ali khan सेफ अली खान ने. राम बने हैं- बाहुबली फेम दक्षिण के स्टार प्रभाष, सीता हैं- कृति सैनन, लक्ष्मणत बने हैं- सनी सिंह और हनुमान बने हैं- देव दत्त नागे. बाल्मीकि रामायण पर आधारित फिल्म आदिपुरुष का निर्देशन किया है फिल्म 'तान्हा जी-द अनसंग वैरियर' के लिए नेशनल अवार्ड प्राप्त कर चुके ओम राउत. 500 करोड़ की लागत में बनी इस फिल्म के निर्माता हैं टी- सीरीज. इस फिल्म का प्रिव्यू टीजर रिलीज करने के लिए टीम के हीरो प्रभास (राम) राम की नगरी अयोध्या गए थे. इसी प्रिव्यू टीजर्स को देखकर दर्शकों में गुस्सा है कि रावण के चित्रों में, रावण को पौराणिक कहानी के पात्र के अनुरूप नहीं दिखाया गया है. रावण प्रचंड विद्वान था, 9 ग्रह उसके कुर्सी के पाए में बंधे होते थे. उस रावण को Adipurush 'आदिपुरुष' में आतंकवादी चेहरे का शक्ल दिया जाए तो दर्शकों का गुस्सा आना स्वाभाविक है.

सोशल मीडिया पर रावण के दिखाए गए चित्र को लेकर बहुत आलोचना हो रही है उनमें एक यह भी लिखा जा रहा है कि माना कि वो तैमूर के पिता (saif ali khan सैफ अली खान) हैं जो रावण बने हैं लेकिन उनको आतंकवादियों जैसा लुक देना रावण का अपमान है. लोग बायकॉट की धमकी दे रहे हैं. पहली बार हुआ है जब रावण के प्रति भारतीय जन मानस में सम्मान की भावना पैदा हो रही है.दरअसल रावण का बध किया जाना बुराइयों के नाश का प्रतीक है लेकिन हमारी सोच में  किसी नकारात्मक व्यक्ति को भी सम्मान से देखना हमारी संस्कृति है. हम अपनी पौराणिक कहानियों का किसी भी तरह विभत्स रूप नही देख सकते.यही वजह है लोग रावण जैसे पौराणिक पात्र को, भले ही वह कहानी का विलेन था, उसको आतंकवादी गेटअप में देखने के लिए तैयार नहीं हैं.

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