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Ashok Pandit और Anupam Kher ने होस्ट की 'कश्मीरी पंडितों का नरसंहार' की स्पेशल स्क्रीनिंग

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By Mayapuri Desk
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Ashok Pandit और Anupam Kher ने होस्ट की 'कश्मीरी पंडितों का नरसंहार' की स्पेशल स्क्रीनिंग

जाने-माने फ़िल्मकार अशोक पंडित ने आज मुम्बई में 'कश्मीरी पंडितों का नरसंहार' नामक एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग को होस्ट किया जिसमें मशहूर अभिनेता अनुपम खेर ने भी अपनी ख़ास मौजूदगी दर्ज कराई.

उल्लेखनीय है कि 19 जनवरी, 1990 की तारीख़ भारत के इतिहास में एक ऐसी काली तारीख़ है जब रातों रात लगभग 5 लाख कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया गया था. ऐसे में अशोक पंडित ने 33 साल बाद आज ही के दिन 'कश्मीरी पंडितों के नरसंहार' की स्पेशल स्क्रीनिंग को होस्ट करने का फ़ैसला किया.

भारत के मानवाधिकार संगठन के मुताबिक, जिन हालात में कश्मीरी पंडितों को अपनी मातृभूमि से पलायन करने के लिए मजबूर किया गया, वो किसी नरसंहार से कम‌ नहीं था. ग़ौरतलब है कि दुनिया भी अब इसे एक भयानक त्रासदी मानने लगी है.

अशोक पंडित ने इस डॉक्यूमेंट्री को बनाए जाने के मक़सद पर कहा, "कश्मीरी पंडितों का नरसंहार' 5 लाख कश्मीरी पंडितों की के साथ हुए दुर्व्यवहार और उनके साथ घटी एक बेहद भयानक त्रासदी पर आधारित है. एक फ़िल्ममेकर के नाते मैं 19 जनवरी, 1990 की रात को जम्मू-कश्मीर में मौजूद था. मज्सिद के लाउडस्पीकर से ऐलान करते हुए हम सबको वहां से निकल जाने के लिए कहा जा रहा था. इससे पहले कश्मीर की सड़कों पर कश्मीरी पंडितों का क़त्ल-ए-आम हुआ, उन्हें पेड़ों पर लटकाकर मारा गया, औरतों के साथ बलात्कार हुआ. कश्मीरी पंडितों की संपत्ति को नष्ट किया गया और बड़ी संख्या में उन्हें अपना सबकुछ छोड़कर वहां से भागने के लिए मजबूर किया गया. आज ऐसे तमाम कश्मीरी पंडित अपनी संपत्ति से ज़्यादा अपनी जड़ों को मिस करते हैं और एक बार फिर से वहां लौटना और बसना चाहते हैं. 'कश्मीरी पंडितों का नरसंहार' हमारे साथ हुई अमानवीयता का जीवंत चित्रण है. आज का दिन हमारे लिए एक बेहद दुखद दिन है और इस मौके पर मैं आप सभी से गुजारिश करता हूं कि आप सब ये डॉक्यूमेंट्री ज़रूर देंखे ताकि लोग समझ सकें कि बेग़ुनाह कश्मीरी पंडितों को किन हालात से गुज़रना पड़ा था."

अनुपम खेर ने इस मौके पर कहा, "इस डॉक्यूमेंट्री में असली शॉट्स का इस्तेमाल किया गया है. हम इस नरसंहार की हमेशा लोगों दिलाते रहना चाहते है ताकि यह त्रासदी हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहे ताकि इस तरह की त्रासदी फिर से देश में ना हो."

अनुपम खेर ने आगे कहा, "32 सालों तक कश्मीरी पंडितों की आवाज़ को दबाया गया है. फिर 'द कश्मीर फाइल्स" आई जिसने कश्मीरी पंडितों के दर्द को दर्शाया और लोगों को बताया कि 19 जनवरी, 1990 को उनके साथ क्या कुछ हुआ था."

हिंदुओं के नरसंहार को लेकर बने 

'कश्मीरी पंडितों का नरसंहार' यूट्यूब पर लाइव हो चुका है. यह फ़िल्म कश्मीरी पंडितों की हत्याओं, रेप और पलायन के दर्द को बड़े ही जीवंत ढंग से दर्शाती है. यह डॉक्यूमेंट्री 'द कश्मीर फाइल्स' को प्रोपेगेंडा ठहरानेवालों को भी पुरज़ोर तरीके से जवाब देती है.  

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