‘‘मेरी बेटी नूर्वी लक्ष्मी बनकर खुशियां लेकर आयी है..’- नील नितिन मुकेश By Shanti Swaroop Tripathi 06 Nov 2019 | एडिट 06 Nov 2019 23:00 IST in इंटरव्यूज New Update Follow Us शेयर मशहूर गायक स्व.मुकेश के पोते और मशहूर गायक नितिन मुकेश के बेटे नील नितिन मुकेश ने 12 वर्ष के अपने अभिनय कैरियर में काफी उतार चढ़ाव देखें। एक वक्त वह था जब उनकी लगातार पांच फिल्में बाक्स ऑफिस पर असफल हो गयी थी और लोगों ने मान लिया था कि नील नितिन मुकेश का कैरियर खत्म हो गया। मगर ऐसा नहीं हुआ। वह दोगुने जोश के साथ वापस आए। कुछ समय पहले प्रदर्शित फिल्म ‘साहो’ ने बाक्स ऑफिस पर कमाल नहीं किया, मगर हर किसी ने नील नितिन मुकेश के अभिनय की तारीफों के पुल बांधे। अब नील नितिन मुकेश बतौर लेखक,निर्माता व अभिनेता फिल्म ‘‘बायपास रोड’’ लेकर आ रहे हैं। जिसका निर्देशन उनके छोटे भाई नमन नितिन मुकेश ने किया है। इस फिल्म में उन्हांने अपने पिता नितिन मुकेश से एक गाना भी गवाया है। च प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के अंश.. 2007 से 2019,12 साल का आपका कैरियर है.12 साल के कैरियर को कैसे देखते हैं और उसमें टर्निंग प्वाइंट क्या रहे? -मेरे लिए हर साल एक टर्निंग प्वाइंट रहा.12 साल के करियर में काफी कुछ सीखने को मिला। मैने 25 साल की उम्र में अभिनय कैरियर की शुरूआत की थी। आज मैं 37 साल का हूं,तो एक किस्म की मैच्योरिटी आ गई है। एक किस्म की समझ विकसित हो गयी है। कैरियर की शुरूआत के वक्त कंधों पर जो वजन था, वह वजन और बढ़ गया है। इस बीच कई उम्दा कलाकारों के साथ काम करने का मौका मिला। ऐसे निर्देशकों के साथ काम करने का मौका मिला, जिन्होंने मुझे बहुत कुछ सिखाया। मैंने खुद ब खुद दूसरों को काम करते देख काफी कुछ सीखा। मैंने सबसे बड़ी बात यह सीखी कि जिंदगी में सीखना कभी खत्म नहीं होता। आप यह कभी नहीं कह सकते कि हम सब कुछ सीख चुके हैं। पहले मुझमें एक किस्म का घमंड और बचपना था कि मैं तो अभिनेता हूँ। सच कह रहा हूँ। अब मेरे अंदर का यह घमंड खत्म हो चुका है। जिंदगी के संघर्ष समझ में आ रहे हैं। मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा व अहम टर्निंग प्वाइंट तो पिता बनना रहा.जब मैं पिता बना,मेरी बेटी घर आयी, तब से अब तक एक किस्म की जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ गई है। बेटी के आने के बाद निजी जिंदगी में किस तरह के बदलाव आए? -ढेर सारे बदलाव आए। कहते हैं कि घर में लक्ष्मी आयी है। मैं भी मानता हूं कि मेरे घर लक्ष्मी आयी है,बहुत सारी खुशियां लाई है। उसके आते ही मुझे इतने सारे लोगों का प्यार वापस मिल गया। मेरे लिए तो वह ‘गुड लक’ही लेकर आयी है। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि अपने कैरियर में एक मुकाम ऐसा भी हासिल करूंगा। मैंने कल्पना नहीं की थी कि कभी आपके साथ निर्माता, लेखक व अभिनेता की हैसियत से बैठकर बात करुंगा। कैरियर की शुरुआत में इतनी आसानी से मुझे फिल्में मिलेंगी,मैंने नही सोचा था। पर लोगों ने प्यार व इज्जत मेरे परिवार को,मेरे दादा जी के समय से लेकर मेरे पिताजी व मुझे भी दी है। मैं चाहता हूं कि मेरा भाई नमन भी उसी लायक बने कि आप सभी का प्यार,आप सभी की इज्जत वह पाए। बेटी के आने के बाद कैरियर में क्या नया मोड़ आया? -बेटी के आने के बाद अच्छी अच्छी फिल्में मिल रही हैं। मैं तो कहूंगा कि बेटी क्या,उसकी मां यानी कि मेरी धर्मपत्नी रुक्मणी के आने के बाद से ही बहुत सारी चीजें मेरी जिंदगी में बदलने लगी। मुझे दक्षिण भारत की बड़े बजट की बड़ी व बेहतरीन फिल्मों से जुड़ने का मौका मिला। मैंने हिंदी में ‘गोलमाल’की। अपना प्रोडक्शन हाउस शुरू किया। अब मेरे प्रोडक्शन हाउस की फिल्म ‘बायपास रोड’ एक नवंबर को सिनेमाघरो में पहुँचने वाली है। तो बहुत सारी चीजें बदली। बेटी के आने के बाद नमन की फिल्म पर काम शुरू हुआ। आप मानेंगे नहीं, पर हकीकत यह है कि हमने गत वर्ष 18 सितंबर को नमन की फिल्म ‘बायपास रोड’ शुरू की और 20 सितंबर को बेटी नूर्वी का जन्म हुआ, वह भी गणपति उत्सव के दौरान। इसीलिए मेरे पिता ने इसका नामकरण नूर्वी किया। ‘नूर्वी’ शब्द गणपति जी की आरती का है।‘ सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची नूर्वी पूर्वी..’तो नूर्वी और पूर्वी प्यार की देवी हैं। मेरा मानना है कि वह लक्ष्मी है.उन्होंने मुझे सौभाग्य दिया कि मैं अपने बेटे समान छोटे भाई नमन की फिल्म का निर्माता बनकर उसकी फिल्म में अभिनय भी करूँ। नमन मुझसे दस साल छोटा है। फिल्म ‘‘बायपास रोड’’ की कहानी भी आपने लिखी है.तो कहानी का बीज कहां से मिला? -यह पूरी तरह से फिक्शनल कहानी है। यह ऐसे जॉनर की फिल्म है, जिसे लोग हमेशा पसंद करते हैं। अपने भाई नमन के निर्देशन में फिल्म बनाने के लिए मैंने कहानी तलाशी, पर पसंदीदा कहानी नहीं मिली। तो मुझे लगा कि मैं ही लिखता हॅूं। अब ओटीटी प्लेटफार्म, नेटफ्लिक्स व अमेजॉन आ चुका है। अब दर्शक काफी शिक्षित है। इसलिए मैंने ऐसी फिल्म लिखी, जो कि रोमांचक और मर्डर मिस्ट्री भी है। इसमें ड्रामा और रोमांस को हिंदूस्तानी कल्चर को ध्यान में रखकर पिरोया है। फिल्म की कहानी सॉलिड है और मोटीव बहुत स्ट्रांग है। आखिर एक आदमी क्यों किसी को मारना चाहेगा? किस हद तक कोई पुरूष या औरत जाल बिछाएगा? यह सब इसमें है। फिल्म ‘‘बायपास रोड’’ के अपने किरदार को लेकर क्या कहेंगे? इसके लिए आपको किस तरह की तैयारी करनी पड़ी? -मेरा किरदार बहुत ही दिलचस्प है और मेरे कैरियर का सर्वाधिक कठिन किरदार है। मैंने इसमें फैशन कंपनी से जुड़े हुए विक्रम कपूर का किरदार निभाया है, जो कि अपने पिताजी के साथ इस कंपनी को चलाता है। विक्रम कपूर एक रंगीन किस्म का इंसान है.पैसे व शोहरत है। विक्रम कपूर प्रोग्रेसिव है। वह अपने लिए एक मुकाम हासिल करना चाहता है। उसकी एक प्रेमिका है राधिका(अदा शर्मा), जिससे वह बेहद प्यार करता है। एक दिन विक्रम कपूर का एक्सीडेंट हो जाता है और वह अपाहिज होकर व्हील चेअर पर आ जाता है। मगर जिस रात उसका एक्सीडेंट हुआ,उसी रात सारा ब्रिगांजा(शमा सिकंदर)की हत्या भी हुई। अब कहीं ना कहीं विक्रम कपूर एक्सीडेंट के विक्टिम के तौर पर उस मर्डर का सस्पेक्ट बन जाता है। यहां से कहानी एक नया मोड़ ले लेती है। अपाहिज विक्टिम है, पर वह प्राइम सस्पेक्ट बन गया। फिर कहानी में कई मोड़ हैं। पुलिस हत्यारे की तलाश में हैं। तो कोई विक्रम कपूर की हत्या करना चाहता है। सारा का मंगेतर भी गायब है। धीरे धीरे सारे राज खुलते हैं। विक्रम कपूर के घर में एक के बाद एक कई हत्याएं होती हैं। उसकी सौतेली मां रोमिला(गुल पनाग)भी शक के दायरे मे है। कई सवाल हैं। फिल्म ‘‘बाय पास रोड’’ में आपने अपने पापा से भी गाना गवाया है। इसके पीछे क्या सोच रही? -यदि पिता का गाना फिल्म में न होता,तो दोनो बेटों का कैरियर अधूरा रह जाता.आखिर हमारा वजूद ही क्या है? हमारी औकात ही क्या है? अगर हम अपने कैरियर में एक बार उनके साथ काम ना कर पाए। मेरे पिताजी फिल्मों में नही गाते हैं.पर हमने तय किया कि हम अपने पिता के गीत ‘सो गया ये जहाँ.. ’उनसे पुनः अपनी फिल्म के लिए गवाएंगे। पर हम डरे हुए थे। क्यांकि हम व मेरे पापा रीमिक्स के खिलाफ है.ऐसे में उनसे कहना है कि उन्हें उनके ही एक गीत के रीमिक्स को गाना है, आसान नहीं था। पर हमने रीमिक्स की खिलाफत का नियम तोड़ दिया। क्योंकि हम उनकी इज्जत हमारे साथ बरकरार रखना चाह रहे हैं। आपकी फिल्म के लिए गाना गाने के बाद आपके पिताजी नितिन मुकेश ने क्या कहा? -पापा की आंखों में आंसू थे। गाना रिकार्ड करने के बाद उन्हांने कहा, ‘बेटा,तुम देखना.. अगर गाना वाकई में अच्छा लग रहा है, तो रखना अन्यथा किसी अच्छे गायक से पुनः गवा लेना। ’’मैंने कहा कि, ‘आप कैसी बात कर रहे है। आपकी आवाज आज भी वही लग रही है, जो 1988 में लग रही थी। आवाज बिल्कुल नहीं बदली है।उतनी ही उम्दा आवाज है आपकी। आपका और आपके पिताजी के बीच जो रिश्ता है,वह इस फिल्म में विक्रम और उसके पिताजी के रिश्ते में नजर आएगा? -जरूर। एक हद तक जो रिलेशनशिप है, जो इज्जत,प्यार है। वह शायद मेरे प्वॉइंट ऑफ व्यू से फिल्म का हिस्सा है। बेटा होने के नाते जिस तरह से निजी जीवन में मैं अपने पिताजी के साथ थोड़ा सा एडवांटेज ले लेता हूँ, उसी तरह विक्रम अपने पिता जी के साथ एडवांटेज लेता है।फिल्म में पिता व बेटे का रिश्ता बहुत खूबसूरत है. इसके बाद कौन सी फिल्में कर रहे हैं? नील नितिन मुकेश -'कुछ फिल्में है.जैसे कि ‘फिरकी’ है, जो कि दिसंबर या जनवरी 2020 में रिलीज होगी।' मायापुरी की लेटेस्ट ख़बरों को इंग्लिश में पढ़ने के लिए www.bollyy.com पर क्लिक करें. अगर आप विडियो देखना ज्यादा पसंद करते हैं तो आप हमारे यूट्यूब चैनल Mayapuri Cut पर जा सकते हैं. आप हमसे जुड़ने के लिए हमारे पेज ">Facebook, Twitter और Instagram पर जा सकते हैं. #interview #Neil Nitin Mukesh #Bypass Road हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article