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सोशल मीडिया पर सक्रियता को लेकर 'Bhumika Chawla' का अपना अलग आग्रह

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By Shanti Swaroop Tripathi
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Bhumika Chawla has her own request for activism on social media mayapuri

इन दिनों हम सोशल मीडिया से परे अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकते हैं. यह जगह सिर्फ मनोरंजन और सामाजिकता के लिए नहीं है,बल्कि काम के लिए भी इस्तेमाल की जा रही है. हर सेलिब्रिटीज अपने प्रशंसकों तक पहुंचने के लिए सोशल मीडिया का ही इस्तेमाल कर रहा है. कभी सोषल मीडिया से दूरी बनाकर रखने वाली अभिनेत्री भूमिका चावला भी सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय हो गई हैं. ’’ सोषल मीडिया से जुड़ने के अपने अनुभवों का जिक्र करते हुए अभिनेत्री भूमिका चावला कहती हैं-‘‘सोशल मीडिया हमें अपने प्रषंसकों से जुड़ने में मदद करता है और यह एक अच्छी बात है. सोशल मीडिया पर होना अच्छा है, लेकिन मुझे बीच-बीच में समय निकालना पसंद है. लोकप्रिय हस्तियों के रूप में सोशल मीडिया सत्यापन महत्वपूर्ण है, हालांकि अगर हम मानते हैं कि - हम कौन हैं और यही लायक है, लड़के! क्या यह उथला है, आपको मानसिक रूप से मजबूत, भावनात्मक रूप से स्थिर और खुश और शांति से और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना है, यही अधिक महत्वपूर्ण है. ’’

भूमिका चावला आगे कहती हैं-‘‘मशहूर हस्तियों के लिए बड़ा प्रशंसक आधार पाने के लिए सोशल मीडिया महत्वपूर्ण है.  सोशल मीडिया पर मेरा व्यक्तिगत विचार यह है कि हर स्टार, अभिनेता और व्यक्तित्व जिसे लाखों लोग फॉलो करते हैं, उन्हें फॉलो करने वालों के जीवन में बदलाव लाने में सक्षम होना चाहिए. अगर यह सिर्फ फैशन है और इसे पसंद किया जाता है और इसका मतलब है कि व्यक्तित्वों के लिए बड़ा व्यवसाय यह वास्तव में ऐसा कुछ नहीं है जो मुझे लगता है कि इसके लायक है.  यदि आप कर सकते हैं तो फर्क करें.  ”
 सोषल मीडिया पर सक्रिय होने के बावजूद भूमिका चावला चुनिंदा फिल्मों में अभिनय करने केे बावजूद पत्रकारों,पार्टियों और पेपराजी के कोलाहल से दूर रहती हैं. इस पर वह कहती हैं-‘‘मैं अपने काम और घर को संतुलित करने की कोशिश कर रही हूं. यह आसान नहीं है. मुझे जो फिल्में मिलती हैं, वह भी मेरे समय के लायक होनी चाहिए और मैं करना चाहती हूं.  मैं पार्टी की व्यक्ति नहीं हूं.  ”
 जब कोई व्यक्ति सेलिब्रिटी बनना चुनता है,तो उनका निजी जीवन निजी नहीं रह जाता है.  इस पर भूमिका कहती हैं-‘‘ कभी-कभी स्पॉट किया जाना और क्लिक किया जाना अच्छा होता है. शायद हमेशा नहीं...  क्योंकि तब हम इतने असत्य और नकली हो जाते हैं - वास्तविक और रील के बीच की महीन रेखा गायब हो जाती है.  कैमरे देखते ही हम मास्क लगाने में इतने माहिर हो जाते हैं कि जो दिल में होता है वो बाहर नहीं होता.  इसलिए कभी-कभी यह अच्छा होता है लेकिन ऐसा करना हमेशा असत्य हो सकता है. "

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