धन्यवाद, गुलजार साहब कि आपने आखिरकार कुछ बोला By Mayapuri Desk 03 Jan 2020 | एडिट 03 Jan 2020 23:00 IST in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर अली पीटर जॉन सच कहूँ तो, गुलज़ार साहब, मैंने आपसे और आप जैसे सभी लोगों से उम्मीद छोड़ दी थी, जो केवल लोगों पर प्रभाव बनाने के लिए शब्दों और भावनाओं का उपयोग करते हैं और वास्तव में आप लिखते हैं या कहते हैं उससे उनका कोई मतलब नहीं होता। मैं विश्वास नहीं कर सकता कि मैं आपके बारे में इस तरह के निष्कर्ष पर पहुंच गया. वो इंसान जिनका मैं कभी अनुकरण करता था और यहां तक कि उनको भगवान के रूप में पूजता था. मैं मंगलवार को केवल आपके साथ समय बिताने और आपके साथ ग्रीन टी के ग्लास पर जीवन और प्यार के बारे में ज्ञान प्राप्त करने के लिए काम से छुट्टी रखता था. मुझे विश्वास था कि मुझे यह ज्ञान कहीं और नहीं मिलता. शाम के खत्म होते ही मैं अगले मंगलवार के इंतजार में लग जाता था. पुस्तक लॉन्च, आपका जन्मदिन, आपकी इकलौती बेटी बोस्की का बर्थडे, जो अब जानी-मानी लेखिका और निर्देशिका मेघना गुलज़ार हैं. एक समय था जब आप 18 अगस्त को अपना जन्मदिन नहीं मनाते थे, लेकिन बोस्की और मैंने आपको 'बोस्कियाना' में आपका 60 वां जन्मदिन मनाने के लिए मना लिया. बोस्कियाना पाली हिल में आपका घर, जिसे आपने बोस्की के नाम पर रखा है. आपने हमारी सलाह पर अपनी फिल्म ‘माचिस’ की सिल्वर जुबली भी मनाई थी। और आपने 'बिकॉस ही इज़' की पहली प्रति मुझे दी थी, जो बोस्की ने आपके लिए लिखा था. मैं कितने और अवसरों को लिखूँ जिससे मेरे औऱ आपके मजबूत बंधन के बारे में दुनिया जान पायें। और फिर मुझे नहीं पता कि आपके जैसे संवेदनशील कवि और इंसान को क्या हुआ, जब मैंने अचानक 'स्क्रीन' छोड़ने का फैसला किया, जिस साप्ताहिक में मैंने 46 साल तक काम किया था। अगली बार जब मैं बोसक्याना के लिए हमेशा की तरह गया तो आपके सेक्रेटरी की बात ने मुझे झकझोर दिया, जब उसने मुझे बताया कि मैंने अपॉइंटमेंट नहीं ली है आपसे मिलने की. मैं आपके पुराने ड्राइवर सुंदर से मिला ने मुझे और झटका लगा जब उसने आगे कहा, 'साहब, इधर ऐसा ही होता है, तुम अगर काम का नहीं है तो तुमको वो बिल्कुल नहीं पूछेगा ,' मैंने आपसे बहुत से सबक सीखे हैं गुलज़ार साहब, लेकिन मैं इस तरह के चौंकाने वाले सबक के लिए तैयार नहीं था। मैं फिर कई मंगलवार 'बोस्क्याना' नहीं आया. लेकिन फिर मुझे मजबूरी में आना पड़ा, जब मेरे प्रकाशक चाहते थे कि मैं आपको अपने पहले प्यार पर मेरी किताब के विमोचन में मुख्य अतिथि के रूप में बुलाऊँ. मैं भूल गया कि हमारे बीच क्या हुआ था, मैं अपने अपना अपमान और यहां तक कि छोटे अहंकार को भूल गया और आपको मुख्य अतिथि के रूप में निमंत्रण देने गया. और आपने मेरे होश उड़ा दिए जब आपने कहा, 'तेरे फंक्शन में नहीं आउंगा तो किसके फंक्शन में आउंगा?' मैंने पहले से ही वेन्यू बुकिंग कर ली थी और सभी अतिथि को आमंत्रित कर लिया था. इस कार्यक्रम को शुरू होने में सिर्फ 15 मिनट का समय था जब मुझे आपके सेक्रेटरी और मेरे मित्र मिस्टर कुट्टी का फोन आया और उसने अपने मलयाली लहजे में कहा, 'तुमको बोला ना, अली साहब, वो आदमी बहुत खराब है। अभी देखो ना, वो अन्दर बैठ कर छत को देखकर चाय पी रहा है और हमको बोलता है, अली को फोन करके बोलो मेरा पाकिस्तान से गेस्ट लोग आया, इसलिये मैं फंक्शन में नहीं आ सकेगा ”। मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे सिर पर छत गिर गई हो और मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई हो। मैं वाशरूम में जाके दिल खोलकर रोया। मेरे मेहमान इंतजार कर रहे थे। मुझे अपनी इज्जत बचाने के लिए कुछ तो करना था। मुझे नहीं पता कि सुभाष घई का नाम मेरे दिमाग में कैसे आया । मैंने उन्हें फोन किया और उनसे पूछा कि क्या वो मुझे बचा सकते हैं। उन्होंने मुझसे पूरा विवरण भी नहीं मांगा, केवल मुझसे पूछा कि उन्हें कितने समय में आना है। सरासर हताशा में मैंने 20 मिनट कहा और वो ठीक 15 मिनट में वहां पहुंच गए। उन्होंने उस दिन मेरा अपमान होने से बचाया. मैं आपको कैसे क्षमा कर सकता हूँ, मेरे पुराने मित्र गुलज़ार साहब? मेरे गुस्से में, मुझे एक लेखक - मित्र अमरीक गिल भी याद आ गई, जो आपके साथ काम करते थे, जिनकी पत्नी ने पंजाबी में आपकी छोटी कहानियों के संग्रह 'रवि पार' का पंजाबी में अनुवाद किया था. आपने कभी एक शब्द तक नहीं कहा गिल के लिए. उन्होंने पैसे खर्च करके आपकी पुस्तक का प्रचार करवाया पंजाब में, आपके लिए बिजनेस क्लास का टिकट भी खरीदा और जब वो टिकट लेकर आपके पास गए, तो आपने समारोह में जाने से इनकार कर दिया. गिल बहुत दुखी हुए और बाद में पता चला कि वो शराब के नशे में डूब गये थे. चीजें केवल आपके सामने खराब से बदतर होती गई. मुझे बताया गया है कि आप कोई कॉल नहीं लेते हैं, आपका सेक्रेटरी केवल व्यक्तिगत कॉल उठाता है और अन्य सभी से आपको ईमेल पर संपर्क करने के लिए कहता है. आज सुबह मेरा दिल कुछ धड़कने लगा, जब मैंने आपके ओपिनियन को व्यक्त करने के बारे में पढ़ा जो नए नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA) और प्रस्तावित नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) के खिलाफ था. मैं यह कहने के लिए बहुत हिम्मत जुटा पाया कि आप बहुत साहसी हैं. आप और आपके सामान्य चतुर, चालाक और व्यंग्यात्मक तरीके ने आपके जवाब को कवर कर दिया कि आप वास्तव में कहना क्या चाहते हैं. आपने 'दिल्लीवालों' के बारे में डर व्यक्त किया कि दिल्लीवालें कभी भी किसी भी नियम को बदल सकते हैं। आपने एक लंबा और समृद्ध जीवन जिया है, गुलज़ार साहब. आप अब 84 साल के हो गए हैं. आपको नहीं लगता कि अब आपको सत्ता के लोगों से डरे बिना अपनी भावनाएँ व्यक्त करनी चाहिए आप गुलज़ार को भूल कर संपूर्णानंद सिंह कालरा के रूप में मशाल ले सकते हैं और आम आदमी के लिए युद्ध लड़ सकते हैं जो इस युद्ध को लड़ने के लिए आपके प्रति आभारी होगा। आपका किसी जमाने का दोस्त जो अब भी आपका दोस्त बनना पसंद करेगा अगर ......। और पढ़े: नेपोटिज्म पर अनन्या की बात पर जो सिद्धांत चतुर्वेदी ने कहा वो आपका दिल जीत लेगा #bollywood news #bollywood #Bollywood updates #television #Telly News #Gulzar Shahab हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article