"हम लौट आएँगे, तुम यूँ ही बुलाते रहना" कहा था बप्पी लहिरी ने, तो बप्पी दा, सभी आपको पुकार रहें हैं, पूरी दुनिया आपको पुकार रही है By Mayapuri Desk 18 Feb 2022 in गपशप New Update Follow Us शेयर -सुलेना मजुमदार अरोरा श्रद्धा सुमन, सुर के धनी, स्व. बप्पी लहिरी को सुबह अभी हुई नहीं थी, कि फोन की घंटी बज उठी। दिल अनायास ही काँप गया। माँ का फोन था, उन्होंने बताया बापी लाहीड़ी जी नहीं रहे। मुझे लगा कि पहले की तरह ये खबर भी अफवाह होगी। लेकिन नहीं। मेरे परिचित लतिश तेवानी ने ग्राउंड जीरो से खबर देते हुए पुष्टि की कि दिलीप कुमार से रणवीर सिंह को अपनी धुन में बांधने वाले खुद बंधक मुक्त हो गए।' ऑनलाइन मीडिया, टीवी हर जगह बप्पी लहरी के स्तब्ध करने वाली निधन की खबरों की लहर चल रही थी और मैं हैरान थी, अभी कुछ महीने पहले की बात है जब फोन पर मेरी उनसे लगभग एक घन्टा बातचीत हुई थी। दरअसल मायापुरी के संस्थापक, संपादक प्रमोद कुमार बजाज जी के मित्र थे बप्पी दा, और बप्पी जी ने बजाज जी को अपने किसी शो की ढेर सारी तस्वीरें और वीडियो भेजी थी। उन्हीं में एक वीडियो कोलकाता के उनके किसी शो का था, प्रमोद जी ने वह वीडियो मुझे फॉरवर्ड कर दिया और बप्पी जी से उस बारे में बातचीत करने को कहा। मैंने बप्पी दा को फोन किया तो फोन उन्होंने ही उठाया। बातचीत बंगाली में शुरू हो गई। बहुत दिनों बाद फोन करने की वजह से उन्होंने सब से पहले प्रमोद जी और अमन बजाज जी को याद किया, फिर वीडियो की बात करने पर उन्होंने बताया कि किस तरह वे अक्सर कोलकाता जाते रहतें हैं और उनके वहां के फैंस उन्हें छोड़ते ही नहीं, चाहे कुछ भी हो, और वो वीडियो कोलकाता के एक प्रोग्राम का था। पूरा थिएटर बप्पी लाहीड़ी की जयजयकार की गूंज से भरी थी। मैंने बप्पी दा से सबसे पहले उनके नाम के बारे में पूछा था, 'आपको दुनिया बप्पी लहरी के नाम से पुकारते है लेकिन बंगला भाषा में बप्पी लहरी जैसा कोई नाम तो होता ही नहीं, फिर ये क्या राज़ है? इसपर उन्होंने हँसकर कहा था,' ठीक कहा, बचपन में घर के सभी मुझे प्यार से बापी बुलाते थे, तुम्हें तो पता है, बांग्ला में बेटा अक्सर अपने पिता को बापी या बाबा पुकारते हैं और उसी तरह पिता भी अपने लाडले को बाबा या बापी पुकार सकते है, मेरे माता पिता भी मुझे बापी पुकारते थे जबकि मेरा असली नाम आलोकेश है, और सरनेम लाहीड़ी। फिर फिल्म इंडस्ट्री में सभी बप्पी लहरी पुकारने लगे।' मैंने पूछा था कि आपको बंगाल में जाकर बसने की इच्छा नहीं होती? तो अतीत के पन्नों में झांकते हुए बोले थे, 'बंगाल मेरी जन्मभूमि है और मुंबई मेरी कर्मभूमि। जीवन के शुरुआती और बेहद सुन्दर दिन मैंने अपने इडेन गार्डन एरिया वाले घर में गुज़ारे, जहां मेरे पिता अपरेश लाहीड़ी (बंगाल के जाने माने संगीत कंपोज़र) और मां बाँसुरी लाहीड़ी सारा दिन संगीत की चर्चा करते रहते थे। हमारे घर पर बड़े बड़े गायक गायिका, गीतकार आते जाते रहते थे। जब से होश सम्भाला तब से घर का माहौल संगीतमय देखा। एक दिन जब बाबा किसी काम से बाहर गए थे, तो मैंने उनके तबले से खेलना शुरू किया, उनकी नकल उतारने लगा, सिर्फ तीन साल की उम्र थी मेरी। तबले की थाप सुनकर मां को लगा बाबा आ गए, लेकिन म्यूजिक रूम में आकर देखा तो जनाब मैं वहां बैठा तबला बजा रहा था, मेरी माँ और मामा दोनों हैरान हो गए क्योंकि मैं एकदम सही बजा रहा था। और जब बाबा घर लौटे तो माँ ने उन्हें मेरे हुनर के बारे में बताया और उन्होंने मुझे उसी दिन से संगीत में प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की। तो इस तरह संगीत से मेरा गठजोड़ उसी दिन हो गया। जन्म भूमि कोलकाता ने मुझे पहला कदम चलना सिखाया और फिर जब मैं अपनी किस्मत आजमाने मुंबई आया तो इस पावन भूमि ने मुझे आलोकेश लाहीड़ी से बप्पी लाहीड़ी बना दिया और आज मुंबई भी मेरे घर जैसा है, हां मुझे अपना बंगाल बहुत याद आता है, तभी तो एक पुकार पर मैं दौड़ा दौड़ा चला जाता हूँ कोलकाता, लेकिन सुकून की नींद मुझे इस मुंबई के लाहीड़ी हाउस प्लॉट 4, में ही आती है।' बापी दा के बचपन में उनके घर पर बड़े बड़े स्टार्स और गायक आया करते थे, जिनमें हेमंत कुमार, मन्ना डे और जाहिर तौर पर बप्पी दा के मामा किशोर कुमार, अशोक कुमार तथा स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर भी थे। बप्पी दा ने मुझे बताया था,'सभी जानते हैं कि मेरी माँ बाँसुरी लहिरी है लेकिन संगीत जगत में मेरी एक और माँ भी है जिसे दुनिया लता दीदी के नाम से जानते हैं, यह मेरा सौभाग्य है कि मैं बचपन में लता मां के गोद मे खेला।' जब उनसे मैंने पूछा था कि लता जी का असली स्वभाव कैसा है? तो उन्होंने कहा था, 'बिल्कुल बच्चों जैसा। वे बडों के बीच कभी कंफर्टेबल नहीं महसूस करती हैं लेकिन बच्चों के साथ हिल मिल कर बातें करती हैं। उन दिनों मैं चार साल का था, लता जी जब भी घर आतीं थी तो मुझे गोद में लेकर बहुत प्यार करती थी। जब मैं बड़ा हुआ और खुद म्युजिक कंपोज़र बन गया तो उन्होंने मेरी पहली फिल्म 'दादू' के लिए गाना गाना मंजूर किया और जब मैं हिन्दी फिल्म जगत में आया तब भी मेरी पहली कम्पोजिशन 'प्यार में कभी कभी' को अपनी आवाज दी थी। आज भी मैं उन्हें फोन करके उनका हालचाल पूछता हूँ और वे भी मुझे फोन करती रहती है।' बप्पी दा की आवाज में इमोशन साफ़ झलक रहा था, जैसे वे अतीत में झाँक रहे हो। जब मैंने कहा कि जब आप पीछे मुड़कर देखते हैं तो क्या महसूस करते हैं? तो एक गहरी साँस लेकर उन्होंने कहा था,' मैं मानता हूँ कि युवावस्था में जो उमंग और जोश होता है और जो-जो संघर्ष करके, मेहनत और लगन से हम उपलब्धियां हासिल करते हैं उसे मुड़ मुड़ कर देखना बहुत अच्छा लगता है, सच कहूँ तो दिल भर आता है, अतीत की ओर बाँहें फैलाए दौड़ कर जाने का और उस बीते समय को गले से लगाने का दिल करता है लेकिन यह मृग मरीचिका है यह हम सब जानते हैं। जो बीत गया सो बीत गया, द शो मस्ट गो ऑन, क्योंकि गया वक्त कभी लौट कर नहीं आता है, इसलिए अच्छा है कि हम अतीत को याद करके एंजॉय जरूर करें लेकिन वहीं, उसी मोड़ पर ठहर ना जाए।' मैंने तब उनसे पूछा था, 'क्या यही वज़ह है कि आपने सत्तर के दशक में जिस जोश के साथ सुपरहिट गाने, 'अभी अभी थी दुश्मनी', 'बंबई से आया मेरा दोस्त', 'चाहिए थोड़ा प्यार', 'आई एम' ए डिस्को डांसर',' चलते चलते मेरे ये गीत याद रखना'' दिल से मिले दिल', ' हम ना कभी होंगे जुदा',' जाना कहां है प्यार यहां है',' जलता है जिया मेरा','माना हो तुम बेहद हसीन','फिर जन्म लेंगे हम ',' नत्थिंग इज़ इम्पॉसिबल','मुस्कुराता हुआ गुल खिलाता हुआ','प्यार में कभी कभी ऐसा हो जाता है', 'प्यार मांगा है तुम्हीं से', 'प्यारा एक बंगला हो', 'सैयां बिना घर सूना',' सपनों का शहर',' यारी है'फूलों से मेरी यारी है' 'यह नैना यह काजल यह जुल्फें ' वगैरह गीत कम्पोज किए थे, उसी जोश और जवानी के साथ आप आज के जमाने की सुपरहिट सॉन्ग्स जैसे' 'ऊ ला ला ऊ ला ला, तू है मेरी फैंटेसी', 'तूने मारी एंट्रीया दिल में बजी घंटियां टन टन','थैंक गॉड इट्स फ्राइडे', 'तम्मा तम्मा ',' दिल में हो तुम', 'अरे प्यार कर ले' जैसे गाने गा लेतें है, ऐसा आप कैसे कर लेते हैं? इस प्रश्न पर हल्की हँसी के साथ वे बोले थे, 'मैं तो अपने हर गीत को आज भी उसी जोश के साथ गाता हूं जिस जोश के साथ मैंने अपने जीवन का पहला कॉम्पोजिशन किया था। ओल्ड इज़ ऑलवेज गोल्ड।' बात जब गोल्ड की आई तो मैंने वही प्रश्न पूछ लिया जो सभी उनसे पूछते हैं, 'बप्पी दा, आप जो इतना गोल्ड पहनते हैं, इसका वजन नहीं लगता? ' इसपर बड़े गर्व के साथ उन्होंने कहा था, 'माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद का कभी वजन लगता है क्या? मेरा तो मानना है कि जितना ज्यादा वजन बढ़े उतना ही ज्यादा अच्छा है।' मैंने उन्हें याद दिलाया कि उन्होंने हॉलीवुड स्टार एलविस प्रेस्ली को बचपन में सोने का भारी चेन पहने देखा था जिस कारण आपने भी संकल्प लिया कि शोहरत और धन कमाते ही आप भी सोने के गहने पहनने लगेंगे, क्या ये सच है? बप्पी दा ने कहा था,' हाँ, ये सच है, मैं अपना एक मुकाम और स्टाइल इख्तियार करना चाहता था, ताकि मेरी एक अलग पहचान बन सके, हर मामले में, धुनों में भी और एपियरेेंस में भी। यूनीक म्युजिक, काला गॉगल्स, शाइनी ड्रेस और गोल्ड, यह मेरी पहचान है।' मैंने फिर पूछा था, 'बप्पी दा से पहले और बप्पी दा के बाद कोई आपकी तरह डिस्को किंग नहीं कहलाया जाएगा, ये सभी का कहना है, इस बारे में आप क्या सोचते हैं?' कुछ पल ठहर कर बापी दा ने कहा था, 'ह्म्म्म्म, पाँच दशकों से संगीत की सेवा कर रहा हूं, कई पीढ़ियों के लिए धुनें बनाई, अमिताभ बच्चन, उनका बेटा, देव आनन्द, उनका बेटा, सुनील दत्त, उनका बेटा, धर्मेंद्र, उनका बेटा, सबके लिए म्युजिक कंपोज किया। फिल्म 'डिस्को डांसर' से बॉलीवुड में डिस्को का हंगामा मचा तो हॉलिवुड वालों ने उसके गाने (जिमी जिमी, आजा) अपनी फिल्म 'यू डोंट मेस विद जोहान' में रिक्रिएट कर दिया। मैं उपरवाले का शुक्रगुज़ार हूँ कि उन्होंने मुझपर अपनी कृपा बरसाई लेकिन ये सिलसिला तो चलता रहेगा, मेरे बाद भी बहुत से अच्छे कंपोजर आएँगे। ' इसपर मैंने कहा था,' नहीं बप्पी दा, आप जैसे लीजेेंड बार बार नहीं आते।' तब भावुक होते हुए वे बोले थे,'मेरे करोडों फैंस, फॉलोअर्स, सब यही कहते हैं और मैं सबको कहता हूं 'हम लौट आयेंगे, तुम यूँ ही बुलाते रहना, कभी अलविदा ना कहना, कभी अलविदा ना कहना।' यह कहकर वे बातचीत खत्म करते हुए बोले थे कि वे एक धुन रेकॉर्ड करने के लिए अभी उठ रहे हैं, मैंने पूछा था,'किस रेकॉर्डिंग स्टूडियो में जा रहे हैं?' इसपर वे बोले थे, 'मेरे बंगले में ही मेरा विशाल, हर सुविधा से लैस रिकॉर्डिंग स्टूडियो बना हुआ है। मैं वहीं जा रहा हूं।' बप्पी दा के ये शब्द आज भी गूँज रहे हैं, हवाओं में, फिजाओं में। दुनिया उनसे कैफ़ियत मांग रही है कि' कभी अलविदा ना कहना, कहने वाले किस हक़ से खुद अलविदा कह गए, और अगर गए भी तो दुनिया का हर संगीत प्रेमी बार बार आज उन्हें पुकार रहें हैं, बुला रहे हैं, उन्होंने कहा था,' हम लौट आयेंगे, तुम सब यूँ ही बुलाते रहना', तो लौट आओ ना बप्पी दा, लौट आओ ना। #Bappi Lahiri #Bappi Da #ham lout ayenge #tum uhi bulate rehna हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article