‘‘फिल्म ‘द ताशकंद फाइल्स’ स्व.शास्त्री जी की मौत के सच को लेकर बात करती है..’’- पल्लवी जोशी By Shanti Swaroop Tripathi 10 Apr 2019 | एडिट 10 Apr 2019 22:00 IST in इंटरव्यूज New Update Follow Us शेयर बाल कलाकार के रूप में थिएटर, टीवी सीरियल व फिल्मों में अभिनय करते हुए पल्लवी जोशी पिछले 42 वर्षों से अभिनय के क्षेत्र में कार्यरत हैं. लेकिन विवेक अग्निहोत्री के साथ विवाह करने के बाद उन्होंने कुछ समय तक अभिनय से दूरी बना ली. पर बीच बीच में वह ‘कहना है कुछ मुझको’ व ‘मेरी आवाज ही मेरी पहचान है’ जैसे सीरियलों के अलावा ‘बुद्धा इन ट्राफिक जॉम’ व जैसी फिल्मों में नजर आती रही हैं. अब वह विवेक अग्निहोत्री निर्देशित फिल्म ‘ताशकंद फाइल्स’ को लेकर चर्चा में हैं। शादी के बाद आप बहुत कम काम कर रही हैं? - सच यही है कि मुझे फिल्मों के लिए याद ही नहीं किया जाता.जबकि टीवी सीरियल के लिए बुलाया गया, तो मैंने टीवी सीरियल किए. वैसे शादी के बाद करीबन दस साल मैने अपने बेटे व बेटी की परवरिश को दिए थे, उस बीच भी सीरियल लिखे. जब भी कुछ अच्छा करने का अवसर मिला, मैंने किया. फिल्म ‘बुद्धा इन ट्राफिक जाम’ में मुझे काफी पसंद किया गया था.अब 12 अप्रैल को प्रदशित हो रही फिल्म ‘द ताशकंद फाइल्स’ से मुझे काफी उम्मीदें हैं। फिल्म ‘द ताशकंद फाइल्स’ क्या है? - यह एक मर्डर मिस्ट्री है. हमारे देश के दूसरे प्रधानमंत्री स्व.लाल बहादुर शास्त्री की अचानक संदेहपूर्ण जो मृत्यु हुई थी, उसके बारे में है. उनकी मृत्यु पर प्रकाश डालने का एक प्रयास है। स्व.शास्त्री जी की मौत को 53 वर्ष तक किसी ने भी इस संबंध में कुछ नहीं सोचा. फिर आप लोगों ने इस पर फिल्म बनाने की बात क्यों सोची? - लगभग पांच छः वर्ष पहले एक ऐसी घटना घटी, जिसने मुझे व मेरे पति विवेक अग्निहोत्री, जो कि इस फिल्म के लेखक व निर्देशक हैं, को सोचने पर मजबूर किया. वास्तव में दो अक्टूबर के दिन मेरे पति विवेक ने ट्वीट किया कि आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ ही लाल बहादुर शास्त्री का भी जन्म दिन है,तो उन्हें भी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. इस पर मेरे बेटे ने सवाल किया कि कौन शास्त्री जी? उसने बताया कि उसे स्कूल में लाल बहादुर शास्त्री जी के बारे में पढ़ाया ही नहीं गया. तो हमें भारतीय शिक्षा पद्धति पर भी गुस्सा आया. हमने अपने बेटे को लाल बहादुर शास्त्री जी के बारे में काफी कुछ बताया. तो दूसरी तरफ विवेक के ट्वीट पर हजारों लोगों ने लिखा कि वह लाल बहादुर शास्त्री की रहस्मय मौत पर फिल्म क्यों नहीं बनाते? फिर विवेक और उनके सहायक सौरभ ने शास्त्री जी पर इंटरनेट पर खोज शुरू की, तो हर जगह वही हार्ट अटैक से मृत्यु की बात थी. यह बात हमारे गले भी नहीं उतरी. उसके बाद विवेक ने क्राउड सोर्सिंग शुरू की.सोशल मीडिया की वजह से हम लोग एक से दूसरे, दूसरे से तीसरे इंसान से मिलते चले गए और फिर जो तथ्य हमारे सामने आए, वह चौंकाने वाले थे. हम कई ऐसे लोगो से मिले, जिनके पास सौ प्रतिशत सबूत के साथ तथ्य थे, पर वह चुप थे.हमने हर किसी से सारे तथ्य लिए, कुछ किताबें भी पढ़ी. शास्त्री जी की मौत के बाद हमारे देश में जो घटनाएं हुई हैं, उन्हें लेकर एक नई कहानी उभरकर आयी। क्या इस फिल्म के प्रदर्शन के बाद रूस के साथ हमारे जो संबंध हैं, उस पर भी सवालिया निशान उठेंगे? - अब इस घटनाक्रम में रूस गिल्टी पार्टी हो,तो उस पर सवाल उठना स्वाभाविक है। फिल्म में आपका अपना किरदार क्या है? - मैंने इसमें एक आएशा अली शाह नामक मुस्लिम इतिहासकार का किरदार निभाया है, जिसने शास्त्री जी की मौत पर किताब लिखी है कि शास्त्री जी की मौत हार्ट अटैक से हुई. देखिए, इस फिल्म में एक कमेटी बैठाई जाती है, जो कि इस बात की जांच करती है कि क्या शास्त्री जी की मौत के पीछे कोई साजिश थी? इस पर वह कहती है कि कमेटी की जरुरत ही नहीं है. नवाबी जैसी औरत है. उसका मानना है कि बाकी लोगों का जन्म तो उसकी चापलूसी करने के लिए ही हुआ है. वह अच्छे खानदान से है. कैंब्रिज की पढ़ी हुई है. सरकार ने उसे पद्मश्री से नवाजा है. तो वह एक तेजतर्रार मोहतरमा है.उसे लगता है कि यदि कमेटी की जांच के बाद नया तथ्य सामने आ गया, तो उसकी किताब का क्या होगा? इसलिए वह बार बार दावा करती है कि उसे सच पता है कि शास्त्री जी की मौत हार्ट अटैक से हुई थी, इसमें कोई साजिश नहीं थी। फिल्म में आपके किरदार की वजह से क्या मोड़ आता है? - फिल्म में किसी भी एक किरदार की वजह से कोई मोड़ नहीं आता. कहानी में कमेटी से जुड़े हर पात्र की अहमियत है. इसलिए मैं सिर्फ अपने किरदार को लेकर आईसोलेशन में बात नहीं कर सकती। इस फिल्म से इतिहासकारों पर भी सवालिया निशान उठेंगें? - बिल्कुल..उठने भी चाहिए. यदि इतिहासकारों ने गलत इतिहास लिखा है, तो उन पर सवाल उठने चाहिए। आपकी फिल्म में क्या इस पर बात की गयी है कि सरकार के दबाव में या निजी स्वार्थ के चलते इतिहास कारों ने गलत इतिहास लिखा? -जहां तक फिल्म में मेरे किरदार का सवाल है, तो ऐसा कुछ नहीं दिखाया गया है. लेकिन आप स्वयं बताएं ऐसा कौन सा इतिहासकार है, जो इस बात को स्वीकार करेगा कि उसने सरकार के दबाव में आकर इतिहास को गलत ढंग से पेश किया. वह तो क्रेडिट स्वयं लेना चाहेंगे। इस फिल्म के प्रदर्शन के बाद किस तरह के रिस्पांस आने की उम्मीद आपको है? - मुझे लगता है कि इस फिल्म के थिएटरो में पहुंचने के बाद लोग सरकार से स्व.शास्त्री जी की मौत के सच को जानने के लिए जांच कमेटी के गठन की मांग करेंगे। क्या यह फिल्म इस संबंध में कोई बात करती है कि अब तक इस मसले को दबा कर क्यों रखा गया? -फिल्म में इन सारे मुद्दों पर बात की गयी है. स्व.शास्त्री जी की पत्नी ललिता शास्त्री जी ने जो सवाल उठाए थे, उनका भी जिक्र है. इसमें स्व.शास्त्री जी के बेटे, जो कि कांग्रेस पार्टी में है, उनसे भी बात की गयी है और उनका मानना है कि स्व.शास्त्री जी को जहर दिया गया था। फिल्म के निर्देशक आपके पति विवेक अग्निहोत्री है, इसके चलते आपके लिए उनके निर्देशन में काम करना कितना सहज या कठिन रहा? - आपके इस सवाल का जवाब मैं सही ढंग से नहीं दे पाऊंगी. देखिए, मैं विवेक के निर्देशन में उनसे शादी करने के पहले से ही काम करती रही हॅूं. तो निर्देशक के तौर मैं उनसे कई वर्षां से परिचित हॅू. हमने शादी के बाद अचानक एक साथ काम करने का निर्णय नहीं लिया. शादी से पहले ही हम एक दूसरे की पसंद नापंसद से वाकिफ थे. हमारा रिश्ता बहुत मजबूत रहा है. इसलिए शादी के बाद भी उनके साथ काम करने में मुझे कोई फर्क नहीं नजर आया. मैं विवेक को अच्छी तरह से जानती हूं, इसलिए उनके बारे में एक बात कहना चाहूंगी कि उनके दिमाग से जो भी निकलता है, वह धमाकेदार आइडिया होता है. वह आइडिया को रोचक तरीके से कहानी में पिरोते भी अच्छा हैं. उसके बाद जब प्रोडक्शन व कास्टिंग की बात आती है, तब मेरा इंवाल्बमेंट शुरू होता है। आपने कभी निर्देशन के बारे में नहीं सोचा? - मैं निर्देशन के क्षेत्र में उतरने के बारे में पहले काफी सोचती थी. पर जब मैंने विवेक को निर्देशक के तौर पर काम करते देखा, तो मुझे लगा कि यह तो मेरे वश की बात नहीं है. यह तो बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. मैंने इतने साल इसी सोच में निकाल दिए कि इतनी बड़ी जिम्मेदारी मैं झेल पाऊंगी या नहीं। पर आप लिखती रहती हैं? - जी हॉ! मैंने ‘आरोहण’ नामक सीरियल लिखा था.विवेक के लिए ‘सटरडे सस्पेंस’ और ‘गुब्बारे’ के कुछ एपीसोड लिखे. जब मन होता है या कोई मुद्दा मेरे मन को उद्वेलित करता है, तभी लिखती हूँ। सिनेमा की वर्तमान स्थिति से आप कितना संतुष्ट हैं? - सिनेमा की स्थिति से मैं बहुत खुश हूँ. सिनेमा में, फिल्मों की कहानी में काफी बेहतरीन परिवर्तन आ रहा है. मुझे तो बहुत सकारात्मक बदलाव नजर आ रहा है.आज लोग भारतीय होने का गर्व महसूस करते हैं. आज लोग अपनी भारतीयता का जष्न मना रहे हैं। फिल्म ‘ताशकंद फाइल्स’ के अलावा क्या कर रही हैं? -एक टीवी शो ‘भारत का शो’ कर रही हूँ. जिसमें हम स्वच्छ भारत, गंगा सफाई सहित कई मुद्दों पर एक एक एपीसोड बना रहे हैं. हम इसमें नारी सशक्तिकरण पर भी बात की है, हमने कहा कि हम तो नारी को ही शक्ति मानते हैं। #bollywood #interview #Pallavi Joshi #Tashkent Files हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article