मुझे सिर्फ रोमांटिक किरदार नहीं निभाने हैं: डॉ.आशिष गोखले By Mayapuri Desk 17 Dec 2021 | एडिट 17 Dec 2021 23:00 IST in इंटरव्यूज New Update Follow Us शेयर शान्तिस्वरुप त्रिपाठी सिनेमा एक ऐसा माध्यम है, जिस माध्यम में हर इंसान काम करना चाहता है। लोग इंजीनीयर या डॉक्टर बनने के बाद भी उस पेशे से दूरी बनाकर सिनेमा माध्यम में कार्यरत हैं। ऐसे ही लोगों मे से एक हैं- डॉ. आशिष गोखले। डॉक्टर माता पिता के बेटे डाक्टर आशिष गोखले मूलतः डॉक्टर हैं और मुंबई के जुहू इलाके में स्थित एक मल्टीपल स्पेशलिस्ट अस्पताल में आईसीयू और्र आइसीसीयू में इमर्जेंसी फिजीशियन डाक्टर के रूप में कार्यरत हैं। तो वहीं वह बॉलीवुड में अभिनेता के रूप में भी सक्रिय हैं। फिलहाल वह 17 दिसंबर से ‘जी 5’ पर स्ट्रीम होने वाली फिल्म ‘420 आई पी सी’ को लेकर सूर्खियों में हैं, जिसमें उन्होंने मुख्य सीबीआई ऑफिसर का किरदार निभाया है। अपने संबंध में क्या बताना चाहेंगें? यू तो मैं मुंबई के जुहू इलाके में स्थित एक मल्टीपल स्पेशलिस्ट अस्पताल में आईसीयू और आईसीसीयू में इमर्जेंसी फिजीशियन डाक्टर के रूप में कार्यरत हूँ। मगर मैं अपने छात्र जीवन से ही थिएटर करता आ रहा हूँ। वास्तव में मेरे परिवार में मेरे माता पिता व बहन डाक्टर है। और मुझे अपने माता पिता के कहने पर ही डॉक्टरी की पढ़ाई करनी पड़ी और मैं चिकित्सा जगत का हिस्सा बन गया। लेकिन मैं खुद को अभिनय से दूर नहीं रख पाया। जबकि मेरे पिता मेरे अभिनय करियर के पूरी तरह खिलाफ थे, लेकिन बाद में उन्होंने मुझे सपनों के शहर मुंबई आने की अनुमति इस शर्त पर दी कि वह मेरी किसी भी रूप में आर्थिक मदद नहीं करेंगे। मैंने उनसे कहा कि मैं दोनों काम करूँगा। दिन में मैं अभिनय करूँगा और रात के दौरान अस्पताल में रहूँगा। मुंबई आकर अस्पताल में नौकरी करते हुए मैने ‘कुमकुम भाग्य’,’मोगरा फुलेला’,’तारा फ्राम सतारा’ जैसे सीरियलों के अलावा अक्षय कुमार के साथ फिल्म ‘गब्बर इज बैक’ की। फिर फिल्म ‘लव यू फैमिली’ की। आपने ‘कोविड 19’ के दौरान लोगों को किस तरह की सलाह दी? मैंने ऐसे समय में शांत रहने की आवश्यकता पर जोर दिया और लोगों को बताया कि तनाव किसी के मानसिक स्वास्थ्य और शरीर को कैसे प्रभावित करता है। कल्पना कीजिए कि आप टहलने के लिए बाहर जाते हैं, जहाँ कुछ आवारा कुत्ते आप पर भौंकने लगते हैं, जिसके चलते आप डर जाते हैं। आपका मस्तिष्क तुरंत डर को पहचान लेता है और हाइपोथैलेमस को कॉर्टिकोट्रोपिन-रिलीजिंग हार्मोन (सीआरएच) जारी करने के लिए एक संकेत भेजता है। सीआरएच तब पिट्यूटरी ग्रंथि को एड्रेनोकोर्टिकोट्रोपिक हार्मोन (एसीटीएच) जारी करने के लिए कहता है, जो आगे अधिवृक्क ग्रंथियों को कोर्टिसोल का उत्पादन करने के लिए संकेत देता है, जिसे तनाव हार्मोन भी कहा जाता है। इस बिंदु पर अधिवृक्क ग्रंथि ऊतकों की मरम्मत के लिए रक्तप्रवाह में एड्रेनालाईन और कोर्टिसोल छोड़ती है। एड्रेनालाईन हृदय गति को प्रभावित करता है, इस प्रकार धड़कन और रक्तचाप को बढ़ाता है। जबकि कोर्टिसोल रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाता है और रक्त वाहिकाओं को संकुचित करता है, अंततः डोपामाइन, ऑक्सीटोसिन और एंडोर्फिन सहित खुश हार्मोन को प्रभावित करता है। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 2 मिनट लगते हैं! जब लाॅकडाउन लगा उस वक्त आप अभिनय में व्यस्त थे या नहीं? लॉकडाउन से पहले मैं दिन के समय शूटिंग के लिए जाता और रात में मैं एक मल्टी स्पेशियालिटी अस्पताल आता। मैंने आखिरी बार 14 मार्च को एक टीवी सीरियल के लिए शूटिंग की थी। लाॅकडाउन लगते ही यानी कि 24 मार्च से, जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने देशव्यापी तालाबंदी की घोषणा की, तब से चैबीसों घंटे मैंने पूरी तरह से अपने आपको डॉ. आशिष गोखले के किरदार में ही ढाल लिया। मैंने कोविड-19 के खिलाफ अपना युद्ध शुरू करते हुए रोगियों को ठीक करने के लिए अपने आपको समर्पित कर दिया। फिर तकरीबन डेढ़ साल तक मैंने हर तरीके से कोरोना पीड़ितों की मदद करने की कोशिश की। मैंने कुछ का मुफ्त में ईलाज किया। होम क्वारंटाईन में सेवाएं दी। अब पुनः अभिनय के क्षेत्र में सक्रिय हो गया हूँ। 17 दिसंबर से ‘‘जी 5’’ पर मेरी मनीष गुप्ता निर्देशित फिल्म ‘420 आई पीसी’ प्रसारित होने वाली है। फिल्म ‘‘420 आई पी सी’’ में अभिनय करने का अवसर कैसे मिला? मैंने स्ट्रगल के दौरान लगभग हर प्रोडक्शन हाउस को अपनी फोटो दी थी। मेरी फोटो ‘‘420 आईपीसी’’ प्रोडक्शन हाउस के पास भी थी। सितंबर माह में यहां से फोन आया कि ऑडीशन का वीडियो बनाकर भेज दूं। उस वक्त मैं अस्पताल में था। मैंने रात में भेजने का वादा किया। दिन भर पीपीई किट पहन कर अस्पताल में काम करते हुए थक चुका था। फिर भी रात बारह बजे घर पहुँचते ही मैंने ऑडीशन का वीडियो बनाकर भेज दिया और उम्मीद नहीं थी कि मुझे इसमें काम करने का अवसर मिलेगा। मगर मिल गया। फिल्म ‘420 आई पी सी’ में आपका किरदार क्या है? मैंने इसमें मुख्य सीबीआई ऑफिसर मिस्टर अचलेकर का किरदार निभाया है। जो कि एक बहुत बड़े घोटाले में शामिल मिस्टर केसवानी (विनय पाठक) को गिरफ्तार करता है। केसवानी को सजा देने के बाद रिहा किया जाता है। उसके बाद कोर्ट केस चलता है। सीबीआई ऑफिसर का किरदार निभाने के लिए किस तरह की तैयारी की? बॉडी लैंगवेज पर काफी काम करना पड़ा। विनय पाठक व गुल पनाग जैसे कलाकारों संग काम करने के अनुभव कैसे रहे? मेरे ज्यादातर सीन विनय पाठक व गुलपनाग जी के साथ ही हैं। सीबीआई ऑफिसर के तौर पर मैं विनय पाठक को गिरफ्तार करता हूँ। विनय पाठक सिर्फ वरिष्ठ कलाकार ही नहीं बल्कि वह अपने आप में अभिनय का विश्वविद्यालय है। वह अभिनय के बादशाह है। इसलिए जब पहले दिन मैं सेट पर पहुंचा तो कहीं न कहीं मेरे मन में एक डर व हिचक थी। मेरा आत्म विश्वास थोड़ा सा हिला हुआ था। लेकिन सेट पर पहुंचा, तो विनय पाठक जी ने खुद मेरे साथ बात करना शुरू किया। उन्होंने कहा कि सब सीन बेहतर तरीके से हो जाएंगे। उन्होंने कुछ वर्ष पहले कोंकण में शूटिंग की थी, उसके बारे में बातें करके मुझे एकदम कम्फर्ट कर दिया और मेरा आत्मविश्वास बढ़ गया। फिर सभी दृश्य मक्खन की तरह हो गए। शूटिंग के अंतिम दिन वह मेरे लिए मिठाई लेकर आए थे। गुलपनाग मैडम के साथ भी ऐसा ही हुआ। किसी भी कलाकार ने कोई ईगो नहीं दिखाया। हम सभी एक साथ बैठकर भोजन करते थे। सेट पर दोस्ताना माहौल मे ही काम हुआ। निर्देशक मनीष गुप्ता के साथ काम करने के अनुभव कैसे रहे? मनीष गुप्ता बहुत ही अनुशासित निर्देशक हैं। उन्होंने अपने वीजन के अनुरूप ही इसका फिल्मांकन किया है। वह हर दृश्य को लेकर पूरी तरह से कंफीडेंट थे। उनका वीजन माइंड ब्लोइंग रहा। तो मैंने उनसे अनुशासन,वीजन आदि को सीखा। किसी खास तरह का किरदार करना चाहते हैं? ऐसा कुछ नहीं सोचा। मैं तो मैथड एक्टिंग वाला कलाकार हूँ। थिएटर से जुड़े रहने के कारण मैं हर किरदार में अपनी तरफ से एक सौ दस प्रतिशत देता हूँ। मुझे सिर्फ रोमांटिक किरदार नहीं निभाने। मैं हर तरह के किरदार निभाना चाहता हॅूं। आपके शौक क्या हैं? संगीत में रूचि है। लिखने का शौक है। मैं कविताएं लिखता हूँ। मैंने नाटक लिखा था। यह नाटक एक बीमारी को लेकर प्रेम कहानी थी। अभी मैंने एक फिल्म की पटकथा भी लिखी है। चुटकुले भी लिखता हूँ। फिलहाल मेरा ध्यान अभिनय पर ज्यादा है। इसके अलावा सोशल वर्क काफी करता रहता हूँ। सोशल वर्क? पहले लॉक डाउन के वक्त मैं हर दिन 250 लोगों को मुफ्त में भोजन कराता था। कई मरीजों का मुफ्त में इलाज किया। उन दिनों मैने सोशल मीडिया पर वीडियो डालकर लोगों को हर डेलीवेजेस की मदद करने के लिए प्रेरित करने का काम किया। होम क्वारंटाइन करने का काम किया। #Ashish Gokhale #Doctor turned Actor Dr Ashish Gokhale #Dr. Ashish Gokhale #Dr. Ashish Gokhale interview हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article