मैं भारत बोल रहा हूं! विजई विश्व तिरंगा प्यारा! झंडा ऊंचा रहे हमारा! मैं भारत हूं ! By Mayapuri Desk 16 Aug 2021 | एडिट 16 Aug 2021 22:00 IST in एंटरटेनमेंट New Update Follow Us शेयर विश्व के मानचित्र पर मुझे लोग “भारतीय उपमहाद्वीप” के नाम से पुकारते हैं। 15 जनवरी 1947 को मेरा जन्म हुआ था फिर मुझे कई नामों से पुकारा जाने लगा। ’भारत’, ’इंडिया’, ’हिंदुस्तान’, ’भारतवर्ष’, ’भारत खंड’, ’हिन्द’ और गए दिनों की ’सोने की चिड़िया’ आदि आदि। हालांकि जन्म से पहले मुझे ’आर्यावर्त’ और उससे भी पहले ’जम्बूद्वीप’ भी पुकारा जाता था। जब अंग्रेज हमें प्छक्प्। कहकर छोड़कर गए थे, तबसे विश्व मानचित्र पर हमारी चैहद्दी कुछ इसतरह से है। उत्तर में- हिमालय पर्वत। पश्चिम में- अरब सागर/पाकिस्तान। पूर्व में- बंगला देश/म्यांमार। दक्षिण में- हिन्द महासागर/श्री लंका। उत्तर-पूर्व में- चीन/ नेपाल/ भूटान। उत्तर-पश्चिम में अफगानिस्तान। दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया और हमारे दक्षिण-पश्चिम में मालदीव है। आज दुनिया मे मैं भौगोलिक दृष्टि से सातवां और जनसंख्या में दूसरा सबसे बड़ा देश हूं। एशिया महादीप में मैं एक सिंह की तरह सर उठाए खड़ा हूं। हमारी संस्कृति, सभ्यता और इतिहास उतना ही गौरवमयी और प्राचीन है जितना विश्व के नक्शे पर हमारी प्रभावशाली उपस्थिति है। आज की जनरेशन को इसबात का पता तक नहीं है ! जरूरत है पश्चिमी नकल के पीछे भागने वालों को बताने कि वे मानव- सभ्यता की जड़ ’आर्यावर्त’ की संतानें हैं। हमारा रुट सनातन धर्म से जुड़ा है और सनातन धर्म सभी धर्मों की खोह (गर्भ) है। आइये, एक नज़र दौड़ाते हैं मानव- सभ्यता के शुरुआती दिनों पर यह मानलिया जाता हैं कि धरती पर मानव का होना कोई 65,000 साल पहले दक्षिण एशिया में रहा होगा। आधुनिक मानव- जिसे ’होमो सेपियंस’ कहा जाता है का प्राचीनतम अवशेष कोई 30,000 वर्ष पुराना है। समय की आरंभिक इकाई (इशवी) की गड़ना शुरू होने के बाद यानी- ’ईशा पूर्व’ 2600 से 1900 के बीच सिंधु घाटी (हड़प्पा, मोहन जोदडो, धोलावीरा, काली गंगा )के आसपास से लोग इधर उधर गए थे। सिंधु घाटी की सभ्यता ( जिसे अंग्रेज पदकने घाटी कहते थे) से सारे अनुमान तय किए जाते हैं। आजकल यह स्थान पाकिस्तान में है। ईशा पूर्व 2000 से 500 के बीच के विकास का क्रम को ताम्र युग, लौह युग... आदि के नामों से जाना जाने लगा है।इसी युग मे उत्तर पश्चिम में भारतीय आर्यन का आना हुआ। ईशा पूर्व 1200 तक संस्कृति भाषा का प्रचार हो गया था और ’’ऋग्वेद” की रचना हो गयी थी। ईशा पूर्व 400 तक “वेदों’ का रचना का काल माना जाता है। विकास की गति आगे बढ़ती रही। इसी क्रम के दौरान हिन्दू धर्म मे जातियवाद ने पांव पसारना शुरू किया और बौद्ध तथा जैन धर्म का प्रादुर्भव हुआ। जातीय- एकात्मकता की सोच के चलते ही गंगा बेसिन में मौर्य और गुप्त वंश ने अपना साम्राज्य फैलाया। ये बहुत सक्रिय शासक साबित हुए और दक्षिण को छोड़कर सभी जगह अपना प्रशाशनिक विस्तार किये। तीसरी शताब्दी तक मध्य एशिया में यूनानी, शक, पार्थी, कुषाण आना शुरू किए। दक्षिण में चेर राज वंश,चोल वंश और पाण्ड्य राज वंश फैल रहे थे। प्रारम्भिक मध्य युगीन काल मे ईसाई धर्म, इस्लाम, पारसी दक्षिण के समुद्री तटों पर बसते गए। भारत के उत्तरी मैदानों पर मध्य एशिया से मुस्लिम शासक आकर अत्याचार किये। फिर 17 वीं शदी में व्यापार करने के लिए भारत मे ईस्ट इंडिया कम्पनी आयी। उसने अपना शासन जमा लिया। 1857 से अंग्रेज आकर कम्पनी को अधिग्रहित करके शासन करना शुरू किए। भारत मे विद्रोह फूटा उनके शख्त रवैये के खिलाफ और 200 साल के अंग्रेजों के शाशन को हमारे देश की जनता ने उखाड़ फेंका। अफसोस यह है कि कुटिल सोचवाले अंग्रेजों ने जाते जाते देश को धर्म के नाम पर दो हिस्सों में बांट दिया था- भारत और पाकिस्तान के रूप में। 15 अगस्त 1947 को हम आजाद हुए और 26 जनवरी 1950 को देश मे गण- राज्य की पूर्ण सत्ता स्थापित हुई। एक ऐसी सत्ता जो जनता द्वारा जनता पर जनता का शासन चला रही है। अब मैं “भारत गणराज्य” (त्म्च्न्ठस्प्ब् व्थ् प्छक्प्।) हूं। एक संघीय व्यवस्था में दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बनकर दुनिया के सामने आदर्श गुरु का दर्जा रखता हूं। हमारा लक्ष्य अजेय है। हमारा गीत अजेय है-जो शतत जारी रहेगा- “विजयी विश्व तिरंगा प्यारा- झंडा ऊंचा रहे हमारा!” #Bharat #india #Hindustan #'Bharat Khand' #'Bharatvarsha' #'Hind' #I am India हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article