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उत्तम कुमार को 50 से 70 के दशक में बांग्ला फिल्म इंडस्ट्री का शहंशाह कहा जाता था। उन्होंने बांग्ला के साथ-साथ हिन्दी फिल्मों में भी काम किया।
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अरुण कुमार चैटर्जी के नाम से करियर शुरू करने वाले उत्तम कुमार ने 'दृष्टिदान' और 'कामोना' जैसी शुरुआती फिल्मों में सफलता नहीं पाई। बाद में उन्होंने नाम बदलकर उत्तम कुमार रखा और फिल्म 'मर्यादा' से सफलता पाई।
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उत्तम कुमार के अभिनय की खासियत थी कि वह अपने किरदार में पूरी तरह से डूब जाते थे। उनकी बांग्ला फिल्म 'निशि पद्मा' का हिन्दी रीमेक 'अमर-प्रेम' सुपरहिट हुई थी।
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हिन्दी फिल्म 'अमर-प्रेम' में राजेश खन्ना ने उत्तम कुमार के किरदार को निभाया और कहा कि अगर वह उत्तम कुमार का 50% भी कर सके, तो खुद को धन्य समझेंगे।
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महान फिल्मकार सत्यजीत रे ने उत्तम कुमार के निधन पर कहा कि बंगाली फिल्म इंडस्ट्री का एक रौशन चिराग बुझ गया है।
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हिन्दी फिल्म 'छोटी सी मुलाकात' में उत्तम कुमार ने वैजन्तीमाला के साथ काम किया, लेकिन फिल्म फ्लॉप हो गई। इसके बावजूद उत्तम कुमार ने वैजन्तीमाला की आलोचना नहीं की।
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उत्तम कुमार ने 'अमानुष' और 'आनंद आश्रम' जैसी हिन्दी फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें उनकी एक्टिंग की तारीफ हुई। 'अमानुष' के लिए उन्हें स्पेशल फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला।
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दिलीप कुमार, राज कपूर, और सुचित्रा सेन जैसे बड़े स्टार्स ने भी उत्तम कुमार की तारीफ की। दिलीप कुमार ने उन्हें अपने दौर का सबसे बेहतरीन एक्टर कहा।
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1980 में दिल का दौरा पड़ने से उत्तम कुमार की मृत्यु हो गई। उनके निधन के बाद भी उनकी कुछ फिल्में रिलीज हुईं।
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उत्तम कुमार को उनकी मृत्यु के 41 साल बाद भी याद किया जाता है और उनकी फिल्में आज भी नई पीढ़ी के अभिनेताओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
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