मुझे नेशनल अवॉर्ड का लालच नहीं है- के के मेनन By Lipika Varma 29 May 2018 | एडिट 29 May 2018 22:00 IST in इंटरव्यूज New Update Follow Us शेयर अभिनेता के के मेनन ने अपनी फिल्म ‘फेमस’ के प्रमोशनल के दौरान हमसे बातचीत में फिल्म के अलावा कई और चीजों पर लिपिका वर्मा से यह कहा - फिल्म इंडस्ट्री में दो दशक से ज्यादा समय से काम कर रहे हैं आप, अब तक कोई नेशनल अवॉर्ड किसी फिल्म के लिए नहीं मिला है- क्या कहना चाहेंगे आप ? - ‘‘मुझे नहीं पता कि मेरे काम को लेकर मुझे कितनी प्रशंसा (अवॉर्ड) मिलनी चाहिए। प्रशंसा का ग्राफ कभी खत्म नहीं होता है। मुझे जब कोई सामने से मिलता है तो मुझे उसकी आंखों में अपने प्रति जो सच्चा स्नेह और प्रशंसा दिखाई देती है... मैं उसी को अपने पास रख लेता हूं। जिस दिन मुझे तारीफ सुनने की आदत हो जाएगी उस दिन से मैं कठोर हो जाऊंगा, आर्टिस्ट नहीं रहूंगा।’’ और नेशनल अवॉर्ड ? - ‘‘नेशनल अवॉर्ड का लालच नहीं है मुझे, अगर यह लालच मन में आ गया तो काम पर से दिमाग और मन हट जाएगा। मैं जिंदगी में पहली बार ‘हैदर’ के लिए फिल्म फेयर अवॉर्ड और एक दूसरा अवॉर्ड लेने गया था। इतने सालों में पहली बार अवॉर्ड लेने इसलिए गया क्योंकि मेरी बूढ़ी मां ने कहा कि बेटा एक बार तो चला जा... अवॉर्ड लेने। मुझे नेशनल अवॉर्ड अगर अभी तक नहीं मिला तो इसका भी कोई कारण होगा। मैं इस कारण में नहीं उलझना चाहता हूं।’’ पर आप कई मर्तबा नॉमिनेट भी हुए है ? - जी, मुझे नॉमिनेशन पहले भी मिला है, लेकिन में कभी अवॉर्ड फंक्शन पर कभी गया नहीं था। मुझे अवॉर्ड के ‘बेस्ट’ शब्द से परहेज है। कला के मामले में कोई बेस्ट नहीं होता है। बेस्ट शब्द खिलाड़ियों के लिए उचित हैं। अवॉर्ड ऐसे होने चाहिए कि किसी फिल्म में अच्छा काम करने के लिए किसी को अवॉर्ड दिया जा रहा है। फिल्म ‘फेमस’ की शूटिंग के दौरान पहली बार चंबल जाने का मौका मिला। क्या अनुभव रहा ? - जी हाँ! ‘‘मैं पहली बार चंबल गया, जब मैं चंबल की खबरें सुनता था तो सोचता था कि वहां के डाकू यह सब कैसे कर लेते हैं और पकड़े क्यों नहीं जाते। जब मैं चंबल गया तो देखा चंबल के बीहड़ राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के राज्यों के बॉर्डर पर हैं। जब उनका पीछा किया जाता था तब वह एक राज्य से दूसरे राज्य में भाग जाते थे, पीछा करने वाले राज्य के पुलिस को ठेंगा दिखाते थे। ऐसा वह हर राज्य के पुलिस वालों के साथ करते थे, तब कोई पॉलिसी भी नहीं थी। चंबल को मैं वाइल्ड ईस्ट कहता हूं। अब शायद चंबल में कोई डाकू नहीं रहे, जो थे वह मंत्री बन गए हैं। गोलियां तो वहां अब भी शादियों में चलती हैं।’’ फिल्म में अपने किरदार के बारे में कुछ बतायें ? - ‘‘फिल्म ‘फेमस’ में मेरे किरदार का नाम है कड़क सिंह। यह बहुत की काम्प्लेक्स कैरक्टर है, हमेशा की तरह इस बार भी मेरे पास ही सबसे काम्प्लेक्स किरदार आया है। कड़क सिंह पावर का भूखा इंसान है। वह पॉलिटिशन नहीं है लेकिन वह उस इलाके का सबसे धाकड़ व्यक्ति है।’’ हॉलीवुड में काम करने की चाहत नहीं है आप में ? - ‘‘हॉलीवुड वाले मुझे बुलाएंगे तो मैं जरूर काम करूंगा, शायद मेरी अंग्रेजी अच्छी नहीं है इसलिए वह मुझे बुलाते नहीं हैं। हॉलीवुड में काम करने के लिए मैं कभी नतमस्तक नहीं होऊंगा। वहां परहम भारतीय कलाकारों को अधिकतर एक भारतीय या पाकिस्तानी किरदार निभाने को ही दिए जाते हैं, इस मामले में वह भेद-भाव करते हैं। एक अच्छी बात है कि वहां किसी की बपौती नहीं रहती, अच्छा टैलंट है तो काम मिलता है।’’ क्या फर्क है बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों में ? - ‘‘मैं हॉलीवुड के काम की खूब प्रशंसा करता हूं। हर मामले में वे लोग अपने सिनेमा को विश्वसनीय बनाने के खूब मेहनत करते हैं। हमारे यहां तो जो विश्वसनीय लगता है उसे भी खराब कर देते हैं। मैं बॉलीवुड की कुछ फिल्मों को एंटी ग्रैविटी फिल्म कहता हूं। यहां की फिल्मों में जब कोई किसी को मारता है तो वह उड़ने लगता है, अब अपने आपको सुपरमैन भी नहीं कहते। दर्शक भी जानते हैं कि स्टार कौन है, अगर आपके एक बार मारने से कोई उड़ने लगता है तो अपने किरदार को पहले सुपरमैन की तरह जस्टिफाइ तो करो।’’ #bollywood #interview #Kay Kay Menon #Kadak Singh #Phamous हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article