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अरुणाचलम किसी से इंस्पायर होने वाले शख़्स नहीं है- आर. बाल्की

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By Shyam Sharma
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अरुणाचलम किसी से इंस्पायर होने वाले शख़्स नहीं है- आर. बाल्की

एड मेकर, राइटर, स्क्रीनप्ले राइटर, प्रोड्यूसर तथा डायरेक्टर आर. बाल्की की फिल्मों पर अगर एक नजर डाले तो वहां चीनी कम, पा, इंगलिश विगंलिश, शमिताभ, की एंड का तथा डियर जिन्दगी जैसी उत्कृष्ट फिल्में दिखाई देगीं। इनमें इंगलिश विगंलिश तथा डियर जिंन्दगी फिल्में उन्होंने प्रोड्यूस की हैं। अब उन्हीं के लेखन और निर्देशन में बनी फिल्म ‘ पैडमैन’ दर्शकों के समक्ष आने वाली है। फिल्म को लेकर बाल्की से एक बातचीत।

कहानी के ऑरिजनल हीरो अरुणाचलम मुरूगानाथम जिन्हें पैडमैन भी कहा जाता है। उनसे मिलना हुआ ?

मैं पहली दफा उनसे उनकी वर्कशॉप पर मिला था। मैने उनसे बातचीत की, कहानी सुनाई। फिर खाना पीना हुआ। इसके बाद उहें एक कॉलेज में लैक्चर देने के लिये जाना था। उन्होंने उस वक्त भी नार्मल शर्ट और ट्राउजर पहना हुआ था। मैने देखा कि उनकी शर्ट की एक बांह पर ढेर सारे वर्कशॉप पर काम करने के दाग नजर आ रहे थे (मैने वो फिल्म में यूज किया है) । हम साथ-साथ बाहर निकले, मैं एयरपोर्ट के लिये और वे कॉलेज के लिये। गाड़ी में बैठते हुये उनकी नजर अपनी बांह पर गई तो उन्होंने उसे कोहनी तक फोल्ड कर लिया। क्या आदमी है, वो जो बाहर जाते वक्त भी शर्ट नहीं बदलता। वो खुद काम करता है क्योंकि वो एक मकेनिक है। उनका कहना था कि मुझे उन्होंने बुलाया है, मैं जैसा हूं वैसा ही रहूगां, उनके लिये मैं सूट तो नहीं पहन सकता। इस पर मैने हंसते हुये कहा कि सर आप मेरी तरह काली शर्ट पहना करें।

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आप कहानी लिखने से पहले उनसे इंस्पायर हुये। आपने उनसे पूछा कि वे ये मशीन बनाने के लिये किससे इंस्पायर हुये थे ?

मैं हम दोनों के लिये एक बात कहना चाहता हूं कि हम इंस्पायर किसी से नहीं होते। एडमायर सबको करते हैं। एडमायर बहुत लोगों का करना चाहिये, लेकिन इंस्प्रेशन अपने भीतर से आना चाहिये, इंस्प्रेशन किसी कॉज के लिये आना चाहिये कि मुझे ये करना है। किसी के जैसा बनना है वो इंस्प्रेशन कभी सफल नहीं हो सकता। अरूणाचलम किसी से इंस्पायर होने वाले शख़्स नहीं है। मैं भी उनसे इंस्पायर नहीं हूं, एडमायर जरूर हूं।

ट्विकंल खन्ना की बुक और आपकी स्क्रिप्ट में कितना फर्क है ?

दरअसल दोनों एक ही वक्त में लिखी गई थी। बेशक दोनों मुरूगानाथम की कहानी से इंस्पायर हैं लेकिन दोनों का आपस में कुछ भी नहीं मिलता। जैसे बुक को नहीं पता था कि फिल्म में क्या हो रहा है, वैसे ही फिल्म को भी नहीं पता था कि बुक में क्या लिखा गया है और दोनों ही एक साथ कंपलीट हुई। मैं कह सकता हूं कि बुक पर फिल्म बेस नहीं है, फिल्म पर बुक बेस नहीं है।

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कहा जाता है कि फिल्म की सिटिंग्स पर ट्विकंल शिरकत किया करती थी ?

दरअसल इससे पहले ट्विकंल ने कोई फिल्म नहीं लिखी, लिहाजा वो सब जानने के लिये उत्सुकता वश हमेशा हमारे साथ बैठा करती थी। कहानी में उनका इन्वॉलमेन्ट बहुत ज्यादा था क्योंकि वो मुरूगाननम के बारे में पहले से काफी कुछ जानती थी। उनका रिसर्च और कॉन्टीब्यूशन काफी था। उन्हें इस सब्जेक्ट की काफी नॉलेज थी, इसीलिये वे ऑक्सफोर्ड या किसी सोसाईटी में इस टॉपिक पर काफी देर तक बात कर सकती थी। आज भी वे एक अंग्रेजी पेपर में कालम लिखती हैं, लेकिन उन्होंने फिल्म कभी नहीं लिखी। दूसरे ऐसा पहली बार होगा कि एक कहानी को लोग फिल्म में देखेगें और बुक भी पढेंगे लेकिन दोनो सवर्था एक दूसरे से अलग हैं।

फिल्म में पहले से ही अक्षय कुमार के बारे में ही सोचा गया था ?

बिलकुल। क्योंकि अक्षय भी मरूगानाथम की तरह सिंपल वे में सोचता है, हमेशा ही उसी की तरह टेढा सोचता है। वो सोचने के लिये पोज नहीं लेता, प्लाट नहीं करता, वो पोंटिनेस करता है। दोनों ही बहुत सिंपल, बहुत प्यौर आदमी हैं, उनमें किसी तरह की साजिश नहीं दिखाई देती। अक्षय इतना बड़ा स्टार है, लेकिन जब वो सामने आता है तो एक दम सिंपल आदमी दिखाई देता है, इसीलिये मुझे नहीं लगता कि अक्षय के अलावा कोई इस रोल में फिट बैठ सकता था।

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बाल्की हैं तो फिल्म में कुछ नया देखने को मिलेगा ?

डेफिनेटली। बेशक ये मास फिल्म है लेकिन इसके साथ एक बात ये जुड़ी हैं कि इससे पहले पूरी दुनियां में किसी ने भी इस सब्जेक्ट के बारे में नहीं सोचा है कि इस पर फिल्म भी बनाई जा सकती है। अगर हम टॉयलेट एक प्रेम कथा की बात करें तो उसमें बेस था लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं है, यहां कोई मूवमेन्ट नहीं है। आज इस टॉपिक पर बहुत काम हो रहा है, कितने एनजीओ इसे लेकर काम कर रहे हैं, कितनी सोशल संस्थायें भी इस काम से जुड़ी हुई हैं, लेकिन मेन स्ट्रीम मीडिया इसमें जरा भी दिलचस्पी नहीं ले रहा है। इससे पहले लो पैड के बारे में कहां बात करते थे, लेकिन जैसे ही उन्होंने फिल्म का ट्रेलर देखा तो वे सोचने पर मजबूर हो गये कि हो यार मैने भी ऐसा कुछ अपनी वाइफ के पास देखा है। कल तक जो आदमी पैड के बारे में बात तक नहीं करता था, आज वो खुलकर इस पर चर्चा कर रहा है। इसके बाद हमें और क्या चाहिये।


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