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इंदू की जवानी: उबाऊ फिल्मों का जब-जब नाम आएगा, इंदु ज़रूर याद की जायेगी

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By Siddharth Arora 'Sahar'
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इंदू की जवानी: उबाऊ फिल्मों का जब-जब नाम आएगा, इंदु ज़रूर याद की जायेगी

इसी शुक्रवार रिलीज़ हुई फिल्म इंदू की जवानी को पहले ही दर्शकों की किल्लत से जूझना था.
कारण आप सब बेहतर जानते हैं, कोरोना के बाद सिनेमा खुल तो गए हैं पर दर्शकों ने अभी भी सिनेमा से दूरी ही बनाई हुई है.
नतीजतन, फिल्म को देखने वाले तो न के बराबर थे ही; जिन्होंने देखी उनको भी देखने का अफ़सोस ही हुआ. - सिद्धार्थ अरोड़ा 'सहर'

'दस मिनट बाद मेरा मन हुआ कि सिनेमा हॉल से भाग जाऊं',
'
इंदू की जवानी' देखने वाला एक दर्शक

इंदू की जवानी: उबाऊ फिल्मों का जब-जब नाम आएगा, इंदु ज़रूर याद की जायेगीएक दर्शक से मेरी बात हुई. कहानी के बारे में उसने बताया कि 'फिल्म की शुरुआत तो बहुत मज़ेदार है.
लेकिन उसके बाद, जब किआरा आडवाणी और आदित्य सील कॉमेडी करने की कोशिश करते हैं तब समझ ही नहीं आता की क्या हो रहा है'. हालांकि, इन दोनों की ही लुक बहुत अच्छी है. किआरा हमेशा की तरह क्यूट लगी हैं.
आदित्य भी डैशिंग लगे हैं. हाँ मगर, राकेश बेदी इस फिल्म में क्यों हैं ये सवाल हर देखने वाला पूछ सकता है.

फिर भी गनीमत के नाम पर, संगीत इस फिल्म में ऐसा है कि सांस लेने में दिक्कत नहीं करता.
लेकिन, एक फिल्म को हम गानों की वजह से नहीं उसकी कहानी की वजह से देखते हैं.
कहानी इस फिल्म की टिंडर जैसे एक app पर लड़का ढूंढ़ने से शुरु होती है.
दरअसल, इंदु का बॉयफ्रेंड उसके साथ सिर्फ सेक्स करने के लिए रहना चाहता है.
इंदू ऐसा नहीं चाहती. हालांकि, उससे अलग होते ही इंदू ऑनलाइन डेटिंग app के ज़रिए one night stand वाली कैज़ुअल दोस्ती करने का मन बना लेती है.

लेकिन, जिस लड़के के साथ वो अकेले घर में रुकती है वो पाकिस्तानी निकलता है.
बस यही इस की सारी कहानी है. फिल्म में कॉमेडी के चलते भारत-पाकिस्तान दोस्ती बढ़ाने की कोशिश की गयी लगती है.

सलमान की तर्ज पर चलने को हैं आदित्य सील

इंदू की जवानी: उबाऊ फिल्मों का जब-जब नाम आएगा, इंदु ज़रूर याद की जायेगीफिल्म में एक सीन है जब आदित्य सील ने शर्ट उतारी है.
आप देखते वक़्त अपना सिर खुजाते हुए सोचते रहेंगे कि इस सीन की क्या ज़रुरत थी?
लेकिन, मजाल है जो आप समझ पाएं.
क्योंकि, निर्देशक ख़ुद नहीं जानते कि शर्ट उतारने को लेकर क्या लॉजिक लगाना था.
शायद सलमान खान की हर फिल्म में शर्ट उतारने और हिट कराने के फंडे को आदित्य पर भी आजमाना चाहते होंगे.

इंदू की जवानी: उबाऊ फिल्मों का जब-जब नाम आएगा, इंदु ज़रूर याद की जायेगीमल्लिका दुआ (Daughter of Vinod Dua) ज़रूर कुछ देर इस फिल्म को संभाले रखती हैं.
लेकिन बिना कहानी और एक्टिंग के कोई भी फिल्म भला कितनी देर सम्भल सकती है?

डायरेक्टर अबीर सेनगुप्ता की ये पहली बड़ी हिन्दी फिल्म है जिसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जिसके लिए ये याद रखी जाए.
सिर्फ casual sex को प्रोमोट करने और पाकिस्तान-हिन्दुस्तान भाईचारा बढ़ाने के लिए सोशल मिडिया पोस्ट भी काफ़ी थी.

इस फिल्म को देखने से बचें, जितनी दूर से निकल सकें निकलें.
इस सप्ताहांत कोई पुरानी फिल्म बहुत बेहतर ऑप्शन हो सकता है.

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