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Feroz Khan सिंगल मदर से की शादी एयरहोस्टेस के लिए 20 साल बाद दिया तलाक

बॉलीवुड के जाने माने एक्टर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर और अपने फैशन स्टाइल के लिए बॉलीवुड में पहचान बनाने वाले फिरोज खान की आज 84वी बर्थ एनिवर्सरी है...

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Feroz Khan सिंगल मदर से की शादी एयरहोस्टेस के लिए 20 साल बाद दिया तलाक

एक भारतीय अभिनेता, निर्माता, फिल्म निर्देशक और संपादक, जो अपनी वाइल्ड वेस्ट शैली की फिल्मों के लिए जाने जाते थे, फ़िरोज़ खान 60 से अधिक बॉलीवुड फिल्मों में दिखाई दिए और अपने फैशन के साथ-साथ डायरेक्टोरियल चॉइस के लिए एक स्टाइल आइकन बन गए। 25 सितंबर 1939 को बैंगलोर, भारत में जन्मे फ़िरोज़ खान ने अपनी स्कूली शिक्षा बैंगलोर के बिशप कॉटन बॉयज़ स्कूल और सेंट जर्मेन हाई स्कूल से पूरी की। अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने अभिनय में अपनी किस्मत आजमाने के लिए बॉम्बे की यात्रा की।

फ़िरोज़ ख़ान ने राजसी अंदाज़ में एक अर्से तक दर्शकों के दिलों पर राज किया है। बॉलीवुड की दुनिया में जहां अभिनेता फ़िल्में खो देने के डर से अपनी छवि में बंधे रहते हैं वहां एक अभिनेता ऐसा भी था जिसने कभी खुद को किसी छवि में बंधने नहीं दिया। तो आइए आज उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर आपको बताते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें.  

1960 में फिल्म 'दीदी' से किया डेब्यू

- फिरोज़ खान के तीन भाई संजय ख़ान (अभिनेता-निर्माता), अकबर ख़ान और समीर ख़ान (कारोबारी) हैं। उनकी एक बहन हैं, जिनका नाम दिलशाद बीबी है। फ़िरोज़ की भतीजी और संजय ख़ान की बेटी सुजैन की शादी रितिक रोशन के साथ हुई थी।

- फिरोज खान बेंगलुरु से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वे मुंबई आ गए और फिल्मों में काम करने लगे। उन्होंने 1960 में आई फिल्म 'दीदी' से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी।  

अंग्रेजी भाषा में की ‘टार्जन गोज टू इंडिया’

- वर्ष 1962 में उन्होंने अंग्रेजी भाषा की एक फ़िल्म ‘टार्जन गोज टू इंडिया’ में काम किया। इस फ़िल्म में नायिका सिमी ग्रेवाल थीं। 1965 में उनकी पहली हिट फ़िल्म ‘ऊंचे लोग’ आई जिसने उन्हें सफलता का स्वाद चखाया।

-‘आदमी और इंसान’ (1970) में अभिनय के लिए फ़िरोज़ ख़ान को फ़िल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार का पुरस्कार मिला। उन्होंने ‘मेला’, ‘धर्मात्मा’  जैसी बेहतरीन फ़िल्में दीं। इसी दशक में उन्होंने निर्माता-निर्देशक के रूप में अपना सफर शुरू किया। उनके इस सफर की शुरुआत फ़िल्म ‘धर्मात्मा’  से हुई।

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-फिरोज खान का नाम हिंदी सिनेमा में 70-80 के दशक के सबसे स्टाइलिश हीरो में आता है। वो बॉलीवुड के पहले और आखिरी ‘काऊ ब्वॉय’ भी कहे जाते हैं। फिरोज जब तक जिए अपनी रॉयल्टी को उन्होंने कभी नहीं छोड़ा। फिरोज खान की जिंदगी किसी राजकुमार से कम नहीं थी।

- शादी से पहले फिरोज खान काफी रंगीन मिजाज के माने जाते थे। नाइट क्लब में देर रात तक पार्टियां करना उनका शौक था। उनकी पार्टी में बॉलीवुड की बड़ी-बड़ी सेलिब्रिटीज शामिल होते थे। फिरोज खान के इन शौक से सभी वाकिफ थे। ऐसी ही एक पार्टी के दौरान फिरोज खान की मुलाकात सुंदरी से हुई.  

शादी के बाद एयरहोस्टेस से किया अफेयर

- सुंदरी पहले से शादीशुदा थीं और उनकी एक बेटी सोनिया भी थीं लेकिन इस बारे में कभी किसी ने बात नहीं की। फिरोज और सुंदरी ने 1965 में शादी कर ली। फिरोज खान और सुंदरी के दो बच्चे हुए। उनकी बेटी लैला का जन्म 1970 में हुआ था जबकि फरदीन खान का जन्म 1974 में हुआ।

  • शादी के कुछ ही सालों बाद सुंदरी को पता चला कि फिरोज किसी लड़की को डेट कर रहे हैं। ये लड़की कोई और नहीं बल्कि मशहूर धनराजगिर परिवार की बेटी ज्योतिका धनराजगिर थीं। ज्योतिका एयरहोस्टेस थीं और उनके पिता महाराजा महेंद्रगिर धनराजगिर थे।

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शादी के 20 साल बाद दिया तलाक

- शादी के कुछ ही सालों बाद सुंदरी को पता चला कि फिरोज किसी लड़की को डेट कर रहे हैं। ये लड़की कोई और नहीं बल्कि मशहूर धनराजगिर परिवार की बेटी ज्योतिका धनराजगिर थीं। ज्योतिका एयरहोस्टेस थीं और उनके पिता महाराजा महेंद्रगिर धनराजगिर थे।

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  • ज्योतिका और फिरोज करीब 10 साल तक रिलेशन में रहे लेकिन जब ज्योतिका ने शादी की बात की तो फिरोज मुकर गए। ज्योतिका को फिरोज के इस रवैये से झटका लगा था। जिसके बाद वो लंदन में शिफ्ट हो गईं। वहीं शादी के 20 साल बाद साल 1985 में फिरोज खान और सुंदरी के बीच तलाक हो गया।

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27 अप्रैल 2009 ली अंतिम सांस
- फिरोज खान ने 'रिपोर्टर राजू' (1962), 'सुहागन' (1964), 'ऊंचे लोग' (1965), 'आरजू' (1965), 'औरत' (1967), आदमी और इंसान' (1969), 'मेला' (1971), 'खोटे सिक्के' (1974), धर्मात्मा (1975) जैसी फिल्मों में काम किया। साल 2007 में अनीस बज्मी के डायरेक्शन में बनी 'वेलकम' फिरोज खान की आखिरी रिलीज थी।

  • साल 2010 में फिरोज़ खान को फ़िल्मफेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट का खिताब दिया गया था। फ़िरोज़ ख़ान कैंसर से पीड़ित थे और मुंबई में उनका लंबे समय तक इलाज चला। 27 अप्रैल, 2009 को उन्होंने बेंगलुरु स्थित अपने फार्म हाउस में अंतिम सांस ली।

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