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‘हर लड़की शादी की तमन्ना रखती है मगर...’

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By Sharad Rai
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‘हर लड़की शादी की तमन्ना रखती है मगर...’

नई फिल्म ‘शादी में जरुर आना’ के दर्शको के लिए कृति खरबंदा का परिचय भले ही नया न हो, उनके चेहरे की चमक दर्शको से कुछ कह जाती हैं. एक भाव पूर्ण आहट जो कृति में दिखाई देती हैं, वो सहज होते हुए भी बता जाती है जैसे फिल्म की नायिका आरती शुक्ला का रोल उसी के लिए लिखा गया हो. फिल्म के प्रचार के दौरान कृति से इस फिल्म को लेकर चर्चा होती हैं.

‘कैसे मिली थी यह फिल्म?’

पूछने पर जवाब में वह हंस देती हैं. ‘100 ऑडीशन के बाद. मुझे यह बात बाद मे मालुम पड़ी कि फिल्म के निर्माता विनोद बच्चन और दीपक मुकुट ने हीरोइन के चुनाव के लिए ऑडीशन रखे थे. फिल्म को डायरेक्टर रत्ना सिन्हा जी ने जब मेरा ऑडीशन देखा तो कई बार देखा. वे लोग तब इस बात पर सहमत हुए सबके सब जिस आरती को वे ढूढ़ रहे थे वो मैं ही थी. उनके दिमाग में जो करेक्टर था उसे वे मेरे लुक में नजर आया.’

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‘फिल्म की भूमिका से आप खुद को कितना जुडी हुई पाती हो?’

‘यह भूमिका हर उस लड़की से जुड़ी है जो कुछ करना-बनना चाहती है। फिल्म में आरती एक ऐसी ही लड़की है जो मानती है कि शादी-प्यार जरूरी है मगर उसके साथ कैरियरिस्ट होना भी जरूती है। एक अंतरद्वन्द कभी कभी जीवन में खड़ा हो जाता है और तब...? मैं समझती हूं हर लड़की और लड़के को-जो सीविल सर्विसेज की पढ़ाई से जुड़े हैं, उन्हें यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए।‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ावों के नारे को पूरी समग्रता से लागू करना हो तो इस फिल्म की नायिका आरती से सीख लेनी चाहिए।,

‘आपकी पिछली फिल्म ‘राज-रीबूट’ ने कामयाबी नहीं पाई थी, उसका असर आपके करियर पर पड़ा?’

‘लोगों ने उस फिल्म में मेरे करेक्टर (शाइना) को पसंद किया था। मेरे लिए यही बहुत है। उसके बाद ही मुझे हिन्दी में दूसरी फिल्म ‘गेस्ट इन लंदन’ मिली थी। और अब, यह फिल्म ‘शादी में जरूर आना’ है। मैं मानती हूं कामयाबी में तकदीर का रोल भी होता है। मेरी  दक्षिण की सत्रह फिल्मों में शुरू की पांच फिल्में फ्लॉप गई थी।’ कृति के करियर की शुरूआत तेलुगू फिल्म से हुई है। वह दक्षिण भारत की फिल्मों-तेलुगू, तमिल और कन्नड़ा में स्टार रही हैं और 17 फिल्मों देने के बाद हिन्दी -फिल्मों में आई है।

मजे की बात है कि उनकी आरंभिक शिक्षा और परवरिश नई दिल्ली के पंजाबी परिवार से है। जब मैं छोटी थी, मेरा परिवार बंगलौर शिफ्ट हो गया था। मगर दिल्ली से होने के कारण मेरी मंदर टंग हिन्दी ही है। हाँ, अब मैं तेलुगू बोल लेती हूं। और हिन्दी में काम करने मुंबई आ गई हूं।, ‘मेरा कैरियर शुरू हुआ था टीवी कमर्शियल और एड फिल्मों  से। भीमा ज्वैलर्स, स्पर बिल बोर्ड, फेअर एंड लवली के मेरे विज्ञापन खूब पॉपुलर हुए थे। जब कालेज में थी एड करती थी। वहीं से डेब्यू फिल्म ‘बोनी‘ (सुमंत के साथ) मिली। फिर ‘तीनमार’ (पवन कल्याण के साथ) की ये भी तेलुगू फिल्म थी। उसके बाद कन्नड़ की ‘चिरू’ की... फिर वहां की स्टार बन गई।,

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‘शादी में जरूर आना’ करने का अनुभव कैसा रहा?

बहुत अच्छा अच्छा टीम थी। शूटिंग के लिए आउटडोर में जाने पर मजा आया

शादी-ब्याह के बारे में आपके ख्यालात क्या हैं?

‘पर्दे के लिए मैं कई बार शादी के सीन कर चुकी हूं। निजी जीवन में मैं शादी करने के पक्ष में हूं। हर लडकी शादी की तमन्ना रखती है लेकिन, उसके मन मे जो अंबिशन हो उसे दबाना नहीं चाहिए शादी सिर्फ दो शरीर का मिलन नहीं, दो परिवार, दो कल्चर और दो सोच का मिलन होता है। करियर भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना गृहस्थ जीवन। दोनो का समन्वय होना चाहिए।‘

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‘अपनी दूसरी फिल्मों के बारे में बताना चाहेंगी?’

‘जब उनकी बारी आएगी तब। अभी सिर्फ यही बताना चाहूंगी कि शादी में जरूर आना। जहां सत्तो और आरती आपका भरपूर मनोरंजन करेंगे।’

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