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मेरा ड्रीम रोल है कि मैं अपने दादाजी की बायोपिक करूं: रणबीर कपूर

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By Mayapuri
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फिल्म 'शमशेरा' की टीम, जिसमें मुख्य कलाकार, रणबीर कपूर, वाणी कपूर और निर्देशक, करण मल्होत्रा शामिल हैं, ने हाल ही में दिल्ली में प्रिंट इंटरव्यू के दौरान अपनी फिल्म के बारे में बात की. इस सेशन में कैरेक्टराइजेशन, लुक्स से लेकर ड्रीम रोल्स और वर्ल्ड सिनेमा तक, हर चीज पर चर्चा हुई.

कार्यक्रम को कवर करने के लिए मायापुरी की टीम भी वहां मौजूद रही।

  • रणबीर कपूर

  • आप 4 साल बाद पर्दे पर वापस आ रहे हैं। क्या बड़े पैमाने पर 'ब्रह्मास्त्र' और 'शमशेरा' जैसी दोनों बड़ी फिल्मों को चुनना एक सोचा समझा निर्णय था?

    रणबीर: वैसे मुझे लगता है, मैं खुद को बधाई देना चाहूंगा कि मैंने एक ही समय में ऐसी फिल्मों को चुना. मैंने देखा कि दर्शकों को थिएटर तक वापस लाने के लिए आपको एक बड़ी फिल्म की जरूरत है जो मुझे ऑफर हुई. आपको उन्हें आकर्षित करने के लिए उन्हें थोड़ा ज्यादा, एक्स्ट्रा एक्स-फैक्टर देना होगा.

    ऐसा नहीं है कि मैं उन फिल्मों को करना बंद कर दूंगा जो मैं करता आया था लेकिन शायद मैं इसे एक अलग तरीके से करूंगा. अगर आप दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींचना चाहते हैं, विशेष रूप से ऐसे कोविड के बाद के समय में, तो आपको उन्हें एक ऐसा एक्सपीरियंस देना होगा कि उन्हें एहसास हो कि 'ठीक है, यह फिल्म बड़े पर्दे पर दर्शकों के बीच बैठ कर देखी जा सकती है. यह मेरा सौभाग्य है कि ‘शमशेरा’ और ‘ब्रह्मास्त्र’ दोनों इसी तरह की फ़िल्में हैं.

    जैसा कि आपने पहले कहा है कि आपने ऐसा कोई रोल नहीं किया है और अब आप इसे 'शमशेरा' में कर रहे हैं। तो यह किस तरह की भूमिका होगी और हमें क्या उम्मीद करनी चाहिए?

    रणबीर: फिल्म में यह एक आश्चर्य की बात है कि वे मेरे चरित्र को कैसे ढूंढता हैं. हर अभिनेता अपनी भावनाओं को एक कैरेक्टर में डालता है. इस फिल्म में वो सब हैं बल्कि ज्यादा ही है. यह मल्टी जॉनर की फिल्म है. मुझे इस फिल्म में कॉमेडी, एक्शन, रोमांस, ड्रामा, सब कुछ करने का मौका मिला है. यह एक तरह की मनोरंजक फिल्म है जो दर्शकों को 3 घंटे तक बांधे रखेगी. यह एक ऐसी फिल्म है जहां लोग फिल्म की कहानी से जुड़ते हैं. ऐसा ही अनुभव आपको 'शमशेरा' देख कर मिलेगा.

    आपको इसे करने के लिए किसने इंस्पायर किया?

    रणबीर: कहानी और किरदार ने मुझे इंस्पायर किया.

    आपका ड्रीम रोल क्या है?

    रणबीर: मुझे लगता है, मेरे दादा राज कपूर पर की बायोपिक. यह काफी दिलचस्प होगा.

    रूस और मॉस्को में राज और ऋषि सर की बहुत बड़ी फैन फॉलोइंग है. और जब से वहां हॉलीवुड फिल्मों पर प्रतिबंध लगा है तबसे बॉलीवुड वास्तव में इस अवसर को कैच कर रहा है, और वहा के बड़े पर्दे पर कब्जा कर रहा है...

    रणबीर: क्या वे? सच में? रूस? ऐसा कब हुआ? क्या आप सच कह रही हैं? क्या हम रूस में रिलीज कर रहे हैं? भारतीय दर्शकों द्वारा फिल्मों और अभिनेताओं को जिस तरह का प्यार दिया जाता है, उसके बारे में मैंने कई अमेजिंग स्टोरीज सुनी हैं, रूस की भी एक कहानी जो मैंने सुनी है इनमे से एक हैं.

    मेरे पास एक बहुत ही इंट्रेस्टिंग कहानी है जो मेरे दादाजी ने मुझे सुनाई थी, कि जब वह और नर्गिस जी 'आवारा' या कुछ इसी तरह के प्रीमियर के लिए रूस में थे. वे हॉल से बाहर आए और बाहर बहुत सारे लोकल रूसी इंतजार कर रहे थे. तो दोनों ने लोगों की तरफ देख कर हाथ हिलाया था और फिर दोनों उस कार में बैठ गए जो उन्हें होटल ले जाने आई थी. अचानक उन्हें जो अनुभव हुआ वह यह था कि कार आगे नहीं बढ़ रही थी, ऊपर उठ गई थी. वहां के लोग कार को कंधे पर उठाकर होटल की ओर चल पड़े थे! जब भी मैं इसके बारे में सुनता हूं तब मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

    हॉलीवुड प्रोजेक्ट आलिया मैम की झोली में है. क्या आपके पास भी हॉलीवुड से कुछ है?

    रणबीर: नहीं. अभी मेरी हॉलीवुड में कोई दिलचस्पी नहीं है. मैं पहले यहां अपना ठिकाना बनाने की कोशिश कर रहा हूं. मेरा मानना है कि जैसे हमने 'पैरासाइट', 'क्राउचिंग टाइगर हिडन ड्रैगन', 'लाइफ इज़ ब्यूटीफुल', के बारे में बात की, मुझे लगता है कि जब हम अपने कल्चर, भाषा और अपने लोगों के लिए फिल्म बनाते हैं और फिर उसे दुनिया के सामने पेश करते हैं, तो इससे बड़ी कोई फीलिंग नहीं होती. मुझे ओरिजिनल कंटेंट पर ध्यान देना पसंद है. अपने कल्चर को ध्यान में रख कर.

    क्या आप वर्ल्ड सिनेमा जैसे कोरियाई या फिर तुर्की नाटक देखते हैं, जो आजकल काफी देखे जाते हैं?

    रणबीर: मेरी मॉम टर्किश ड्रामा की दीवानी हैं. लेकिन उनकी एक प्रॉब्लम यह है कि इसमें लगभग 250 एपिसोड हैं.  मेरे पास इतना समय नहीं होता है. मैंने जो लोकप्रिय ड्रामा देखा है, वह कोरियाई ड्रामा, 'स्क्विड गेम्स' है. कोरिया सच में आर्ट की दुनिया में बहुत अच्छा काम कर रहा है. चाहे 'के-पॉप' हो, ड्रामा हो. उस देश ने वास्तव में दुनिया भर के कल्चर को अपना लिया है.

    • वाणी कपूर

    • आपके अनुसार ऐसी 3 बातें बताएं जिसने आपको 'शमशेरा' करने के लिए प्रेरित किया? ऐसी बात बताएं जो आप दर्शकों से कहेगी और वे सिनेमाघरों में आपकी फिल्म देखने आए?

      वाणी: मैं बहुत ईमानदार हूं, तो मैं कहूंगी कि आपको इस तरह की फिल्मों के लिए और अधिक सोचने की जरूरत नहीं है. और मुझे करण की सिनेमा की दुनिया पर पूरा यकीन था. मैं 'अग्निपथ' की बहुत बड़ी फैन हूं, मुझे इस फिल्म की सुंदरता और संवेदनशीलता बहुत पसंद आई थी. तो यह करण मल्होत्रा थे जिसने मुझे फिल्म करने के लिए प्रेरित किया।

      जब मुझे कहानी और इसमें मेरा हिस्सा मिला तो मुझे स्क्रिप्ट पसंद आई. उनका नरेशन माइंड- ब्लोइंग है. यह तो दूसरी बात थी. और तीसरी बात है, मैं अपने सह-अभिनेताओं, प्रोडक्शन हाउस, फिल्म के पैमाने पर विश्वास करती हूं. इन सब बातों का ध्यान रखा गया. और, मैं कुछ ऐसा करना चाहती थी जो मैंने पहले कभी नहीं किया.

      क्या आप वर्ल्ड सिनेमा जैसे कोरियाई ड्रामा देखती हैं?

      वाणी: मेरी मां बहुत बड़ी फैन हैं कोरियाई शोज की.

      आप दिल्ली से हैं. बहुत कम लोग जानते हैं कि आपने अपनी स्कूली शिक्षा दिल्ली से की है और तापसी पन्नू भी उसी स्कूल से हैं. क्या आप तब एक दूसरे से मिले थे जब आप स्कूल में थे?

      वाणी: हम एक ही स्कूल बस में थे लेकिन मैं इतना इंट्रोवर्ट थी और वह बहुत एक्सट्रोवर्ट थी. वो बहुत ऑउटस्पोकेन और तेजतर्रार थी. मैं एक शांत, नम्र दिखने वाली थी, मैं ज्यादा बात नहीं करती थी, खिड़की से बाहर देखा करती थी. मैं मुश्किल से बात किया करती थी और वह बहुत अलग थी और सभी से बात करती थी. वह मुझे एक शांत लड़की की तरह देखती थी और मैं उसे एक बातूनी लड़की (चैटी गर्ल) के रूप में जानती हूं.

      लोग कह रहे हैं कि एक पीरियड-ड्रामा फिल्म की तुलना में आपका लुक बहुत मॉडर्न है. तो आपका इसके बारे में क्या कहना है?

      वाणी: मुझे ऐसा नहीं लगता. क्योंकि रणबीर की तरह ही मेरे कपड़े भी सेम फैब्रिक से बने हैं.

      • करण मल्होत्रा

      • करण: देखिए, यह मेरी जिम्मेदारी है. अगर लोग कमेंट कर रहे हैं तो यह मेरे काम पर है. लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता. जब आप फिल्म देखेंगे तो यह कोई डॉक्यूमेंट्री या बायोपिक नहीं है. यह एक पीरियड-ड्रामा, क्लासिक हिंदी मसाला पिक्चर है. आपको इसका आनंद लेना चाहिए. अगर मैं वाणी को सिर से पैर तक ढक दूं, तो क्या आप 'काले नैना' देखेंगे?

        वाणी एक ब्यूटीफुल डांसर है और उसे प्रभावी ढंग से दिखाना मेरा काम है. और हमने इस पीरियड टाइम को ध्यान में रखने और इसे संतुलित तरीके से बनाने की कोशिश की है. ऐसा आपको रणबीर के साथ भी लग सकता है.और मुझे सच में विश्वास है कि आप बड़े कॉन्टेक्स्ट में इन बातों के बारे में नहीं सोचेंगे. आप इसका आनंद लेंगे क्योंकि यह वास्तव में इसके लायक है।

        YRF की आखिरी एडवेंचर-फंतासी, पीरियड-ड्रामा फिल्म 'ठग्स ऑफ हिंदोस्तान' थी. इसे एक बड़ी फिल्म बताया गया था लेकिन दुर्भाग्य से इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अपना कमाल नहीं दिखाया था. क्या आदि चोपड़ा से 'शमशेरा' के बारे में कोई इनपुट आया कि पिछली बार जो गलत हुआ था इस बार दोहराया नहीं जाना चाहिए?

        करण: मुझे नहीं लगता कि हम उस तरह के फिल्म निर्माता हैं. हर फिल्म को इस तरह से पेश किया जाना चाहिए कि यह एक अलग एनिमल की तरह लगे. विभिन्न फिल्मों के भाग्य का बोझ ढोने का बिज़नस या क्रिएटिव सेंस का काम हमारा नहीं है. आदि और मैं डर के मारे काम नहीं करते.

        संजय दत्त का लुक काफी अलग है. आपको प्रेरणा कहां से मिली?

        करण: क्या आपने पहले कभी किसी को इस तरह के लुक में देखा है?

        फिर भी आपको यह प्रेरणा कहीं से तो मिली होगी?

        करण: प्रेरणा एक ऐसी चीज है जो आपके पास खुद आती है. इसका कोई ऐसा आंसर नहीं है जो मैं आपको दे सकूं. यह ऑर्गनिक है. मैंने बचपन से लेकर अब तक कितने कंटेंट देखे हैं. चाहे वह फिल्में हों, किताबें हों और डिफरेंट जॉनर्स हों. जिसके चलते आपका अपना वर्जन बन जाता है. इसलिए, मुझे लगता है कि ऐसा कुछ है जो मैं अपने जीवन में नहीं कर सका वो मैं संजय के साथ करता रहता हूं.

        क्या आप वर्ल्ड सिनेमा, या अन्य भाषाओं और क्षेत्रीय भाषाओं को देखते होंगे?

        करण: मैं वही देखता हूं जो मुझे रेकमेंड किया जाता है. मैं वर्ल्ड सिनेमा का दीवाना नहीं हूं.

        हाल ही में आई सभी एक्शन फिल्मों ने बहुत अच्छा परफॉर्म नहीं किया. तो इस फिल्म से क्या उम्मीदें हैं क्योंकि आपकी एडवांस बुकिंग बहुत अच्छी रही है?

        करण: नहीं एक्शन फिल्में अच्छा परफॉर्म कर रही हैं. जैसे KGF, पुष्पा.

        नहीं, यह तो साउथ की फ़िल्में हैं. हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड की.

        करण: वो इंडिया में ही है. इंडियन सिनेमा अच्छा कर रहा है. और हम भी अच्छा करेंगे.

        लेकिन असली बहस तो यही है? साउथ vs बॉलीवुड।

        करण: मुझे लगता है कि यह एक बेमतलब की बहस है. और मुझे उम्मीद है कि हमें भी दर्शक अपना प्यार देंगे और हम भी अपनी सफलता का जश्न मनाएंगे.

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