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संजय मिश्रा: मैं एक खुशनसीब एक्टर हूँ की मैं अपनी कलकारी से पानी की परेशानी और वातावरण की परेशानी को दर्शकों को दिखा पाता हूँ

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By Mayapuri Desk
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संजय मिश्रा: मैं एक खुशनसीब एक्टर हूँ की मैं अपनी कलकारी से पानी की परेशानी और वातावरण की परेशानी को दर्शकों को दिखा पाता हूँ
  • यश कुमार

'वाह ज़िन्दगी' और 'टर्टल' दोनों ही बहुत जल्द zee5 के पर प्रीमियर होने वाली है इसके बारे में आप क्या कहना चाहेंगे? और इन फिल्मों में आप क्या रोल निभा रहे हैं?

टर्टल एक समाज को जगाने वाली फिल्म है, देश में बहुत पानी की दिक्कत हो रही है जिसको लोक कथाओं की तरह कहा गया है, हमारे फिल्म के निर्देशक दिनेश यादव ने इस फिल्म को काफी अच्छे तरीके से पेश किया है और ये एक बहुत खूबसूरत फिल्म है जो की आपको जगाती है की जब पानी की कमी होगी, जब समय आएगा तो सबसे ज़रूरी चीज़ पानी ही है। और इस फिल्म में मेरा जो रोल है ये वो इंसान है जो की काफी संघर्ष कर रहा है अपनी ज़मीन पर पानी लाने के लिए। कहते है की ज़मीन के अंदर सोना होता है, वो असल माईने में सोना नहीं होता है लें कुछ न कुछ ज़रूर होता है जिसकी एक कीमत होती है ऐसी ही ये फिल्म है हमारी।

संजय मिश्रा: मैं एक खुशनसीब एक्टर हूँ की मैं अपनी कलकारी से पानी की परेशानी और वातावरण की परेशानी को दर्शकों को दिखा पाता हूँ

'टर्टल' को बेस्ट राजस्थानी फिल्म के नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया था, इसके उप्पर आपका क्या कहना चाहेंगे?

जब भी अवार्ड की कोई बात आती है तो इसके उप्पर मैं कहता हूँ की फिल्म का मकसद अवार्ड हासिल करना नहीं है, फिल्म का मकसद है की सरकार उस फिल्म को हर घर तक पोहचए जो संदेश वो देना चाहती है। अगर हर छोटा बच्चा उस फिल्म को देखे और समझे तो वो अवार्ड से ज़्यादा बड़ी चीज़ होती है, एक अच्छी चीज़ को सम्मान देके किनारे बैठा देना वो मुझे समझ नहीं आता है। अगर कोई फिल्म ऐसी बातें करती है तो उसे आगे लोगों तक पोहचाना चाहिए, हर एक फिल्म को। एक नया निर्देशक है, वो चाहता तो कुछ भी फिल्म बना सकता था जिससे की उसको फ़ायदा हो जाए लेकिन उन्होंने अपने पर्यावरण के उप्पर फिल्म बनाई, अवार्ड मिल गया ये अच्छी बात है की लोगों ने समझा उसको लेकिन दूर तक इस फिल्म को पहुँचाया जाए जन जन तक इस फिल्म को पोहचाए वो ज़्यादा ज़रूरी ही।

संजय मिश्रा: मैं एक खुशनसीब एक्टर हूँ की मैं अपनी कलकारी से पानी की परेशानी और वातावरण की परेशानी को दर्शकों को दिखा पाता हूँ

ओटीटी प्लेटफार्म zee5 पर अपनी फिल्म की रिलीज़ की न्यूज़ सुनकर आपका सबसे पहला क्या रिएक्शन था?

ओटीटी पर रिलीज़ होने वाली कुछ फिल्में लोगों को बहुत पसंद आयी थी वहीँ कुछ फिल्में खास कमाल नहीं कर पायी, तो ये फिल्म बनते बनते उसकी तक़दीर हो जाती है। ओटीटी आजकल एक ऐसा प्लेटफार्म हो गया है जिसमे हर कोई घर पर बैठकर अपने परिवार के साथ फिल्म देख सकता है। कुछ समय पहले मेरी एक फिल्म आयी थी 'कामयाब' जिसके अगले हफ्ते से पहला कोरोना आया तब सिनेमा हॉल बंद हो गए थे, और उस फिल्म को काफी सराहा गया था और शाह रुख खान ने अपने बैनर red chillies ent के ज़रिए उसको प्रेजेंट किया था तो वो एक काफी अच्छी फिल्म थी। लेकिन काफी दिक्कत हो चुकी है कोरोना को लेकर। काफी सारी फिल्में इस वक़्त बन चुकी है लेकिन हॉल मिल नहीं रहे है जिसके चलते फिल्में रिलीज़ नहीं हो पा रही है। इस वक़्त 174 फिल्में तैयार है रिलीज़ के लिए लेकिन सरकार ने कोरोना का हाल देखते हुए सिनेमा घरों को फिलहाल के लिए बंद किया है जिसका इंडस्ट्री को काफी असर भी पड़ा है लेकिन ये अच्छी बात है की हमारी फिल्म ओटीटी पर आ रही है, और जब यह ओटीटी पर आएगी तब लोग फिल्म देखेंगे और समझेंगे।

संजय मिश्रा: मैं एक खुशनसीब एक्टर हूँ की मैं अपनी कलकारी से पानी की परेशानी और वातावरण की परेशानी को दर्शकों को दिखा पाता हूँ

कोरोना के चलते अब फिल्म की शूटिंग पर कैसा असर पड़ा है? 'वाह ज़िन्दगी' और 'टर्टल' को कोरोना की वजह से क्या कुछ देखना पड़ा?

वाह ज़िन्दगी’ और ‘टर्ट’ल दोनों कोरोना से पहले की फिल्में है, उस समय हमने कोरोना का नाम भी नहीं सुना था ये कोरोना से 2 साल पहल की फिल्म है। कोरोना के बाद से मैंने निर्देशक रोहित शेट्टी की एक फ़िल्म के लिए शूट किया था। रोहित शेट्टी की फिल्मों में काफी सारे लोग काम करते हैं, जैसा हमने गोलमाल में देखा बहुत बड़ी कास्ट होती है, लेकिन इस बार सिर्फ उतने ही लोग थे जितनो की ज़रूरत थी। आप अपना काम करिये फिर सेट पर से हट जाइये, अब जिस एक्टर का काम है वो आजायेगा सेट पे, तो तब हर कोई काफी सतर्क हो गया था और अपने-अपने तरीके से अपना ध्यान रख रहा है, बदलाव तो वैसे कोई खास नहीं आये है, जब सब मिलते है तब मस्ती मज़ाक तो होता ही है। लेकिन जो भी होता है सब एक ग्रुप में होता है जिसमे बहार के लोग अंदर नहीं आएंगे।

संजय मिश्रा: मैं एक खुशनसीब एक्टर हूँ की मैं अपनी कलकारी से पानी की परेशानी और वातावरण की परेशानी को दर्शकों को दिखा पाता हूँ

'वाह ज़िन्दगी' और 'टर्टल' की कहानी पहली बार सुनकर आपकी क्या प्रतिक्रिया थी?

वाह ज़िन्दगी की कहानी मुझे बहुत अच्छी लगी थी, लेकिन टर्टल जब शुरू हो रही थी तो उससे पहले मैंने एक फिल्म की थी 'कड़वी हवा' जो की वातावरण के उप्पर थी और ये दूसरी फिल्म है मेरी जो की पानी से संबिधत परेशानी को दर्शाती है। मैं एक खुशनसीब एक्टर हूँ की मैं अपनी कलकारी से पानी की परेशानी और वातावरण की परेशानी को दर्शकों को दिखा पाता हूँ। जब ये फिल्म आयी थी मेरे पास तो मुझे बोहत अच्छी लगी थी या कम से कम मैं इस फिल्म का हिस्सा हूँ और एक कलकार का करतब निभा रहा हूँ।

संजय मिश्रा: मैं एक खुशनसीब एक्टर हूँ की मैं अपनी कलकारी से पानी की परेशानी और वातावरण की परेशानी को दर्शकों को दिखा पाता हूँ

अपनी आने वाली फिल्मों के बारे में कुछ बताएं?

साल 2022 में मेरी एक से बढ़कर एक फिल्में दर्शकों को देखने को मिलेंगी जिसमे सबसे ज़ादा मेरे कॉमेडी रोल ही हैं। कॉमेडी रोल में मैं लोगों को 'भूल भुलैय्या 2' और रोहित शेट्टी की आने वाली फिल्म और उसके आलावा भी आने वाली 2-3 फिल्मों में दिखाई दूंगा, बड़े प्रोडक्शन हाउस की इन फिल्मों में लोग मुझे अब कॉमेडी करते देखेंगे और काफी बेहतरीन रोल में देखेंगे।

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