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एक ही सेट और केवल एक ही अभिनेता...क्रिएटिविटी की मिसाल है 56 साल पहले आई सुनील दत्त की फिल्म ‘यादें’

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By Pooja Chowdhary
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एक ही सेट और केवल एक ही अभिनेता...क्रिएटिविटी की मिसाल है 56 साल पहले आई सुनील दत्त की फिल्म ‘यादें’

एक ही अभिनेता पर फिल्माई गई है सुनील दत्त की फिल्म ‘यादें’, गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है नाम

अक्सर कहा जाता है कि हिंदी सिनेमा में एक्सपेरीमेंट बेहद ही कम होते हैं, बल्कि कमाई करने के लिहाज़ से यहां कमर्शियल फिल्मों को ही ज्यादा तरजीह दी जाती है। लेकिन हम करेंगे कि ये आरोप सरासर गलत है। समय समय पर हिंदी सिनेमा में ऐसी ऐसी करिश्माई फिल्में बनी हैं जो क्रिएटिविटी और अनूठेपन की मिसाल बनीं। उन्ही में से एक है सुनील दत्त की फिल्म 'यादें'। जो आज से लगभग 56 साल पहले रिलीज़ हुई थी।

एक ही सेट, एक ही एक्टर...और फिल्म तैयार!

एक ही सेट और केवल एक ही अभिनेता...क्रिएटिविटी की मिसाल है 56 साल पहले आई सुनील दत्त की फिल्म ‘यादें’

फिल्म में एक किरदार(सुनील दत्त) है जो शाम को थक हार कर घर पहुंचता है। लेकिन उसे घर में पत्नी और बच्चे कोई नहीं मिलते। उसे लगता है कि सब उसे छोड़कर चले गए हैं। फिर वो कुछ पुराने पलों को याद करता है। पूरी फिल्म में सुनील दत्त के अलावा कोई और किरदार नज़र ही नहीं आता। कोई और कैरेक्टर केवल एनिमेशन व कार्टून की शक्ल में दिखते हैं। बस आखिर के एक सीन में नरगिस का केवल अक्स ही दिखाई देता है। फिल्म के बैकग्राउंड म्यूज़िक व संवाद पर ज्यादा ध्यान दिया गया है। सुनील दत्त की फिल्म यादें में अलग अलग अभिनेताओं का वाइस ओवर भी सुनाई देता है लेकिन वो दिखते नहीं। यानि पूरी फिल्म में केवल एक ही सेट और केवल एक ही अभिनेता है। कुल मिलाकर फिल्म केवल अनुभूति और कमाल की रचनात्मकता का मिश्रण है।

गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है नाम

एक ही सेट और केवल एक ही अभिनेता...क्रिएटिविटी की मिसाल है 56 साल पहले आई सुनील दत्त की फिल्म ‘यादें’

हिंदी सिनेमा की बेहद ही नायाब इस फिल्म का नाम अपनी क्रिएटिविटी के चलते ही गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। भले ही टिकट खिड़की पर ये फिल्म कोई खास कमाल ना कर पाई हो लेकिन सबसे कम कलाकार वाली फ़िल्म के रूप में इसे वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक में शामिल किया गया है। इस फिल्म की कास्ट के बारे में लिखा है - Sunil Dutt & Others… सुनील दत्त की फिल्म को बेस्ट सिनेमेटोग्राफर और बेस्ट साउंड के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला था। इस फिल्म से उन्होने निर्देशन के क्षेत्र में भीकदम रखा और खुद को साबित भी कर दिया। आज सुनील दत्त की पुण्यतिथि है और इस मौके पर दत्त साहब की इस फिल्म को याद करना बेहद ज़रूरी हो जाता है जिसने भारतीय सिनेमा को स्वर्णिम करने में अपना अहम योगदान दिया है।

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