कितनी भ्रामक होती है हिंदी सिनेमा की कलेक्शन रिपोर्ट? By Mayapuri Desk 21 Apr 2022 in गपशप New Update Follow Us शेयर -शरद राय बीता दो महीना भरतीय सिनेमा के लिए स्वर्ण युग जैसा प्रतीत हो रहा है। जिस फिल्म को देखिए, वही सुपर डुपर हिट घोषित हो रही है ! कोरोना लॉक डॉउन होने के बाद से धीरे धीरे सिनेमा घरों के दरवाजे खुले और फिर सीटों पर बंधी रस्सीयां 50 प्रतिशत से 100 प्रतिशत तक दर्शकों को बैठने के लिए खोली गई। देश के सिंगल थिएटर अभीतक बंदप्राय ही हैं और कोविड की चौथी लहर आने के डर से आधे सिनेमा टाकीज अभी भी नही खोले जा सके हैं। दर्शक सपरिवार सिनेमा हाल में जा सके इसके लिए बामस्कत हिम्मत जुटा पाने की हालत में आ पाया है... मगर इनदिनों फिल्मों की कमाई है कि सबकी सब हिट हुई जा रही हैं। कमाई के आंकड़े देखें तो लगता है निर्माता पैसा कहां रखेगा? हर फिल्म प्रचार में कमाई के आंकड़ों में एक दूसरे को धोबिया पछाड़ दे रही है। सचमुच बड़ी भ्रामक है इनदिनों हिंदी सिनेमा की कलेक्शन-रिपोर्ट! साल 2022 के शुरुवाती दिनों में यह सवाल उठ खड़ा हुआ था की तैयार होकर रिलीज के लिए पड़ी फिल्मों की बड़ी लंबी संख्या है।दो साल से फिल्में रिलीज नही हो पाई थी... उनमे पहले किसको लाया जाए ? 'सूर्यवंशी' आयी, 'गंगुबाई काठियावाडी' आयी, इन्होंने थोड़ा थोड़ा दर्शकों को ललचाया की वे टाकीज में आकर फिल्में देखें। ओटीटी पर छुप छुपाकर फिल्म देखने वाला दर्शक सिनेमा की ओर लौटा ज़रूर लेकिन टाकीज पर लगी फिल्मों ने निरास किया।कपिलदेव से प्रचार कराकर लगी फिल्म '83' रही या अमिताभ बच्चन स्टारर 'झुंड' रही या फिर प्रभाष 'बाहुबली' की फिल्म 'राधे श्याम' और या फिर अक्षय कुमार की फिल्म 'बच्चन पांडे' रही...इन फिल्मों ने दर्शकों को लुभाया नही। बेशक तभी एक जुनूनी फिल्म आयी 'द कश्मीर फाइल्स' और इस फिल्म ने धमाका कर दिया। कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार की इस टॉर्चर फिल्म- कथा को दर्शक देखने के लिए लालायित हुए। एक लंबे समय बाद सचमुच थियेटरों पर भीड़ दिखाई पड़ी। फिल्म ने 250 करोड़ का बिजनेस किया जो एक रियल कलेक्शन था जो सचमुच टॉकीजों के बाहर भीड़ के रूप मे दिखाई दिया।प्रधान मंत्री की तारीफ के बाद इस फ़िल्म को देखने के लिए सिनेमा का जादू सिर चढ़कर बोल पड़ा। लेकिन यह क्या! इसी दौरान मद्रासी हीरो अल्लू अर्जुन को मुम्बईया फिल्मों में स्थापित करने की गरज से उनकी एक हिंदी में डब की गई फिल्म 'पुष्पा- द बिगिनिंग पार्ट 1' रिलीज की गई। बताया गया कि फिल्म चंद दिनों में ही 100 करोड़ क्लब में शामिल हो गयी।लोगों को बताया गया कि 'बाहुबली' के हीरो को पछाड़ने वाला हीरो बॉलीवुड में कदम रख चुका है। 'पुष्पा' और 'द कश्मीर फाइल्स' की रपट पढ़ी जाने लगी कि कौन आगे जा रही है कौन पीछे, कि तभी आगाज हुआ 'आरआरआर' का (जिसे RRR ही लिखा जाने लगा)। 'बाहुबली' निर्देशक राजा मौली और दक्षिण के स्टार चरनराज और जूनियर एनटीआर की यह फिल्म भी हिंदी में डब की गई फिल्म ही है लेकिन इसने तो सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। कहा गया 'द कश्मीर फाइल्स' को इस फिल्म ने दुलत्ती दे दिया है। सिर्फ 13 दिन में 1000 करोड़ का लक्ष्य हासिल करने वाली RRR की पार्टी और कामयाबी की चर्चा से बॉलीवुड के निर्माता सिहर गए। 5 भाषाओं (तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़ और हिंदी) में प्रदर्शित इस फिल्म को लेकर फिल्म के कलाकार और निर्देशक की बयानबाजी सुनकर हैरानी हो रही थी- एक से बढ़कर एक बयानबाजी! जबकि सच्चाई यह थी कि इस फिल्म की कलेक्शन रिपोर्ट 5 भाषा की संयुक्त ऑडिएंस को मिलाकर थी। सिर्फ हिंदी भाषा के कलेक्शन में यह फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' के आसपास ( दो हफ्तों में 200 करोड़) ही खड़ी थी। मगर प्रचार ऐसा किया गया कि 'न भूतो न भविष्यति'! अभी इस फिल्म को रिलीज हुए दो हफ्ते भी नही बीता की दक्षिण से एक और लहर आयी- 'KGF पार्ट 2' की। कन्नड़ हीरो यश गौड़ा की इस फिल्म ने तो सबके कान काट लिए हैं। मात्र 6 दिन (14 अप्रैल को फिल्म रिलीज हुई और 20 अप्रैल तक ही) इस फ़िल्म ने सवा छःसौ करोड़ की कमाई करने का रिकॉर्ड दिखा दिया। यानी- पहले ही दिन फिल्म 100 करोड़ क्लब में शामिल हो गयी, दूसरे दिन 200 करोड़ क्लब में। 500 करोड़ क्लब में शामिल होने और कमाई करने वाली 'बाहुबली 2' का चार्ट फिल्मी व्यापारी खंगालने लगे। 'KGF पार्ट 2' भी एक हिंदी में डब करके प्रदर्शित हुई फिल्म है। यह फिल्म भी 5 भाषाओं (कन्नड़, तमिल, तेलुगु, मलयालम और हिंदी) में भाष्य- रूपांतरित है। यानी-फिल्म एक बार ही बनी है उसे अलग अलग जुबान देकर प्रदर्शित किया गया है। इस फिल्म ने संयुक्त रूपसे '1000 करोड़' प्लस का एक क्लब अपने नाम से तैयार कर लिया है - आए अब इसमें कोई! लोगों का मानना है कि 'केजीएफ पार्ट 2' की कमाई का जशन कुछ ऐसा ही है। पहले बॉलीवुड की ट्रेड- पत्रिकाएं फिल्मों की रिपोर्ट छापा करती थी जो मैन टू मैन होता था।लोग कुछ भी आंकड़े देते डरते थे। इनकम टैक्स विभाग भी उन आंकड़ों पर यकीन ना करके उसे पब्लिसिटी का हिस्सा माना करता था। इनदिनों सोशल मीडिया प्रचंड है। प्रचार का धंधा बड़ा भ्रामक हो गया है।राजनीति हो चाहे फिल्म का व्यवसाय इनका प्रचार का अपना गणित हुआ करता है। काश! सिनेमा के मंद पड़े व्यवसाय की सेहत के लिए जो आंकड़े आरहे हैं सच ही हों। काश! सिनेमा कामयाबी का यह स्वर्णयुग स्वरूप जो दिखाई दे रहा है, बना रहे। #collection report of Hindi cinema हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article