ऐ खुदा, जवानी इतनी रंगीन और बुढ़ापा इतना संगीन क्यों बनाया तूने? By Mayapuri Desk 09 Mar 2021 | एडिट 09 Mar 2021 23:00 IST in एडिटर्स पिक New Update Follow Us शेयर मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि मैं एक दिन सत्तर का हो जाऊंगा, खासकर मेरे जीवन में मेरे साथ हुई सभी दुर्घटनाओं और सभी अंतहीन बीमारियों के बाद जिन्हें मैं अब भी बर्दाश्त कर रहा हूं और उन पर काबू पा रहा हूं। लेकिन, सच्चाई यह है कि मैं अब सत्तर साल का हो गया हूं, जहाँ तक मेरे परिवार में कोई इस ऐज तक नहीं पहुंच पाया था। और इतने सारे उतार-चढ़ाव के बाद जीवित रहने के लिए भाग्यशाली होने के नाते, मैं उन सभी दर्द को गहराई से जानता हूं। जिनके बारे में मुझे मालूम है की अब जब तक मैं जीवित रहूंगा यह दर्द और बीमारी मेरे साथ रहेगी। वास्तव में, हाल ही में मैंने एक सपना देखा था जिसमें मैंने अपने पहले से ही काम्प्लकेटिड और यहां तक कि एक कान्ट्रवर्शल नाम अली पीटर जॉन को अली पेन जॉन में बदलते देखा था। -अली पीटर जॉन (99 के चंद्रशेखर के साथ एक अजीब सी मुलाकात) जब मैं इस बारे में सोच रहा था कि सबसे मजबूत और सबसे शक्तिशाली पुरुषों और महिलाओं की उम्र क्या है, तो मैंने अपने अच्छे पुराने दोस्त, जाने-माने अभिनेता, निर्माता, निर्देशक और उद्योग के लीडर, चंद्रशेखर से मिलने के बारे में सोचा। जो 1 और साल में 100 साल के हो जाएगंे। मुझे अभी भी एक ऐसे व्यक्ति के साथ समय बिताने का सौभाग्य नहीं मिला था, जो कभी युवाओं के जीवन की शक्ति का प्रतीक था। मैंने शेखर साहब से मिलने का फैसला लिया जैसे कि मैं और हजारों अन्य लोग जो उन्हें इस नाम से जानते थे, और मैंने अपने युवा मित्र नितिन आनंद की मदद ली और भाव दीप के गेट पर पहुँच गया, जो शेखर साहब का बंगला था जिसे 70 साल पहले अंधेरी में बिल्ट किया गया था। उनके बंगले में अभी भी पहले कि तरह शांति का माहौल था और जीवन या किसी भी तरह के मूवमेंट का कोई संकेत नहीं दिखा दे रहा था, यहां तक कि वर्षों पहले शेखर साहब ने जो पेड़ वहां लगाए थे, वे किसी तरह से उदास और शांत दिख रहे थे। भाव दीप ही वही जगह थी जहाँ शेखर साहब ने अपने जन्मदिन पर हर बड़े सितारे, फिल्म निर्माता और उद्योग के लीडर्स के साथ बेहतरीन पार्टियों की मेजबानी की थी। भाव दीप ही वह जगह थी जहाँ शेखर साहब ने सबसे बड़े हिंदी कवियों और उर्दू शायरों के साथ सबसे रंगीन कवि सम्मेलन और मुशायरों का आयोजन किया था, जहा सभी शायर कवि शेखर साहब के अतिथि सत्कार का आनंद लेने के लिए इकट्ठे हुए थे। भाव दीप ही वह जगह थी जहाँ शेखर साहब ने एक छोटे लड़के को एक महान हिंदी कवि के साथ बैठे देखा था और वह कवि डॉ. हरिवंशराय बच्चन थे और वह छोटा लड़का उनका बेटा था जो बड़ा होकर एक प्रसिद्ध अभिनेता अमिताभ बच्चन बना था। भाव दीप वह जगह थी जहाँ शेखर साहब ने अपनी शादी की सालगिरह मनाई थी, (उन्होंने हैदराबाद में एक गाँव की लड़की पुष्पा से शादी की थी, जो सिर्फ 13 साल की थीं और वह तब 14 साल के थे और दोनों इसी बगले में रहे और कुछ साल पहले ही पुष्पा गंभीर रूप से बीमार हो गई थी जिसके चलते उनकी मृत्यु हो गई थी), उन्होंने अपने तीन बच्चों की शादियाँ भी इसी घर से की थीं, और उनके बंगले के हॉल में ही उनकी वी शांताराम और दिलीप कुमार जैसे दिग्गजों छोटे अभिनेताओं के साथ मुलाकातें हुईं थी और कुछ ही वर्षों में, भाव दीप कई लोगों के लिए एक फेमस डेस्टनेशन बन गया और उनके मार्गदर्शन के लिए एक तीर्थस्थल बन गया हैं। और जैसा कि ये सभी रोमांचक इवेंट्स यहाँ होते रहे हैं, तो समय भी सम्राटों, राजाओं और संतों की परवाह किए बिना अपनी गति से चल रहा था। अन्य लोगों की तरह शेखर साहब को उनकी छाया में रखा गया था, जबकि अन्य युवा अभिनेताओं और फिल्म निर्माताओं ने उन्हें कुछ काम दिया और शेखर साहब जो एक समय में नायक थे, वह एक जूनियर कलाकार या भीड़ में या पार्टी के सीन में एक चेहरा बनकर रह गए थे। और फिर उम्र ने उन्हें पूरी तरह से घर पर रहने के लिए मजबूर कर दिया, जहां वह अपने जीवन के आखिरी 20 साल से रह रहे है, और अभी भी उनका यह सफर जारी है क्योंकि वह अभी भी जीवित हैं। यह सुनाने में कड़वा लग सकता है, लेकिन यह जीवन कि एक सच्चाई है। मैंने और नितिन आनंद ने गेट का दरवाजा खोला और एक विशाल कुर्सी पर बैठे एक आदमी कि परछाई को देखा जो मालती (जो उनके यहाँ काम करती हैं जिसका नाम ही एकमात्र ऐसा नाम है जो वह अपने बिना एफ्फोर्ट्स के आसानी से ले पाते है।) द्वारा तैयार किए गए अपने लंच को करने के लिए अपने केयरटेकर सुरेश की मदद से दोपहर का भोजन करने की कोशिश कर रहे थे। मैं आंसूओं को बहाने से रोंक रहा था, जिस हालत में मैं उन्हें देख रहा था। क्या वह वही आदमी नहीं है जिसे मैं सूरज की तपिश में मार्च करते हुए देखता था, जिन्होंने बाढ़, सूखे, अकाल या युद्ध के पीड़ितों के लिए धन जुटाने के लिए जुलूस भी निकला था? क्या वह वही आदमी नहीं है जिसने 60 के दशक में एक हैंडसम युवा नायक की भूमिका निभाई थी और उनपर कुछ बेहतरीन गाने भी फिल्माए गए थे? क्या यह आदमी उद्योग का लीडर नहीं था जिसने संसद और संयुक्त राष्ट्र में भी इसका प्रतिनिधित्व किया और उद्योग के लिए जीत हासिल की और जो खास तौर पर वर्कर्स के लिए था? क्या वह वह शख्स नहीं था जिसके लिए मोहम्मद रफी ने न केवल मुफ्त में गाना गाया था बल्कि उनकी बड़ी बेटी की शादी के रिसेप्शन में मेजबानों में से एक के रूप में खड़े भी हुए थे, और संगीत निर्देशकों के शंकर जयकिशन टीम के शंकर ने अपनी फिल्मों में से एक में संगीत देने के लिए उनका नाम बदल दिया था? क्या शम्मी कपूर या मिथुन और गोविंदा जैसे अभिनेताओं से बहुत पहले उन्हें एक बेस्ट डांसर के रूप में नहीं जाना जाने लगा था? मैं खुद से ये सब परेशान करने वाले सवाल पूछ रहा था जब मालती ने हमें लंच परोसा जो कि तब भी उतना ही स्वादिष्ट था जब वह एक समय हमें दोपहर या रात का खाना परोसती थी और वह समय वापस नहीं आ सकता था। और जैसा की मैंने कहा उनका दोपहर का भोजन अभी भी वैसा ही था और इसलिए 50 साल बाद भी उनके चेहरे पर ब्राइट स्माइल थी। हमने उनसे किसी तरह से बातचीत करने की कोशिश की, और यह स्वाभाविक रूप से बहुत मुश्किल था, लेकिन उन्होंने आसानी से हार नहीं मानी और न ही मैंने, निश्चित रूप से नितिन की मदद से जिसकी आवाज शेखर साहब ने मुझसे बेहतर सुनी हो सकती है और जब भी शेखर साहब कुछ शब्द कहने में कामयाब होते, उनकी आवाज मेरे से बहुत ज्यादा मजबूत होती है और मैं उनसे 29 साल छोटा था। वह मुझे पहले ‘अली बाबा’ के नाम से पुकारते थे और अब शायद ही उन्हें मेरा नाम याद होगा। हालाँकि वह अपने पुराने दोस्तों जैसे दिलीप कुमार को याद करते थे, जिन्हें वह अभी भी याद करते थे, वह उनसे कुछ महीने बड़े थे और यह याद रखने के लिए कि वह कैसे ‘एक ग्रेट नेचुरल एक्टर’ थे और उन्हें यह भी याद था कि वह कैसे अपने दोस्त को ‘पलीवाले बाबा’ कह कर बुलाते थे। वह इस फैक्ट से बेखबर थे कि उनका दोस्त अब उनसे भी बुरी हालत में था। वह अशोक कुमार को भी याद करते हैं, जिन्हें उन्होंने कहा था कि वह एक जेंटलमैन और एक बहुत अच्छे अभिनेता थे। वह अंतिम बड़े नामों में से एक थे जो उन्होंने लिए थे और उन अन्य नामों के बीच मेरे सीनियर कुम्ताकर और पंडित शिम्पी भी शामिल थे। उन्होंने अपने कुछ उद्धरणों को याद किया जैसे ‘यह दुनिया कि सबसे अच्छी इंडस्ट्री है, यह एक ऐसी इंडस्ट्री है जहां आप भूखे उठ सकते हैं, लेकिन यह आपको भूखा नहीं सोने देगी और उन्होंने अपने जीवन का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली लाइन्स को याद किया, “कभी अर्श पर, कभी फर्श पर कभी उसका डर कभी दर बदर, यहाँ वहा, कहा कहा गुजर गया मैं” बाहर, एक क्रूर समय हमारा इंतजार कर रहा था कि हम जिस जीवन को जी रहे थे उसे जीने के लिए छोड़ दें और हमें उसी समय का सम्मान करना होगा जिसने महान चंद्रशेखर वैद्य के जीवन जैसे महान जीवन के साथ खिलवाड़ किया है। मैंने एक बार एक पल के लिए पीछे मुड़कर एक मजबूत आदमी की और देखा और फिर मैंने अपने खुदा को पुकारा और उनसे पूछा कि क्या वह इस योजना को नहीं बदल सकते है जिसके अनुसार उन्होंने मनुष्य को बनाया था। और जब तक हम शेखर साहब के साथ बैठे थे, मैं उनके पास उनके किसी अपने और प्रिय व्यक्ति को नहीं देख पाया था। क्या वे अपने जीवन को जीने में इतने व्यस्त थे कि वे उस आदमी के साथ कुछ पल नहीं बिता सकते जिसने उन्हें जीवन दिया था और जीवन की सभी अच्छी चीजें उन्हें दी थी? जिन्दगी शुरू में कितनी मस्ती भरी और कितनी रंगीन होती है कि जिन्दगी से लगाव और मोहब्बत भी हो जाती है और फिर ये जिन्दगी ही इंसान को ऐसे मोड़ पर ले आती है की जिन्दगी पर रोना आ जाता है ऐसा ही होना था, तो ऐ जिन्दगी तूने जिन्दगी बनाई कयों, क्या ये तेरा सबसे बदसूरज मजाक तो नहीं है? अनु- छवि शर्मा #ali peter john #chandrashekhar हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article