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मेरे पापा मुझे स्वयं ही फिल्मों का चयन करने को कहते है: हर्षवर्धन कपूर

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By Mayapuri Desk
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मेरे पापा मुझे स्वयं ही फिल्मों का चयन करने को कहते है: हर्षवर्धन कपूर

हर्षवर्धन कपूर को सभी एक बहुत ही सीरियस और बेहतरीन अभिनेता के रूप में देखते है। उनके फिल्मों का अपरंपरागत चयन उन्हें आज के अभिनेता, जो कमर्शियल फिल्मों में ज्यादा रूचि रखते है उसे अलग श्रेणी में देखना है। आज के नवीनतम अभिनेता तुरंत स्टारडम और फेम पाने के लिए आतुर रहते है। जबकि हर्षवर्धन कपूर हालांकि स्टारडम और फेम से परे नहीं रहना चाहते है, किन्तु वो अपनी क्रेटिवे उपलब्धियाँ को फेम के लिए यू ही कुचल नहीं सकते। हाल ही में ‘रे’ एन्थोलॉजी में, स्पॉटलाइट में नेटफ्लिक्स पर बतौर लीड रोल में हर्षवर्धन कपूर ने अपने अभिनय की वजह से सभी का दिल जीत लिया है।

मेरे पापा मुझे स्वयं ही फिल्मों का चयन करने को कहते है: हर्षवर्धन कपूर

हाल ही में नेटफ्लिक्स प्लेटफॉर्म पर रे एन्थोलॉजी में, स्पॉटलाइट में बतौर मेंन लीड नजर आये, आप ने इसे क्यों चुना किस चीज से प्रेरित हुए आप? और पापा की क्या सलाह थी?

हम दोनों इस बात से खुश फील कर रहे थे कि मैं निर्देशक वसन बाला के साथ काम करने जा रहा हूँ। यह बहुत ही उम्दा निर्देशक है। और मेरे पापा मुझे स्वयं ही मुझे फिल्मों के चयन करने को कहते है। उनका किसी तरह से भी इस मामले में कोई भी अंकुश नहीं रहता है। पहली बात जिस ने मुझे इस फिल्म को करने के लिए प्रेरित किया वो निर्देशक और दूसरी स्क्रिप्ट जो बेहद अच्छी तरह से लिखी गई है।

रीमेक एवं अनुकूलन कंचजंजपवद, सत्यजीत रे की क्लासिक शार्ट स्टोरीज जो अभी नेटफ्लिक्स पर चल रही है, इस पर क्या टिप्पणी करना चाहेंगे आप?

आप को बता दूँ यह अनुकूलन कंचजंजपवद, नहीं की गयी है अपितु सत्यजीत रे की शार्ट स्टोरीज से कुछ हद तक प्रेरित है। यह खुशी की बात है की निर्देशक ने उनसे प्रेरणा लेते हए इस कहानी को अपना बनाया है। यह उनका एक साहसी कदम है, सत्यजीत रे भी इससे जरूर देखना पसंद करते। हम लकी भी है उनकी शार्ट स्टोरीज से प्रेरित हो कर हमने कुछ अलग और कूल करने को कोशिश भी की है। और सफल भी हुए है।

आपके लुक से सेलिब्रिटी ईगो और अहंकार, एवं रिलीजियस धार्मिक,भावना दिखाई देती है, क्या कहना चाहेंगे इस पर? और आप कितने धार्मिक है?

यह एक तरह से और भी प्रतीक आत्मा मानी जा सकती है जो व्यक्तित्व में आंतरिक विश्वास पैदा करती है। बाहर इसकी चमक स्पॉटलाइट बन जाती है। यह एक तरह से रूपान्तरिक है। हाँ फिल्म में कुछ धर्म पर भी अच्छे पॉइंट्स उजागर किये गए है। और किस तरह कुछ लोग धर्म के नाम पर जुनून रखते है और विश्वास करते है। और सेलिब्रिटी कल्चर से भी प्रेरित होते है और उनकी चकाचैंध में खो जाते है। फिल्म में यह सब है किन्तु बहुत ज्यादा हैवी तरीके से इस प्रदर्शित नहीं किया गया है। आईएनएस मजेदार पॉइंट को बड़े ही सरलता से पेश किया गया है। मैं धर्म पर विश्वास नहीं रखता हूँ। पर ,हाँ एक अच्छे व्यक्तित्व ,में विश्वास करता हूँ। और अच्छे कर्म करने में भी विश्वास करता हूँ।

जिसमें आपने उनके रियल पुत्र का किरदार निभाया बहुचर्चित फिल्म बन गयी?

आपको सच कहु तो में मीडिया से इस फिल्म पर चर्चा भी नहीं की थी और मेरा किरदार कुछ सीन्स के लिए ही नजर आता है ,न ही हमने इसके लिए किसिस प्रमोशनल इवेंट रखा था। और मुझे तो लगा भी नहीं था कि क्रिटिक इस फिल्म को लेकर मेरे काम की चर्चा भी करेंगे।इस में अपने खुद का वर्शन प्ले कर रहा हूँ। लोग इस फिल्म को देख कर यह विश्वास कर बैठे कि मै वैसा ही हूँ। किन्तु मैं वैसा नहीं हूँ। इस फिल्म का रिस्पांस बेहद बेहतरीन रहा। यह खुशी की बात है।

क्या आप यह मानते है सत्यजीत रे की फिल्में अविश्वसनीय और पागलपन से भरपूर होती है?

बिल्कुल सही कहा आपने। उनकी फिल्मों से बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है।और अब जबकि उनकी यह अन्थोलॉजी की है तो मैं उनका पिछला और कुछ काम को देख कर अपना अनुभव बढ़ाना चाहूंगा।

आपने ने राकेश ओम प्रकाश मेहरा की निर्देशित फिल्म, मिर्जिया से डेब्यू किया था, अपनी जर्नी है?

मिर्जिया रिलीज तो हुई किन्तु बॉक्स ऑफिस पर फिल्म ने कोई खासा अच्छा रिजल्ट नहीं पाया। किन्तु मुझे यह मालूम था और है कि मुझे किस तरह की फिल्में करनी पसंद है। मैं उनकंवेंशनल फिल्में करना चाहता हूँ सो यदि लोगों को मुझे दूसरी फिल्मों में देखना पसंद होगा तो जाहिर सी बात है उन्हें मेरी अलग किस्म की फिल्मों की पसंद जायेगी नहीं। मुझे यह मालूम है अपना एक मुकाम बनाने में मुझे समय तो लगेगा ही। किन्तु ऐके वध्स ऐके, भावेश जोशी स्पॉटलाइट जो फिलहाल एक वर्ष में हुई है और लोगों को पसंद भी आयी है इसी मुझे उम्मीद बंधी है और मैं आगे की और देख रहा हूँ।

आगे कुछ सोच कर हर्षवर्धन बोले, यह मेरी खुद की पसंद और सोच है कि -मै इन्ही तरह की फिल्मों से जुड़ना चाहता हूँ। जब हम छोटे होते है और ऐसी उम्र जिसमें हम कुछ भी देखते है, उस से हम बहुत प्रभावित होते है ,तब मैंने डी वी डी, जो मेरे पिताश्री घर लाया करते ढेरो फिल्में देखी। और थोड़ा बड़े होने पर मैंने रोजना एक फिल्म एक दिन में देखनी शुरू की। सो मेरे हिसाब से अपनी क्रिएटिविटी को ही मै महत्व दूंगा। फेम और स्टारडम तो मैं भी चाहता हूं,किन्तु वह मेरी पसंद की फिल्में देने के बाद ही मिले तो बहुत लम्बे तक चलेगी बहुत से नए कलाकर कमर्शियल फिल्में करना पसंद करते है, किन्तु मैं अपने हिसाब से अपने लिए सच्चा फील करना चाहता सो जो फिल्में मुझे दिल से अच्छी लगेगी मै वही करूँगा।

आपकी आगे आने वाली फिल्में कौन सी है?

मेरी अगली फिल्म एक थ्रिलर है, जिसका फिलहाल मैं डिटेल्स नहीं दे पाउँगा। हाँ इतना जरूर बता सकता हूँ– इस फिल्म में मेरे डैड और मैं साथ में दिखलायी देंगे। इस फिल्म की डबिंग बाकि है यह फिल्म की शूटिंग हमने दिसंबर, जनवरी फरवरी में शूट पूर्ण कर ली थी। और भी कुछ निर्माता और निर्देशक के सतह बातचीत चल रही है। अभिनव बिंद्रा बायोपिक के लेखन पर काम चल रहा है।

मेरे पापा मुझे स्वयं ही फिल्मों का चयन करने को कहते है: हर्षवर्धन कपूर

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