अगर नहीं लगा ओटीटी (OTT) प्लेटफार्म पर सेंसर का चाबुक तो नंगा हो जाएगा भारत का सभ्य समाज By Mayapuri Desk 29 Jan 2021 | एडिट 29 Jan 2021 23:00 IST in एडिटर्स पिक New Update Follow Us शेयर भारत में ओटीटी (OTT) प्लेटफार्म के कार्यक्रमों को देखने वालों की संख्या में इतना ग्रोथ (विस्तार) हुआ है कि पिछले कुछ महीनों में वह दुनिया भर मे व्यूअर्स के मीटर पर अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर आगया है।कोरोना लॉक डाऊन से पहले हमारे देश मे बहुतायत लोग OTT का मतलब भी नही समझते थे, आज हालात यह हैं कि 12 साल की उम्र से ऊपर के बहुतेरे लड़के-लड़कियां अकेले में अपने दोस्त के साथ 'गंदी बात', 'आश्रम' या ' तांडव' के अश्लील दृश्यों की बात करते सुने जाते हैं! मध्य प्रदेश के एक मंत्री की जनहित याचिका इसी बात पर अदालतों के दरवाजे खटखटा रही है। भारत की उच्च और सर्वोच्च न्याय पालिका ने ओटीटी की प्रदर्शन -प्रणाली पर असंतोष जाहिर किया है।पर अफसोस कि बात यह है कि अभी तक ओटीटी स्ट्रीमिंग पर सेंसर बनाकर नियंत्रण किये जाने की चर्चा पर खुलकर बात तक नही हो पा रही है। 'ओटीटी प्लेटफार्म ' (over the top) इंटरनेट से प्रक्षेपित किया जानेवाला वाला एक स्ट्रीमिंग मीडिया सर्विस है जिसको टीवी, मोबाइल, लैपटॉप ,बड़े पर्दे पर कहीं भी सीधे देखा जा सकता है।जो लोग अभी भी इसके प्रभाव को नहीं भांप पाएं हों उनको हम बात दें कि आपके बच्चे चादर ओढ़कर सोते हुए अंदर मोबाइल फोन पर अगर कुछ देख रहे होते हैं , ये वही ओटीटी के प्रोग्राम हैं। जिस कंटेंट में सेक्स हो, नंगा जिस्म प्रदर्शन हो, वल्गरिटी और भोंडापन हो, गंदी गालियां हों , भारतीय सभ्य समाज की मां-बहन करने वाली कहानी हो, ये सब मिलाकर जो प्रोग्राम बनता हो उसे ओटीटी के प्लेटफार्म पर बिना डर के दिखाया जा सकता है।यहां हम इसी तरह के प्रोग्राम को सेंसर किये जाने की बात पर ज़ोर देरहे हैं। हमारे देश मे OTT के 40 प्लेटफार्म है। यानी- नेट से चलने वाले app हैं।नए सर्वे में इनकी संख्या 80 तक बताई जा रही है। मुख्यतः अमेज़न प्राइम , नेट फ्लिक्स, ऑल्ट बालाजी, जी5 , डिज़्नी हॉट स्टार, मैक्सप्लेयर के प्रोग्राम को ही भारतीय दर्शक ज्यादा देखते हैं और देखने वालों में 90 प्रतिशत युवा हैं। युवा- यानी देश की भावी पीढ़ी की बड़ी जमात जो विदेशी सभ्यता से लवरेज है और भूलती जा रही है भारतीय संस्कारों को! ज़रूरत इसी बात की है कि देश की गौरवमयी संस्कृति को नंगा किए जाने से बचाया जाए।इसके लिए ज़रूरत है कि थिएटर में चलने वाली फिल्मों की तरह OTT के प्लेफॉर्म पर भी सेंसर का चाबुक चिपका दिया जाए।हालांकि सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल इस मुद्दे की गम्भीरता पर चिंता जाता चुके हैं। 'आश्रम' के बॉबी देवल और 'तांडव' के सैफ अली खान का चरित्र चित्रण हमारे समाज का आदर्श नही हो सकता। जनहित याचिकाओं के जवाब में अदालतों ने सरकार को दिशा निर्देश तय करने के लिए आदेश भी दिया है। किंतु कुछ तकनीकी दिक्कतों के चलते बनाये जाने वाले सरकारी नियमन का पालन कराया जाना आड़े आ जाता है।दरअसल यह मीडिया अंतरराष्ट्रीय है, इन प्रोग्रामो की स्ट्रीमिंग पूरी दुनिया के लिए किया जाता है और इनके मालिक भी विदेशी हैं-जो हमारी सभ्यता-संस्कृति के कायदों के मुरीद नहीं हैं।हालांकि उनके सामने एक सच यह भी है कि भारत मे दिखाए जाने वाले इन प्लेटफार्म के 90 प्रतिशत प्रोग्राम हिंदी में और यहां की क्षेत्रीय भषाओं में बने होते हैं।दुनिया के सेंसर नियमन के तहत हर देश की सरकार अपने देश मे दिखाए जाने की लिमिट- लाइन खींच सकती है। यह काम किया जा सकता है। बहुत लोगों की राय है कि इस मीडिया को अंकुस की बाध्यता से मुक्त ही रखा जाए- जिसको देखना हो देखे जिसको नही देखना हो नही देखे।पर ऐसा कहने वाले भूल जाते हैं कि भारत एक गरीब देश है। यहां हर व्यक्ति के लिए अपना सेपरेट बेडरूम नहीं होता।घर के सभी लोग एक ही टीवी सेट पर प्रोग्राम देखते हैं।और, उस घर मे सभी की च्वाइस नग्नता या गंदी गाली तो नहीं हो सकती? बहरहाल (कु)तर्क तो यह भी है कि जिस तरह टेलीविजन कार्यक्रमों के लिए सेल्फ सेंसर है वैसा ही ओटीटी के लिए भी हो।और, यह भी कहते हैं कि टीवी के लिए तो सेंसर बोर्ड बना नहीं सके तो...तो...यानी- खुला सांड छोड़ दिया जाए चाहे जहां जाए।भई, हमारी राय तो यही है कि जल्द से जल्द ओटीटी प्लेटफार्म के कार्यक्रमों एवं वेब सीरीजों के लिए सेंसर बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए वरना दिन दूर नही जब भारत का सभ्य समाज नंगा हो जाएगा। संपादक #Bobby Deol #Aashram #Mirzapur #Tandav #ullu tv हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article