पुण्यतिथि: अंतिम सांस लेने के कुछ घंटों पहले मोहम्मद रफी ने आखिरी गाना गाकर बनाया था रिकॉर्ड By Sangya Singh 30 Jul 2019 | एडिट 30 Jul 2019 22:00 IST in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर अपनी गायकी के जादू से चार दशक से भी ज्यादा समय तक लोगों के दिलों पर कब्जा जमाने वाले मशहूर गायक मुहम्मद रफी की आज यानि 31 जुलाई को पुण्यतिथि है। सिर्फ चार दशकों तक ही नहीं बल्कि आज भी मोहम्मद रखी की आवाज़ का जादू लोगों के दिलों पर छाया हुआ है। वैसे तो मुहम्मद रफी के ज्यादातर गाने सुपरहिट रहे लेकिन उनके गाए कुछ नगमें आज भी दिल की धड़कनों को बढ़ा देते हैं। तो आइए आपको फिल्म इंडस्ट्री के महान गायक मुहम्मद रफी से जुड़े कुछ अनसुने किस्से और दिलचस्प किस्से बताते हैं... - मोहम्मद रफी को प्यार से लोग 'फेकू' कहकर बुलाते थे। कहा जाता है कि रफी साहब ने अपने गांव में फकीर के गानों की नकल करते-करते गाना गाना सीखा था। मोहम्मद रफी ने अपनी पहली परफॉर्मेंस बतौर गायक 13 साल की उम्र में दी थी। के एल सहगल ने उन्हें लाहौर में एक कंसर्ट में गाने की अनुमति दी थी। - साल 1948 में मुहम्मद रफी ने राजेन्द्र कृष्णन द्वारा लिखा हुआ गीत 'सुनो सुनो ए दुनिया वालों बापूजी की अमर कहानी' गाया था। यह गाना देखते ही देखने इतना बड़ा हिट हो गया था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें अपने घर पर यह गाना गाने के लिए निमंत्रण दिया था। - मुहम्मद रफी के निधन के दिन मुंबई में तेज बारिश हो रही थी। कहा जाता है कि निधन की अंतिम यात्रा की रिकॉर्डिंग को हिंदी फिल्म में इस्तेमाल भी किया गया है। मुहम्मद रफी की अंतिम यात्रा इतने बड़ी स्तर पर की गई थी कि लोग आज भी याद करते है। उस वक्त करीब 10 हजार लोग यात्रा में शरीक हुए थे। - मोहम्मद रफी ने न केवल गायिकी बल्कि एक्टिंग में भी हाथ आजमाया था। रफी साहब ने 'लैला मजनू' और 'जुगनू' फिल्म में बतौर एक्टर काम किया था। यह दोनों ही फिल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट हुई और ताबड़तोड़ कलेक्शन किया। - मोहम्मद रफी ने ज्यादातर गाने संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के लिए गाए। उन्होंने उनकी फिल्मों के लिए करीब 369 गाने गाए थे जिसमें से 186 गाने सोलो शामिल हैं। यहां तक कि रफी ने आखिरी गाना भी इन्हीं के लिए गाया था। वह गाना था - 'श्याम फिर क्यों फिर उदास'। इस फिल्म का नाम 'आस पास' है। जिस वक्त मोहम्मद रफी ने यह गाना रिकॉर्ड किया था उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। इस गाने की रिकॉर्डिंग के कुछ घंटे बाद भी रफी साहब का निधन हो गया था। - रफी साहब किसी भी संगीतकार से यह नहीं पूछते थे कि उन्हें गाना गाने के लिए कितना पैसा देंगे। यहां तक कि कभी कभी सिर्फ 1 रुपए में भी कई फिल्मों में गाना गाया है। मोहम्मद रफी ने न केवल हिंदी बल्कि कई भाषाओं में गाना गाया है। इन भाषाओं में असमीज, कोंकणी, भोजपुरी, अंग्रेजी, तेलुगु, मैथिली और गुजराती शामिल हैं। #Mohammed Rafi #bollywood films #hindi cinema #death anniversay #indian playback singer हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article