मूवी रिव्यु: इरफान के दमदार अभिनय वाली वापसी 'अंग्रेजी मीडियम' By Shyam Sharma 12 Mar 2020 | एडिट 12 Mar 2020 23:00 IST in बॉक्स ऑफ़िस New Update Follow Us शेयर रेटिंग**** इरफान के कैंसर जैसी बीमारी से निजात पाने की खबर ने उनके प्रशसंकों में नया उत्साह भर दिया था लिहाजा वे उनकी आने वाली होमी अदजानिया निर्देशित फिल्म ‘ अंग्रेजी मीडियम’ का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। एक अरसे बाद पर्दे पर इरफान को देख जरा भी नहीं लगा कि वे एक भयानक बीमारी से निजात पाकर दौबारा अभिनय में वापसी कर रहे हैं क्योंकि अपने किरदार में उनका वही सर्मपण भाव नजर आया जो हम पहले से देखते आये हैं। बाप बेटी की रिलेशनशिप पर आधारित इस फिल्म की कहानी कुछ यूं रही। कहानी राजस्थान के उदयपुर में चंपक बसंल यानि इरफान की घसीटाराम मिठाईवाले नाम की दुकान है। ये उनके परिवार का एक ऐसा खानदानी नाम है, जिसके लिये उनकी उनके कजन्स के साथ कोर्ट कचहरी चल रही है। उनके कजन ब्रदर गोपी ने तो अपने खानदानी नाम को लेकर चंपक की नाक में दम किया हुआ है। चंपक की बीवी मर चुकी है, लिहाजा उसने अपनी बेटी तारिका यानि राधिका मदान को मां बाप बनकर पाला है। तारिका का बचपन से एक ही सपना है कि वो बड़ी होकर विदेश में जाकर पढ़ाई करे। जब वो अपने सपने से अपने पिता को परिचित करवाती है तो चंपक बेटी के अपने से अलग होने की वजह से डर जाता है लेकिन तारिका विदेश जाने के लिये अपने आपको पढ़ाई में पूरी तरह झौंक देती है। उसकी मेहनत का उसे अच्छा फल मिलता है क्योंकि उसे स्कूल की तरफ से लंदन की टॉप यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिये जाने का ऑफर मिलता है। लेकिन वो ऑफर चंपक की वजह से कैसिंल हो जाता है। उसके बाद चंपक तारिका को किसी भी तरह लदंन की उसी यूनिवर्सिटी में दाखिला दिलाने के लिये कमर कस लेता है। यहां उसका कजन गोपी भी उसके साथ है। वो गोपी और अपनी बेटी के साथ लंदन पहुंच भी जाता है, लेकिन एयरपोर्ट पर उसके साथ ऐसा कुछ होता है कि उसके बाद उसका स्ट्रगल दुगना हो जाता है। बावजूद इसके अपनी बेटी की इच्छा पूरी करने के लिये चंपक कुछ भी कर गुजरता है। अवलोकन फिल्म के पहले पार्ट हिन्दी मीडियम में समाज में भाषा के बंटे होने के विषय को उठाया गया था, लेकिन यहां होमी ने यंग जनरेशन के विदेश आकर्षण की चरम सीमा को छूने की कोशिश की गई है। देश विदेश के बीच बाप बेटी के आपसी प्रेम प्यार में बाप का कुछ भी कर गुजरने का प्रयास इमोशन के तहत दर्शक की आंखें तक नम कर जाता है। फिल्म की शुरूआत होती है चंपक और गोपी के बीच अपने खानदानी नाम को लेकर कोर्ट कचहरी तक की जंग से, जहां इनके बीच एक पात्र कीकू शारदा और शामिल हो जाता है। इन तीनों का सिचवेशनल कॉमेडी भरा धमाल, दर्शक को हंसाने में पूरी तरह कामयाब है। खासकर तीनों के शराब पीने वाली बैठक के सीन तो फिल्म की यूएसपी हो सकते हैं। लेकिन दूसरे भाग में कहानी जाने पहचाने दृश्यों में शामिल हो जाती है। वहां कुछ और किरदार भी प्रकट होते हैं। क्लाइमेक्स कुछ नाटकीय हो गया। संगीत औसत रहा। अभिनय इसमें कोई शक नहीं कि इरफान इस दौर के एक समर्थ अभिनेता हैं, उनमें किसी भी किरदार के भीतर तक घुस जाने की अद्भुत क्षमता है। चंपक के किरदार में वे अपनी बॉडी लैंग्वेज, माहौल और भाषा के साथ उच्चकोटि के अभिनेता के तौर पर उभर कर आते है। इस किरदार के तहत उन्होंने कॉमेडी से जितना हंसाया है उतना ही भावनात्मक दृश्यों मे रूलाया भी। फिल्म का सरप्राइज रही राधिका मदान। उसने एक महत्वाकांक्षी लड़की की चेलेंजिंग भूमिका को जिसमें कितने ही रंग थे, बड़ी सहजता से प्रभावशाली अभिव्यक्ति दी यानि वो पूरी फिल्म में इरफान के सामानांतर चली। बाप बेटी के रूप में उनकी केमेस्ट्री देखते बनती है। गोपी के किरदार में मस्तमौला अभिनेता दीपक डोबरियाल ने अपनी दमदार अदाकारी के तहत इरफान का दमदार साथ दिया। करीना कपूर महज दो चार सीन के लिये ही दिखाई दी, उसके संक्षिप्त किरदार को देखकर निराशा होती है। इनके अलावा कीकू शारदा, डिपंल कापड़िया तथा रणवीर शौरी आदि कलाकारों की उपस्थिति भी शानदार रही। क्यों देखें इरफान के दमदार अभिनय वाली वापसी और फुल मनोरंजन वाली फिल्म को मिस न करें। और पढ़े: माफिया क्वीन गंगूबाई बनी आलिया भट्ट, जानिए कौन थी ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ #movie review #Irrfan Khan #angrezi medium हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article